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'नालंदा अगर रोम है, तो नीतीश कुमार हैं पोप', सवाल- कितनी चुनौती दे पाएगा महागठबंधन? जानिये पूरा समीकरण - LOK SABHA ELECTION 2024

NALANDA LOK SABHA SEAT:कहा जाता है कि अगर नालंदा को रोम मान लें तो इस रोम के पोप हैं सीएम नीतीश कुमार. ये सिर्फ जुबानी नहीं, बल्कि आंकड़ों की भी कहानी है. 1996 से 2019 तक जीत उसी को मिली है जिसके ऊपर नीतीश का हाथ रहा हो, फिलहाल इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके कौशलेंद्र कुमार फिर से चुनावी मैदान में हैं तो उन्हें इस बार चुनौती दे रहे हैं महागठबंधन के संदीप सौरभ, तो क्या कहता है नालंदा का सियासी समीकरण आप भी जानिये.

नालंदा लोकसभा सीट
नालंदा लोकसभा सीट (ETV BharaT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 9, 2024, 6:41 AM IST

Updated : May 9, 2024, 4:24 PM IST

नालंदा में चलता है नीतीश का सिक्का (ETV Bharat)

नालंदाः वैसे तो नालंदा लोकसभा सीट पर 7वें और आखिरी चरण में 1 जून को वोट डाले जाएंगे, लेकिन यहां चुनाव प्रचार काफी पहले से ही जोर पकड़ चुका है. सीएम नीतीश कुमार यहां रोड शो कर चुके हैं तो महागठबंधन की ओर से भी कई चुनावी सभाएं लगातार हो रही हैं. इसके साथ ही इस लोकसभा सीट पर सियासी समीकरणों पर भी मंथन होने लगा है.तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं नालंदा लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा सियासी समीकरण.

नालंदा सीट का इतिहासः 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में नालंदा को पटना सेंट्रल लोकसभा के नाम से जाना जाता था और तब कांग्रेस के कैलाशपति सिन्हा ने इस सीट से जीत दर्ज कर पहले सांसद होने का गौरव प्राप्त किया. लेकिन इस सीट से 6 बार जीत दर्ज करनेवाली कांग्रेस को 1989 के बाद जीत नहीं मिली है. और अब ये सीट नीतीश कुमार का अभेद्य किला बन गया है. 1996 से लेकर 2019 तक इस सीट से समता पार्टी और जेडीयू का ही कब्जा रहा है. पिछले तीन चुनाव से जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार अपने प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटाते आ रहे हैं.

NDA Vs INDI गठबंधन में मुकाबला: 2024 के लोकसभा चुनाव में नालंदा सीट पर भी NDA और INDI गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. NDA ने एक बार फिर मौजूदा सांसद और जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार पर भरोसा जताया है तो महागठबंधन की ओर से इस बार सीपीआईएमएल के संदीप सौरभ चुनौती पेश कर रहे हैं.

नीतीश का अभेद्य किला है नालंदाःजेडीयू की ओर से चुनाव कोई लड़े माना जाता है कि यहां से खुद सीएम नीतीश कुमार लड़ रहे हैं. दरअसल नालंदा सीएम नीतीश का गृह जिला है और यहां नीतीश नाम का ही सिक्का चलता है. यही कारण है कि लाख कोशिशों के बावजूद 1996 से अब तक नीतीश के इस किले में कोई भी सेंध लगाने में सफल नहीं हुआ है. जेडीयू के मौजूदा सांसद कौशलेंद्र कुमार भी यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं और इस बार जीत का चौका लगाने को तैयार हैं.

नालंदा लोकसभा सीट
नालंदा लोकसभा सीट (ETV Bharat)

नालंदा लोकसभा सीटःः 2009 से अब तकः इस सीट 2009 में हुए चुनाव में NDA प्रत्याशी के तौर पर जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार ने एलजेपी के सतीश कुमार को हराकर जीत दर्ज की. 2014 में जेडीयू ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा. नालंदा सीट पर मुकाबला तो कड़ा रहा लेकिन कौशलेंद्र कुमार एलजेपी प्रत्याशी सत्यानंद शर्मा को हराने में सफल रहे.2019 में एक बार NDA प्रत्याशी के तौर पर जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार ने बाजी मारी और इस बार महागठबंधन का हिस्सा रहे HAM के अशोक कुमार आजाद को भारी मतों से मात दी.

नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष
नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष (ETV Bharat)

नालंदाः इतिहास की गौरवशाली गाथाः नालंदा अपने प्राचीन और समृद्ध विरासत के लिए विश्वविख्यात है. प्राचीनकाल में यहां स्थित नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे विशाल और सर्वश्रेष्ठ शिक्षा का केंद्र था. विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी नालंदा की गौरवमयी गाथा के गवाह हैं. बुद्ध और महावीर के जीवन की कई स्मृतियां भी नालंदा की माटी की श्रेष्ठता की अनुभूति कराती हैं. वर्तमान में भी विकास के मामले में बिहार के दूसरे इलाकों की अपेक्षा नालंदा काफी आगे दिख रहा है.

नालंदा में सात विधानसभा सीटः नालंदा लोकसभा सीट बिहार की उन तीन लोकसभा सीटों में है जिसके अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं-अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत. इन सात विधानसभा सीटों में इस्लामपुर को छोड़कर सभी सीटों पर NDA का कब्जा है. जिनमें 5 सीट पर जेडीयू और एक सीट पर बीजेपी के विधायक हैं.

नालंदा लोकसभा सीट
नालंदा लोकसभा सीट (ETV Bharat)

नालंदा में जातिगत समीकरणः नालंदा में मतदाताओं की कुल संख्या 22 लाख 37 हजार 750 है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 90 हजार 971 है और महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 46 हजार 709 है.जातिगत समीकरण की बात करें तो ये सीट कुर्मी जाति का गढ़ है. यहां करीब 26 फीसदी मतदाता कुर्मी है जबकि करीब 17 फीसदी यादव और 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं 10 फीसदी कोइरी मतदाता भी हैं. इसके अलावा दलित और अति पिछड़ी जाति के मतदाता भी काफी असरदार हैं.

कौशलेंद्र कुमार, जेडीयू प्रत्याशी
कौशलेंद्र कुमार, जेडीयू प्रत्याशी (ETV Bharat)

क्या जीत का चौका लगा पाएंगे कौशलेंद्र कुमार ?: नालंदा लोकसभा सीट पर सबसे आखिरी चरण यानी 1 जून को वोट डाले जाएंगे और जीत के चौके की तैयारी के साथ जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं. वहीं उनके सामने सीपीआईएमएल के सौरभ कुमार की चुनौती है.

संदीप सौरभ, सीपीआईएमएल प्रत्याशी
संदीप सौरभ, सीपीआईएमएल प्रत्याशी (ETV Bharat)

'विकास के नाम पर बड़ी उपलब्धि नहींः'नालंदा जिले की राजनीति पर पैनी नजर रखनेवाले सियासी पंडितों का मानना है कि सीएम नीतीश का गृह जिला होने के कारण नालंदा में काफी विकास हुआ है और जेडीयू का पलड़ा यहां भारी है. लेकिन ये भी सच है कि सांसद के रूप में कौशलेंद्र कुमार की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रही है.

"कौशलेंद्र कुमार जी तीन टर्म से सांसद हैं, लेकिन इनके कार्यकाल में विकास के नाम पर कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. सिर्फ नीतीश कुमार ने जो विकास के काम इस इलाके में किए हैं, उसी के नाम पर इनको वोट मिलते हैं. इसके अलावा इस सीट पर सबसे ज्यादा संख्या कुर्मी वोटर्स की है, जिनका एकमुश्त वोट इन्हें मिलता है." डॉ.लक्ष्मीकांत प्रसाद, इतिहासकार

क्या चुनौती पेश कर पाएगा महागठबंधन ?: विश्लेषकों का मानना है कि सांसद के रूप में अगर किसी ने नालंदा के विकास को ऊंचाइयां दी तो वे थे जॉर्ज फर्नांडिस. फिर चाहे सैनिक स्कूल हो या राजगीर आयुध फैक्ट्री या फिप बिहार का पहला बीड़ी श्रमिक अस्पताल उन्होंने अपने दम पर बनवाया था. नालंदा में मुद्दे जो भी हो यहां सबसे बड़े फैक्टर हैं नीतीश कुमार जिसकी काट ढूंढ़ने में महागठबंधन अभी तक सफल नहीं हुआ है.

