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दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल में 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक, जानिए पूरा मामला - Nainital HC On Butter Festival

Nainital High Court On Butter Festival, Uttarkashi Dayara Bugyal नैनीताल हाईकोर्ट ने दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल मामले में सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले को पलटते हुए बटर फेस्टिवल में 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा दी है. जिससे दयारा पर्यटन उत्सव समिति को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट का साफ कहना है कि बुग्याल संरक्षण को लेकर साल 2018 में जारी आदेश का सख्ती से पालन करें.

Nainital High Court On Butter Festival
बटर फेस्टिवल मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 14, 2024, 10:27 PM IST

Updated : Aug 14, 2024, 10:59 PM IST

नैनीताल: उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बटर फेस्टिवल में 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा दी है. इससे पहले हाईकोर्ट ने दयारा पर्यटन उत्सव समिति के प्रार्थना पत्र पर 1500 लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन अब कोर्ट ने पर्यावरण का हवाला देकर उनकी याचिका खारिज कर दी है. ऐसे में 2018 के आदेश का सख्ती से पालन करना होगा.

गौर हो कि हाल ही में ही दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने नैनीताल हाईकोर्ट प्रार्थना पत्र दी थी. जिसमें दयारा बुग्याल में आयोजित होने वाले बटर फेस्टिवल के लिए करीब 1500 लोगों की अनुमति मांगी गई थी. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी थी, लेकिन अब कोर्ट ने अपने फैसले को बदल कर 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा ही है.

Nainital High Court On Butter Festival
दयारा बुग्याल में दूध-मक्खन की होली (फाइल फोटो- ETV Bharat)

आज कोर्ट में प्रार्थना पत्र पर हुई लंबी सुनवाई: आज यानी 14 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में प्रार्थना पत्र पर लंबी सुनवाई हुई. आवेदक दयारा पर्यटन उत्सव समिति की ओर से कहा गया कि यह त्योहार भाद्रपद की संक्रांति को हर साल मनाया जाता है. रैथल के ग्रामीण पिछले 9 दशक से दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल मनाते आ रहे हैं. इस साल 15 और 16 अगस्त को यह त्योहार मनाया जाएगा.

इस त्योहार में स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश के पर्यटक भी आते हैं. ग्रामीण इस मौके पर भगवान कृष्ण और अपने स्थानीय समेश्वर देवता की पूजा करते हैं. आवेदकों की ओर से ये भी कहा गया कि स्थानीय डीएफओ की ओर से हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश पर 200 से ज्यादा लोगों को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. समिति की ओर से बुग्याल में साफ सफाई की गारंटी भी दी गई.

अंढूड़ी पर्व को कर दिया गया बटर फेस्टिवल: वहीं, उत्तरकाशी के एक स्थानीय निवासी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह एक स्थानीय त्योहार यानी अंढूड़ी पर्व है. इन दिनों स्थानीय लोग दुधारू पशुओं का दूध व दूध से बनी अन्य सामग्री बुगयाल में स्थापित मंदिर में चढ़ाने जाते हैं. अब स्थानीय संगठन ने इसका नाम बदलकर बटर फेस्टिवल कर दिया और इसके आयोजन करने के लिए सरकार से लाखों का फंड भी मुहैया करा लिया. जबकि, कोर्ट ने पहले ही 200 से ज्यादा लोगों की आवाजाही पर रोक लगा रखी है.

बटर फेस्टिवल का नाम देना कोर्ट के आदेश की अवहेलना: स्थानीय निवासी का कहना था कि यह स्थानीय त्योहार है, जो हर साल स्थानीय लोगों की ओर से मनाया जाता है. इस त्योहार को बटर फेस्टिवल का नाम देना कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. बटर फेस्टिवल के नाम पर पर्यावरण को कई तरह का नुकसान हो सकता है. इसलिए पूर्व में जारी आदेश का पालन किया जाए.

इस तरह के फेस्टिवल से प्रकृति और पर्यावरण को पहुंच सकता है नुकसान: स्थानीय निवासी ने ये भी कहा कि इन दिनों दयारा बुग्याल में विभिन्न प्रकार के फूल और औषधीय पौधे के साथ वन्य जीव जन्म ले रहे हैं. ज्यादा लोगों की अनुमति देने से प्रकृति और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हो सकती है. उन्होंने अदालत में फोटोग्राफ भी पेश किए.

