लखनऊ: प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य उपभोक्ताओं के न्याय दिलाने के साथ ही उन्हें अधिकारों को लेकर जागरूक करना भी है. यदि उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे, तो वह शोषण से भी बचे रहेंगे.
साथ ही यदि उनके साथ कहीं भी कोई अन्याय होता है, तो वह कानूनन अपना न्याय पा सकते हैं. उपभोक्ता कानून कहते हैं कि उनके आर्थिक, मानसिक और शारीरिक हितों की अनदेखी न हो. साथ ही उन्हें बेहतर सेवाएं और उत्पाद मिलते रहें.
देश में ग्राहकों के हितों के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया है, जो उपभोक्ताओं को उनकी पसंद के उत्पादों और सेवाओं को पाने का अधिकार देता है. इसके तहत उपभोक्ता का अधिकार है कि उसे उसकी पसंद का उत्पाद चुनने का अवसर मिले.
उनका अधिकार है कि उन्हें सुरक्षित और कमी रहित उत्पाद मिले. ग्राहक को समानता का भी अधिकार होता है यानी विक्रेता अथवा सेवा देने वाली संस्था उनके साथ भेदभाव नहीं कर सकती है. यही नहीं उन्हें सेवा या उत्पाद के विषय में संपूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए.
ग्राहक को उत्पाद के विषय में शिक्षित भी किया जाना चाहिए. यह उनका अधिकार है. साथ ही सेवा या उत्पाद में कमी की स्थिति में उपभोक्ता को मरम्मत, उत्पाद बदलने अथवा मुआवजे का भी अधिकार होता है.
उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर कानूनी व्यवस्था है, जिसका लाभ कोई भी ग्राहक आसानी से ले सकता है. सरकारी संस्थाओं के अतिरिक्त कई गैर सरकारी संस्थाएं और संगठन भी लोगों को सहायता प्रदान करते हैं.
जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर ग्राहकों की सुविधा के लिए उपभोक्ता अदालतें स्थापित की गई हैं. यहां कोई भी ग्राहक अपनी शिकायत करके न्याय पा सकता है. इसके साथ ही उपभोक्ता संरक्षण संगठन ग्राहकों के हित के लिए काम करते हैं. ग्राहक वहां से भी मदद ले सकते हैं.
उपभोक्ता संरक्षण कानून किसी भी प्रकार के शोषण अथवा धोखाधड़ी के मामले में ग्राहक के मुआवजा दिलाने का काम करता है. धोखाधड़ी या अन्य शिकायत के लिए ग्राहक राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की मदद भी ले सकता है. बीमा से जुड़ी शिकायतों के लिए बीमा लोकपाल समयबद्ध तरीके से निशुल्क न्याय दिलाते हैं.
इस संबंध में राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े वरिष्ठ एडवोकेट ओम प्रकाश द्विवेदी बताते हैं कि यदि कोई उपभोक्ता सामान खरीदता है या सेवाओं में कमी होती है, तो वह हर्जाना वसूल कर सकता है. इसके लिए त्रिस्तरीय अदालतों की व्यवस्था है. जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता आयोग हैं.
इसके बाद राज्य उपभोक्ता आयोग हैं. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय उपभोक्ता आयोग है. ज्यादातर मामलों में उपभोक्ताओं को निशुल्क न्याय दिया जाता है. कुछ केसों में तो कोर्ट फीस भी नहीं लगाई जाती है. यदि पीड़ित चाहे तो अधिवक्ता कर सकता है.
अन्यथा खुद भी कोर्ट में अपनी पैरवी की जा सकती है. कई बार मामले जल्दी निपट जाते हैं, तो कुछ मामलों में सहयोग न मिलने के कारण समय भी लग जाता है. यदि उपभोक्ताओं के साथ कोई धोखाधड़ी हुई है, तो वह उपभोक्ता न्यायालयों की शरण में आएं. यहां उन्हें पूरा न्याय मिलेगा.
न्याय पाने के लिए उपभोक्ता यहां करें शिकायत
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग: यह आयोग ग्राहकों के लिए एक उच्चस्तरीय न्यायिक संस्था है, जो उपभोक्ता को न्याय दिलाने के साथ ही उनकी शिकायतों का समाधान करती है. मुख्य रूप से इनका काम उपभोक्ताओं की शिकायतों पर सुनवाई करके निर्णय देना है. यहां राज्य और जिला उपभोक्ता न्यायालयों से उच्च न्यायालय तक अपील की प्रक्रिया की जाती है. वेबसाइट : http://ncdrc.nic.in
राज्य उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग: हर राज्य में उपभोक्ताओं के विवादों को सुलझाने के लिए राज्य स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग होता है. यह आयोग राज्य स्तर पर उपभोक्ता मामलों की सुनवाई करता है और जिला आयोगों के फैसलों पर अपील की सुनवाई और न्याय भी प्रदान करता है. वेबसाइट : http://www.upconsumer.gov.in
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग: हर जिले में उपभोक्ता विवादों के निवारण के लिए जिला उपभोक्ता आयोग होता है. यह उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करता है और उपभोक्ता विवादों का समाधान करता है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिला उपभोक्ता आयोगों के संपर्क सूत्र संबंधित जिलों की वेबसाइट या जिला कलेक्ट्रेट में उपलब्ध हैं.
कंज्यूमर हेल्पलाइन: उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं की शिकायतों और समस्याओं के समाधान के लिए उपभोक्ता हेल्पलाइन सेवा दी गई है. यह हेल्पलाइन उपभोक्ताओं को शिकायतें दर्ज करने और समाधान दिलाने में मदद करती है. वेबसाइट: http://www.consumerhelpline.gov.in
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