"यहां पर दो गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है NDA और INDI. लड़ाई है इसमें दो राय नहीं है, लेकिन नालंदा नीतीश कुमार का गढ़ माना जाता है. कहा जाता है कि अगर नालंदा रोम है तो नीतीश कुमार इसके पोप हैं. नीतीश कुमार ने यहां से जॉर्ज फर्नांडिस को भी तीन बार सांसद बनवाया." कौशलेंद्र कुमार, पत्रकार

ये भी पढ़ेंः'कोई नहीं बदल सकता संविधान, पीएम मोदी ने देश को दी नयी पहचान', नालंदा से नामांकन के बाद बोले कौशलेंद्र कुमार - NALANDA LOK SABHA SEAT

ये भी पढ़ेंः नालंदा में नीतीश कुमार के रोड शो के दौरान उमड़ी भीड़, सीएम की झलक पाने को बेताब दिखे लोग - Lok Sabha Election 2024

ये भी पढ़ेंःतीसरी बार जीते मोदी तो खत्म हो जाएगा संविधान, नालंदा में माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने साधा केंद्र पर निशाना - LOK SABHA ELECTION 2024

नालंदा में चलता है नीतीश का सिक्का (ETV Bharat)

नालंदाः वैसे तो नालंदा लोकसभा सीट पर 7वें और आखिरी चरण में 1 जून को वोट डाले जाएंगे, लेकिन यहां चुनाव प्रचार काफी पहले से ही जोर पकड़ चुका है. सीएम नीतीश कुमार यहां रोड शो कर चुके हैं तो महागठबंधन की ओर से भी कई चुनावी सभाएं लगातार हो रही हैं. इसके साथ ही इस लोकसभा सीट पर सियासी समीकरणों पर भी मंथन होने लगा है.तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं नालंदा लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा सियासी समीकरण.

नालंदा सीट का इतिहासः 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में नालंदा को पटना सेंट्रल लोकसभा के नाम से जाना जाता था और तब कांग्रेस के कैलाशपति सिन्हा ने इस सीट से जीत दर्ज कर पहले सांसद होने का गौरव प्राप्त किया. लेकिन इस सीट से 6 बार जीत दर्ज करनेवाली कांग्रेस को 1989 के बाद जीत नहीं मिली है. और अब ये सीट नीतीश कुमार का अभेद्य किला बन गया है. 1996 से लेकर 2019 तक इस सीट से समता पार्टी और जेडीयू का ही कब्जा रहा है. पिछले तीन चुनाव से जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार अपने प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटाते आ रहे हैं.

NDA Vs INDI गठबंधन में मुकाबला: 2024 के लोकसभा चुनाव में नालंदा सीट पर भी NDA और INDI गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. NDA ने एक बार फिर मौजूदा सांसद और जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार पर भरोसा जताया है तो महागठबंधन की ओर से इस बार सीपीआईएमएल के संदीप सौरभ चुनौती पेश कर रहे हैं.

नीतीश का अभेद्य किला है नालंदाःजेडीयू की ओर से चुनाव कोई लड़े माना जाता है कि यहां से खुद सीएम नीतीश कुमार लड़ रहे हैं. दरअसल नालंदा सीएम नीतीश का गृह जिला है और यहां नीतीश नाम का ही सिक्का चलता है. यही कारण है कि लाख कोशिशों के बावजूद 1996 से अब तक नीतीश के इस किले में कोई भी सेंध लगाने में सफल नहीं हुआ है. जेडीयू के मौजूदा सांसद कौशलेंद्र कुमार भी यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं और इस बार जीत का चौका लगाने को तैयार हैं.

नालंदा लोकसभा सीट
नालंदा लोकसभा सीट (ETV Bharat)

नालंदा लोकसभा सीटःः 2009 से अब तकः इस सीट 2009 में हुए चुनाव में NDA प्रत्याशी के तौर पर जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार ने एलजेपी के सतीश कुमार को हराकर जीत दर्ज की. 2014 में जेडीयू ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा. नालंदा सीट पर मुकाबला तो कड़ा रहा लेकिन कौशलेंद्र कुमार एलजेपी प्रत्याशी सत्यानंद शर्मा को हराने में सफल रहे.2019 में एक बार NDA प्रत्याशी के तौर पर जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार ने बाजी मारी और इस बार महागठबंधन का हिस्सा रहे HAM के अशोक कुमार आजाद को भारी मतों से मात दी.

नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष
नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष (ETV Bharat)

नालंदाः इतिहास की गौरवशाली गाथाः नालंदा अपने प्राचीन और समृद्ध विरासत के लिए विश्वविख्यात है. प्राचीनकाल में यहां स्थित नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे विशाल और सर्वश्रेष्ठ शिक्षा का केंद्र था. विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी नालंदा की गौरवमयी गाथा के गवाह हैं. बुद्ध और महावीर के जीवन की कई स्मृतियां भी नालंदा की माटी की श्रेष्ठता की अनुभूति कराती हैं. वर्तमान में भी विकास के मामले में बिहार के दूसरे इलाकों की अपेक्षा नालंदा काफी आगे दिख रहा है.

