रायपुर: बोरियाकला के श्री शंकराचार्य आश्रम में साल 2019 में नक्षत्र वाटिका की स्थापना हुई. शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने इस नक्षत्र वाटिका की स्थापना की. नक्षत्र वाटिका में नक्षत्रों का आधार पर पेड़ पौधे लगाए गए हैं. शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती के मुताबिक इन पेड़ पौधों की पूजा अर्चना से ग्रह दोष खत्म होते हैं, दुख से मुक्ति मिलती है. शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती के मुताबिक पेड़ पौधों के नीचे बैठकर पूजा पाठ करने से मानसिक शांति और कष्टों का अंत होता है.
''नक्षत्र वाटिका में दूर होते हैं कष्ट'': साढ़े चार एकड़ में बने नक्षत्र वाटिका में कई पेड़ पौधे लगाए गए हैं. नक्षत्र वाटिका के जरिए लोगों को प्रकृति से प्रेम करने का भी संदेश दिया जा रहा है. श्री शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख डॉक्टर इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि साल 2019 में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा नक्षत्र वाटिका की स्थापना की गई.
धर्मशास्त्र में तीन प्रकार के ताप माने जाते हैं, एक दैविक तापमान होता है जिसमें ग्रहों की पीड़ा होती है. ग्रह दोष निवृत्ति के लिए तीन उपाय माने जाते हैं. जिसमें मंत्र मणि और औषधि शामिल है. नक्षत्र वाटिका में लगाए गए पेड़ पौधे औषधि वाले वृक्ष कहलाते हैं. इन वृक्षों के नीचे पूजन करने से व्यक्ति के ग्रह बाधा की निवृत्ति होती है. इसके साथ ही पेड़ पौधों का संरक्षण भी होता है. जिसे जीवन माना जाता है. :डॉ इंदुभवानंद महाराज, आश्रम प्रभारी श्रीशंकराचार्य आश्रम, बोरियाकला
''27 नक्षत्र होते हैं'': श्री शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख डॉक्टर इंदुभवानंद महाराज का कहना है कि कई बार लोग अनजाने में पेड़ पौधे को काटकर फेंक देते हैं. ऐसे में उन लोगों को इस चीज की जानकारी हो सके इसलिए भी इस नक्षत्र वाटिका की स्थापना की गई. ऐसे वृक्षों को लोग अपने घर में लगाने के साथ ही वृक्ष और प्रकृति से प्रेम करना सीखें. 27 नक्षत्र होते हैं उस हिसाब से 27 अलग-अलग वृक्ष लगाए गए हैं. अभी इसकी शुरुआत है और आगे इसका लाभ लोगों को मिलेगा.
दुर्लभ पेड़ पौधे लगाए गए: 9 ग्रह के लिए लगाए गए पौधों में सूर्य के लिए मदार, सोम के लिए पलाश, मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग, बृहस्पति के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी, राहु के लिए दुब और केतु के लिए कुश के पौधे लगाए गए हैं.
नक्षत्र के अनुसार लगाए गए पौधों के नाम
- अश्विनी नक्षत्र के लिए कुचिला.
- भरणी नक्षत्र के लिए आवला.
- कृतिका नक्षत्र के लिए गूलर.
- रोहिणी नक्षत्र के लिए जामुन.
- मृगशिरा नक्षत्र के लिए खैर.
- आद्रा नक्षत्र के लिए का कालातेंदु.
- पुनर्वसु नक्षत्र के लिए बांस.
- पुष्य नक्षत्र के लिए पीपल.
- अश्लेषा नक्षत्र के लिए नागकेसर.
- मघा नक्षत्र के लिए बरगद.
- पूर्व फाल्गुनी के लिए ढाक.
- उत्तर फाल्गुनी के लिए पाकड़.
- हस्त नक्षत्र के लिए रीठा.
- चित्रा नक्षत्र के लिए बेल.
- स्वाति नक्षत्र के लिए अर्जुन.
- विशाखा नक्षत्र के लिए कटाई.
- अनुराधा नक्षत्र के लिए मौलश्री.
- जेष्ठा नक्षत्र के लिए चीड़.
- मूल नक्षत्र के लिए साल.
- पूर्वाषाढा नक्षत्र के लिए जलवेतस.
- उत्तराषाढा नक्षत्र के लिए कटहल.
- श्रवण नक्षत्र के लिए मदार.
- धनिष्ठा नक्षत्र के लिए शमी.
- शतभिषा नक्षत्र के लिए कदंब.
- पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए नीम.
- रेवती नक्षत्र के लिए महुआ जैसे पौधे लगाए गए हैं.