भोपाल: आप अपने बच्चे को स्कूल बस से रवाना करते हुए फिक्र में आ जाते हैं. जरा उन बच्चों के बारे में सोचिए जो रोज उफनती नदी में नाव के सहारे इस किनारे से उस किनारे पहुंचते हैं. ताकी कक्षा में अपनी हाजिरी लगा पाएं. कुछ ऐसे ही हालात प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के इलाके तेंदूखेड़ा विधानसभा के जैथारी गांव के हैं, जहां कई बच्चे तो सिर्फ इस जोखिम से बचने के लिए पढ़ाई ही छोड़ चुके हैं.
जान हथेली पर लेकर स्कूल..यहां स्कूल पहुंचना भी इम्तेहान
एमपी के नरसिंहपुर जिले की तेंदूखेड़ा विधानसभा की बेलखेड़ी ग्राम पंचायत का यह मामला है, जहां जैथारी गांव के बच्चों के लिए स्कूल का सफर तय करने के लिए उफनती शक्कर नदी पार करनी होती है. नाव के सहारे ये बच्चे कल्याणपुर गांव जाते हैं, जहां इनका स्कूल है. करीब एक हजार की आबादी वाले गांव जैथारी में कई बच्चों ने जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने के बजाए पढ़ाई ही छोड़ दी है. लेकिन 30 से 40 बच्चे ऐसे हैं जो आज भी इसी जोखिम भरे रास्ते से स्कूल का सफर तय करते हैं. अब आपका सवाल लाजमी है कि क्या कोई रास्ता नहीं. तो स्कूल में पढ़ने वाले छात्र राज कौरव बताते हैं कि "लंबे समय से पुल बन रहा है, जिसके बाद बच्चों का रास्ता आसान हो सकता है. लेकिन अब तक उसका निर्माण ही पूरा नहीं हो सका है." राज कहते हैं हमारी सबसे बड़ी समस्या अब ये नदी बन गई है.
मियाद पूरी हुई लेकिन नदी पर बनने वाला पुल अधूरा
शक्कर नदी के दोनो किनारों को जोड़ने वाला करीब 186 मीटर का ब्रिज अब भी अधूरा है. हांलाकि इसके पूरा होने की मियाद खत्म हुए भी 4 साल बीत गए. इस पुल को दिसम्बर 2020 में पूरा हो जाना था. प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह की पहले लोकसभा और विधानसभा में ये इलाका आता है. लेकिन उनके अपने इलाके में बच्चों की बुनियादी जरूरत पढ़ाई और स्कूल को लेकर ऐसी अनदेखी है.
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खातेगांव में जामनेर की पुलिया छात्रों की मुसीबत
इधर, खातेगांव के जियागांव में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं इस तेज बारिश में जामनेर नदी का तेज बहाव पार कर स्कूल जाती हैं. असल में तेज बारिश में नदी का पानी पुल पर आ जाता है. यहां पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन चेता नहीं अब तक.