नालंदा में सात विधानसभा सीटः नालंदा लोकसभा सीट बिहार की उन तीन लोकसभा सीटों में है जिसके अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं-अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत. इन सात विधानसभा सीटों में इस्लामपुर को छोड़कर सभी सीटों पर NDA का कब्जा है. जिनमें 5 सीट पर जेडीयू और एक सीट पर बीजेपी के विधायक हैं.

नालंदा लोकसभा सीट
नालंदा लोकसभा सीट (ETV Bharat)

नालंदा में जातिगत समीकरणः नालंदा में मतदाताओं की कुल संख्या 22 लाख 37 हजार 750 है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 90 हजार 971 है और महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 46 हजार 709 है.जातिगत समीकरण की बात करें तो ये सीट कुर्मी जाति का गढ़ है. यहां करीब 26 फीसदी मतदाता कुर्मी है जबकि करीब 17 फीसदी यादव और 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं 10 फीसदी कोइरी मतदाता भी हैं. इसके अलावा दलित और अति पिछड़ी जाति के मतदाता भी काफी असरदार हैं.

कौशलेंद्र कुमार, जेडीयू प्रत्याशी
कौशलेंद्र कुमार, जेडीयू प्रत्याशी (ETV Bharat)

क्या जीत का चौका लगा पाएंगे कौशलेंद्र कुमार ?: नालंदा लोकसभा सीट पर सबसे आखिरी चरण यानी 1 जून को वोट डाले जाएंगे और जीत के चौके की तैयारी के साथ जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं. वहीं उनके सामने सीपीआईएमएल के सौरभ कुमार की चुनौती है.

संदीप सौरभ, सीपीआईएमएल प्रत्याशी
संदीप सौरभ, सीपीआईएमएल प्रत्याशी (ETV Bharat)

'विकास के नाम पर बड़ी उपलब्धि नहींः'नालंदा जिले की राजनीति पर पैनी नजर रखनेवाले सियासी पंडितों का मानना है कि सीएम नीतीश का गृह जिला होने के कारण नालंदा में काफी विकास हुआ है और जेडीयू का पलड़ा यहां भारी है. लेकिन ये भी सच है कि सांसद के रूप में कौशलेंद्र कुमार की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रही है.

"कौशलेंद्र कुमार जी तीन टर्म से सांसद हैं, लेकिन इनके कार्यकाल में विकास के नाम पर कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. सिर्फ नीतीश कुमार ने जो विकास के काम इस इलाके में किए हैं, उसी के नाम पर इनको वोट मिलते हैं. इसके अलावा इस सीट पर सबसे ज्यादा संख्या कुर्मी वोटर्स की है, जिनका एकमुश्त वोट इन्हें मिलता है." डॉ.लक्ष्मीकांत प्रसाद, इतिहासकार

क्या चुनौती पेश कर पाएगा महागठबंधन ?: विश्लेषकों का मानना है कि सांसद के रूप में अगर किसी ने नालंदा के विकास को ऊंचाइयां दी तो वे थे जॉर्ज फर्नांडिस. फिर चाहे सैनिक स्कूल हो या राजगीर आयुध फैक्ट्री या फिप बिहार का पहला बीड़ी श्रमिक अस्पताल उन्होंने अपने दम पर बनवाया था. नालंदा में मुद्दे जो भी हो यहां सबसे बड़े फैक्टर हैं नीतीश कुमार जिसकी काट ढूंढ़ने में महागठबंधन अभी तक सफल नहीं हुआ है.

"यहां पर दो गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है NDA और INDI. लड़ाई है इसमें दो राय नहीं है, लेकिन नालंदा नीतीश कुमार का गढ़ माना जाता है. कहा जाता है कि अगर नालंदा रोम है तो नीतीश कुमार इसके पोप हैं. नीतीश कुमार ने यहां से जॉर्ज फर्नांडिस को भी तीन बार सांसद बनवाया." कौशलेंद्र कुमार, पत्रकार

ये भी पढ़ेंः'कोई नहीं बदल सकता संविधान, पीएम मोदी ने देश को दी नयी पहचान', नालंदा से नामांकन के बाद बोले कौशलेंद्र कुमार - NALANDA LOK SABHA SEAT

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Last Updated : May 9, 2024, 4:24 PM IST
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