नर्मदापुरम: शनिवार से घरों में 10 दिवसीय गणेश उत्सव प्रारंभ होने वाला है. लेकिन नर्मदापुरम में इस बार गणेश जी की प्रतिमाएं विराजमान होकर लोगों को विशेष संदेश देने वाली हैं. जिसमें इस वर्ष जीते टी-20 वर्ल्ड कप हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा चलाए जा रहे 'एक पेड़ मां के नाम अभियान', या सड़क पर वाहन सुरक्षा से कैसे चलाएं अभियान हो, गणेश जी इसका संदेश देते हुए दिखेंगे. इन मूर्तियों का निर्माण नर्मदापुरम की भविष्य विशेष संस्था द्वारा किया गया है. दिव्यांग बच्चें मिट्टी गोबर से बने इको फ्रेंडली गणेश बना रहे हैं.
वृक्षारोपण का संदेश दे रहे मिट्टी के गणेश जी
मूकबधिर अरुण ट्रेनर से इशारों में बात करते हुए बताया कि, ''मैं यहां अलग-अलग प्रकार से गणेश जी बना रहा हूं. मिट्टी में पेपर गोंद मिलाई जाती है, तब गणेश जी का निर्माण होता है. इस बार हमारे द्वारा वृक्षारोपण, वर्ल्ड कप और अग्नि वीर को लेकर गणेश जी बनाए हैं.'' वहीं, एक अन्य युवती चैंसी बामने बताती हैं कि, ''हम मिट्टी के गणेश जी बना रहे हैं. करीब 15 सालों से हम गणेश जी का निर्माण यहां कर रहे हैं. इस बार पर्यावरण वाले गणेश जी, स्कूल वाले गणेश जी बनाए हैं. वाहन को लेकर भी गणेश जी बनाए गए हैं जो सड़क सुरक्षा का संदेश दे रहे हैं.''
शिक्षाप्रद मूर्तियों का निर्माण
भविष्य विशेष संस्था के योगेश शर्मा बताते हैं कि, ''पिछले 15-16 सालों से इको फ्रेंडली गणेश जी बनाते आ रहे हैं. हर बार कुछ ना कुछ शिक्षाप्रद मूर्तियों का निर्माण किया जाता है. इस बार हमारे यहां दिव्यांग बच्चों ने सड़क पर दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं, इसे ध्यान में रखते हुए ऐसे गणेश जी बनाएं हैं जो हेलमेट लगाने और सड़क सुरक्षा का पालन करने का संदेश दे रहे हैं. भारत ने जो 20-20 वर्ल्ड कप जीता है, उसे लेकर शिक्षाप्रद मूर्तियों का निर्माण किया है. शासकीय स्कूल और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत गणेश जी बनाए हैं.''
थेरेपी का काम करती है मिट्टी
योगेश शर्मा बताते हैं कि, ''नर्मदा समग्र एनजीओ के लोग संस्था में आए थे, उन्होंने बच्चों को मिट्टी के गणेश जी बनाने की ट्रेनिंग दी थी. तभी से यह कार्य निरंतर यहां पर चालू है.'' उन्होंने बताया कि नर्मदापुरम डेढ़ से दो लाख लोगों की आबादी का शहर है. इसलिए हमारे यहां मूर्तियां कम पड़ जाती हैं. 3 से 4000 मूर्तियां हमारे यहां बनी हैं. वह बताते हैं कि हमारे यहां दिव्यांग बच्चे हैं. मिट्टी से निर्माण करना एक प्रकार से थेरेपी का काम करता है."