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छात्र संघ चुनाव का मामला, नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में छात्र संघ चुनाव का मामला नैनीताल हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. इस मामले में कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है.

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नैनीताल हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 27, 2024, 5:46 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट में बुधवार 27 नवंबर को प्रदेश में अभी तक छात्र संघ के चुनाव नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई हुी. मामले की सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की एकलपीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी.

मामले के अनुसार किशन सिंह ने याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि सभी विश्वविद्यालयों में सितंबर माह तक एडमिशन पूरा करके छात्र संघ का चुनाव सम्पन्न करा लें. लेकिन कई विश्वविद्यालयों ने अक्टूबर माह तक तो छात्रों के एडमिशन कराए हैं. ऐसे में सितंबर माह में चुनाव कैसे हो सकते है? यह आदेश गलत है इसपर रोक लगाई जाय.

इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है. सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश, लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट व यूजीसी की नियमावली में स्पष्ट कहा गया है कि हर विश्वविद्यालय का अपना एक शैक्षणिक कैलेंडर होगा, उसी के आधार पर सभी कार्यक्रम निर्धारित होंगे. एडमिशन होने के आठ सप्ताह के बाद छात्र संघ के चुनाव भी होंगे.

याचिकाकर्ता का कहना है कि यहां राज्य सरकार ने कमेटी की रिपोर्ट, यूजीसी के नियमों व विश्वविद्यालय की नियमावली का उल्लंघन करके एक आदेश पारित कर दिया और सितंबर माह तक चुनाव कराने की तिथि तक नियत कर दी. जब अक्टूबर माह तक एडमिशन हुए है, तो सितंबर में बिना छात्रों के चुनाव कैसे सम्भव होगा? राज्य सरकार को यह अधिकारी नहीं है कि वह किसी भी विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कैलेंडर निर्धारित करे. यह अधिकारी सिर्फ केंद्र सरकार और यूजीसी को ही है.

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नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट में बुधवार 27 नवंबर को प्रदेश में अभी तक छात्र संघ के चुनाव नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई हुी. मामले की सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की एकलपीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी.

मामले के अनुसार किशन सिंह ने याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि सभी विश्वविद्यालयों में सितंबर माह तक एडमिशन पूरा करके छात्र संघ का चुनाव सम्पन्न करा लें. लेकिन कई विश्वविद्यालयों ने अक्टूबर माह तक तो छात्रों के एडमिशन कराए हैं. ऐसे में सितंबर माह में चुनाव कैसे हो सकते है? यह आदेश गलत है इसपर रोक लगाई जाय.

इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है. सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश, लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट व यूजीसी की नियमावली में स्पष्ट कहा गया है कि हर विश्वविद्यालय का अपना एक शैक्षणिक कैलेंडर होगा, उसी के आधार पर सभी कार्यक्रम निर्धारित होंगे. एडमिशन होने के आठ सप्ताह के बाद छात्र संघ के चुनाव भी होंगे.

याचिकाकर्ता का कहना है कि यहां राज्य सरकार ने कमेटी की रिपोर्ट, यूजीसी के नियमों व विश्वविद्यालय की नियमावली का उल्लंघन करके एक आदेश पारित कर दिया और सितंबर माह तक चुनाव कराने की तिथि तक नियत कर दी. जब अक्टूबर माह तक एडमिशन हुए है, तो सितंबर में बिना छात्रों के चुनाव कैसे सम्भव होगा? राज्य सरकार को यह अधिकारी नहीं है कि वह किसी भी विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कैलेंडर निर्धारित करे. यह अधिकारी सिर्फ केंद्र सरकार और यूजीसी को ही है.

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