2018 के आदेश का सख्ती से करना होगा पालन: आखिर में अदालत ने कहा कि 21 अगस्त 2018 को हाईकोर्ट ने बुग्यालों, झीलों, नदियों और वन्य जीवों को बचाने के लिए विस्तृत आदेश पारित किया है. ऐसे में इस बुग्याल में 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. यह कहते हुए अदालत ने प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया.

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नैनीताल: उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बटर फेस्टिवल में 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा दी है. इससे पहले हाईकोर्ट ने दयारा पर्यटन उत्सव समिति के प्रार्थना पत्र पर 1500 लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन अब कोर्ट ने पर्यावरण का हवाला देकर उनकी याचिका खारिज कर दी है. ऐसे में 2018 के आदेश का सख्ती से पालन करना होगा.

गौर हो कि हाल ही में ही दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने नैनीताल हाईकोर्ट प्रार्थना पत्र दी थी. जिसमें दयारा बुग्याल में आयोजित होने वाले बटर फेस्टिवल के लिए करीब 1500 लोगों की अनुमति मांगी गई थी. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी थी, लेकिन अब कोर्ट ने अपने फैसले को बदल कर 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा ही है.

Nainital High Court On Butter Festival
दयारा बुग्याल में दूध-मक्खन की होली (फाइल फोटो- ETV Bharat)

आज कोर्ट में प्रार्थना पत्र पर हुई लंबी सुनवाई: आज यानी 14 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में प्रार्थना पत्र पर लंबी सुनवाई हुई. आवेदक दयारा पर्यटन उत्सव समिति की ओर से कहा गया कि यह त्योहार भाद्रपद की संक्रांति को हर साल मनाया जाता है. रैथल के ग्रामीण पिछले 9 दशक से दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल मनाते आ रहे हैं. इस साल 15 और 16 अगस्त को यह त्योहार मनाया जाएगा.

इस त्योहार में स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश के पर्यटक भी आते हैं. ग्रामीण इस मौके पर भगवान कृष्ण और अपने स्थानीय समेश्वर देवता की पूजा करते हैं. आवेदकों की ओर से ये भी कहा गया कि स्थानीय डीएफओ की ओर से हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश पर 200 से ज्यादा लोगों को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. समिति की ओर से बुग्याल में साफ सफाई की गारंटी भी दी गई.

अंढूड़ी पर्व को कर दिया गया बटर फेस्टिवल: वहीं, उत्तरकाशी के एक स्थानीय निवासी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह एक स्थानीय त्योहार यानी अंढूड़ी पर्व है. इन दिनों स्थानीय लोग दुधारू पशुओं का दूध व दूध से बनी अन्य सामग्री बुगयाल में स्थापित मंदिर में चढ़ाने जाते हैं. अब स्थानीय संगठन ने इसका नाम बदलकर बटर फेस्टिवल कर दिया और इसके आयोजन करने के लिए सरकार से लाखों का फंड भी मुहैया करा लिया. जबकि, कोर्ट ने पहले ही 200 से ज्यादा लोगों की आवाजाही पर रोक लगा रखी है.

बटर फेस्टिवल का नाम देना कोर्ट के आदेश की अवहेलना: स्थानीय निवासी का कहना था कि यह स्थानीय त्योहार है, जो हर साल स्थानीय लोगों की ओर से मनाया जाता है. इस त्योहार को बटर फेस्टिवल का नाम देना कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. बटर फेस्टिवल के नाम पर पर्यावरण को कई तरह का नुकसान हो सकता है. इसलिए पूर्व में जारी आदेश का पालन किया जाए.

इस तरह के फेस्टिवल से प्रकृति और पर्यावरण को पहुंच सकता है नुकसान: स्थानीय निवासी ने ये भी कहा कि इन दिनों दयारा बुग्याल में विभिन्न प्रकार के फूल और औषधीय पौधे के साथ वन्य जीव जन्म ले रहे हैं. ज्यादा लोगों की अनुमति देने से प्रकृति और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हो सकती है. उन्होंने अदालत में फोटोग्राफ भी पेश किए.

2018 के आदेश का सख्ती से करना होगा पालन: आखिर में अदालत ने कहा कि 21 अगस्त 2018 को हाईकोर्ट ने बुग्यालों, झीलों, नदियों और वन्य जीवों को बचाने के लिए विस्तृत आदेश पारित किया है. ऐसे में इस बुग्याल में 200 से ज्यादा लोगों के शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. यह कहते हुए अदालत ने प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया.

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Last Updated : Aug 14, 2024, 10:59 PM IST
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