रायपुर: छत्तीसगढ़ एसीबी ने कथित नागरिक पूर्ति निगम (नान) घोटाले में जांच को प्रभावित करने के लिए अपने पदों का कथित रूप से दुरुपयोग करने के आरोप में दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और एक पूर्व राज्य महाधिवक्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
टुटेजा नान के पूर्व अध्यक्ष, शुक्ला पूर्व प्रबंध निदेशक: आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि ईडी की तरफ से उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट और दस्तावेजों के आधार पर पूर्व आईएएस अधिकारियों अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई.
EOW अधिकारी ने बताया कि तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 182, 211 (चोट पहुंचाने के इरादे से अपराध का झूठा आरोप लगाना), 193 (झूठे साक्ष्य), 195 ए (किसी व्यक्ति को झूठा साक्ष्य देने के लिए धमकाना), 166 ए (लोक सेवक द्वारा कानून के तहत निर्देश की अवहेलना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
टुटेजा और शुक्ला पर जांच को प्रभावित करने का आरोप: एफआईआर में ये भी कहा गया कि ईओडब्ल्यू और ईडी की तरफ से दर्ज मामलों के आधार पर आयकर विभाग ने टुटेजा और शुक्ला के खिलाफ व्हाट्सएप चैट सहित कुछ डिजीटल साक्ष्य एकत्र किए थे, जिनसे पता चला है कि दोनों ने न केवल ईडी की जांच को विफल करने के कई प्रयास किए, बल्कि एसीबी/ईओडब्ल्यू के मामले में रायपुर की एक अदालत में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे को प्रभावित करने के लिए तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार के नौकरशाहों और संवैधानिक अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थे.
भूपेश सरकार में दोनों थे प्रभावशाली अधिकारी: EOW अधिकारी ने बताया कि आलोक शुक्ला साल 2018 से 2020 के बीच राज्य में प्रमुख सचिव के रूप में तैनात रहे. अनिल टुटेजा साल 2019 से 2020 के बीच संयुक्त सचिव रहे. दोनों छत्तीसगढ़ के तत्कालीन भूपेश सरकार में प्रभावशाली अधिकारी बनाए गए. एफआईआर में कहा गया कि 2019 से सरकार के संचालन, नीति निर्माण और अन्य कार्यों में उनका गहरा हस्तक्षेप था. सभी प्रमुख पदों पर पोस्टिंग और तबादलों में सीधा हस्तक्षेप था.
एफआईआर में ये भी कहा गया कि नान घोटाले में व्हाट्सएप चैट और दस्तावेजों की जांच में ये पता चला है कि साल 2019 से 2020 तक शुक्ला और टुटेजा ने कथित तौर पर अपने-अपने पदों का दुरुपयोग किया और तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ दिया. वर्मा के साथ मिलीभगत कर दोनों अधिकारियों ने ईओडब्ल्यू से संबंधित प्रक्रियात्मक और विभागीय दस्तावेजों और सूचनाओं में बदलाव करके कथित तौर पर आपराधिक साजिश रची.
बयान बदलने के लिए दबाव डालने का भी आरोप: आरोपियों ने एसीबी/ईओडब्ल्यू मामले में अग्रिम जमानत का लाभ लेने के लिए अपने खिलाफ दर्ज मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में पेश किए जाने वाले जवाबों को अपने पक्ष में तैयार करवाने की कोशिश की. एफआईआर में ये भी कहा गया कि उन्होंने ईओडब्ल्यू के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर मामले के गवाहों पर अपने बयान बदलने के लिए दबाव डाला.
छत्तीसगढ़ नान घोटाला: कथित घोटाला फरवरी 2015 में उजागर हुआ था. जब एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नान के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे. इस दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपये कैश जब्त किया गया. छापे के दौरान इकट्ठा किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई, जिसके बाद दावा किया गया कि वे घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त हैं. बाद में, एसीबी ने मामले में 18 लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें तत्कालीन राज्य सरकार के अधिकारी टुटेजा और शुक्ला भी शामिल थे.
साल 2019 में, ईडी ने घोटाले में छत्तीसगढ़ के एसीबी/ईओडब्ल्यू की तरफ से दायर एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की. इस साल अप्रैल में, ईडी ने छत्तीसगढ़ में कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में टुटेजा को गिरफ्तार किया था.
SOURCE- PTI