नैनीताल: गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में रिसर्च प्रोजेक्ट में कार्यरत 60 साल की सेवा पूरी करने वाले प्रोफेसरों को गैर शिक्षक मानकर जबरन सेवानिवृत्ति मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कृषि सचिव की ओर से 4 जुलाई 2023 को जारी आदेश को निरस्त कर उन्हें बहाल करने और समस्त लाभ देने देने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में हुई.
दरअसल, राज्य सरकार और पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से याचियों को गैर शिक्षक मानते हुए 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त करने के आदेश को विनोद कुमार समेत अन्य लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उनका कहना था कि उनकी नियुक्ति इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च में हुई थी. अब वे प्रोफेसर पद पदोन्नत हो चुके हैं.
राज्य सरकार ने साल 2013 में प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी है, लेकिन सरकार ने 2023 में एक आदेश जारी कर उन्हें गैर शिक्षक मानते हुए 60 साल की उम्र में ही सेवानिवृत्त कर दिया. जबकि, उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियमों और यूजीसी के नियमों के मुताबिक शिक्षक के रूप में हुई है. हाईकोर्ट इससे पहले सीनियर स्टेटिशियन और सीनियर रिसर्च ऑफिसर के पदों में कार्यरत प्राध्यापकों की भी याचिका स्वीकार कर चुकी है.
इस मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय के शिक्षक हैं और उन्हें एक शिक्षक के सभी लाभ दिए गए थे. जिसके बाद कोर्ट ने सरकार और विश्वविद्यालय के आदेश को रद्द करते हुए पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन से याचियों को समस्त लाभों समेत तत्काल बहाल करने को कहा है.
इस मामले में आज दीपा विनय समेत अन्य लोगों की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. आज हुई सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि इनकी नियुक्ति नियमों के अनुसार नहीं हुई है. ये कभी शिक्षक थे ही नहीं, इसलिए सरकार ने इन्हें 60 साल पूरा करने के बाद ही सेवानिवृत्त किया है. जिस पर कोर्ट ने उन्हें बहाल करने के आदेश दिए.
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