कानपुर: देशभर के शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति (new education policy) को लागू कर दिया गया है. लेकिन इसको क्रियान्वित करने में डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के सामने कई चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों का समाधान क्या है, किस तरह इनसे पार पाया जा सकता है? इसी सब विषयों को लेकर कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में एक मार्च को देशभर से डिग्री शिक्षक जुटेंगे.
CSJMU और ICSSR मिल कर रहे सेमिनार का आयोजन: सीएसजेएम यूनिवर्सिटी(CSJMU) और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर रहा है. जिसका उद्घाटन राज्यसभा सदस्य बतौर मुख्य अतिथि डा.दिनेश शर्मा करेंगे. जबकि अध्यक्षीय उद्बोधन में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय अपनी बात रखेंगे. कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी भी मौजूद रहेंगी. बुधवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विनय पाठक ने यह जानकारी दी. वहीं सेमिनार संयोजक डॉ. मानस उपाध्याय ने बताया कि सेमिनार में जहां 300 से अधिक रिसर्च स्कॉलर आएंगे, वहीं केरल, ओडिशा सहित दूसरे राज्यों से 100 से अधिक फैकल्टी सदस्य भी हिस्सा लेंगे.
ऑनलाइन भी जुड़ेंगे फैकल्टी मेम्बर: कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मानस उपाध्याय ने सेमिनार के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि, जो डिग्री शिक्षक आ रहे हैं वह अलग-अलग सत्रों में संवाद करेंगे. कुछ फैकल्टी मेम्बर ऑनलाइन भी जुड़ेंगे. कार्यक्रम के पहले दिन तीन अलग-अलग किताबों का विमोचन होगा. किताबों में भी नई शिक्षा नीति पर सामग्री दी गई है. डॉ.मानस ने कहा, कि दो मार्च को दूसरे दिन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के निदेशक राकेश उपाध्याय भी मौजूद रहेंगे. वहीं, सेमिनार का विषय- नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से भारतीय परंपरा और संस्कृति का पुनर्निर्माण: बहुभाषीय, बहुसांस्कृतिक और बहु-विषयक शैक्षिक दृष्टकोंण रखा गया है.
सेमिनार के दौरान इन विषयों पर होगी बात:
एनईपी 2020: संभावनाएं, चुनौतियां व कार्यान्वयन रणनीतियां
आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना: एनईपी के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों के लिए युवाओं का पोषण करना
स्थानीय आवाजों को मुखर बनाना: सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के लिए एनईपी को अपनाना
वैश्विक युग में कौशल विकास: अनिवार्यताएं और महत्व
खोई हुई परंपराओं को पुनर्जीवित करना
आधुनिक संदर्भ में भारतीय इतिहास और संस्कृति को पुनर्जीवित करना
स्वदेशी ज्ञान प्रणाली: भारतीय शास्त्र और सामाजिक प्रांसगिकता
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