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बागेश्वर में अवैध खड़िया खनन मामले पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने राज्य पर्यावरण विभाग से मांगा जवाब - Bageshwar Illegal Chalk Mining

Illegal Chalk Mining in Kapkot of Bageshwar बागेश्वर खड़िया खनन मामले में पहले सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने कोर्ट कमीशन की जांच रिपोर्ट के आधार पर याचिका को निस्तारित कर दिया था, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फिर से सुनवाई करने को कहा है. जिसके बाद अब मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य पर्यावरण विभाग जवाब मांगा है.

Uttarakhand High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 23, 2024, 4:14 PM IST

नैनीताल: बागेश्वर के कपकोट तहसील में अवैध खड़िया खनन मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य पर्यावरण विभाग से 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. अब पूरे मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद फिर से होगी.

पहले हाईकोर्ट ने कर दी थी याचिका निस्तारित: गौर हो कि इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले की कोर्ट कमीशन कराकर उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया था. इसके लिए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उत्तराखंड राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) इसमें निर्णय लेगी, लेकिन इस आदेश को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक जारी रखने के दिए आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की फिर से सुनवाई करने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट को वापस भेज दिया. साथ में ये कहा कि खनन पर रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आज हाईकोर्ट ने फिर से मामले की सुनवाई करते हुए राज्य पर्यावरण विभाग से चार हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

सरकार ने इन गांवों में बांटा है खनन पट्टा: दरअसल, बागेश्वर निवासी हीरा सिंह पपोला ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि बागेश्वर जिले की तहसील कपकोट के रिमाघाटी, गुलाम प्रगड और भीयूं गांव में सरकार ने खनन पट्टा दिया है. जिसमें खनन माफिया की ओर तय मात्रा से ज्यादा अवैध खनन किया जा रहा है.

वन भूमि पर सड़क बनाने का आरोप, सूखने की कगार पर जल स्रोत: अवैध खनन को बाहर ले जाने के लिए माफियाों ने वन भूमि में अवैध रूप से सड़क भी बना ली है. इसके अलावा याचिका में कहा गया कि अंधाधुंध हो रहे खनन के चलते गांव के जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. याचिकाकर्ता ने अपील करते हुए कहा है कि अवैध रूप से किए जा रहे खनन से होने वाले दुष्प्रभाव से गांव को बचाया जाए.

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नैनीताल: बागेश्वर के कपकोट तहसील में अवैध खड़िया खनन मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य पर्यावरण विभाग से 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. अब पूरे मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद फिर से होगी.

पहले हाईकोर्ट ने कर दी थी याचिका निस्तारित: गौर हो कि इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले की कोर्ट कमीशन कराकर उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया था. इसके लिए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उत्तराखंड राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) इसमें निर्णय लेगी, लेकिन इस आदेश को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक जारी रखने के दिए आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की फिर से सुनवाई करने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट को वापस भेज दिया. साथ में ये कहा कि खनन पर रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आज हाईकोर्ट ने फिर से मामले की सुनवाई करते हुए राज्य पर्यावरण विभाग से चार हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

सरकार ने इन गांवों में बांटा है खनन पट्टा: दरअसल, बागेश्वर निवासी हीरा सिंह पपोला ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि बागेश्वर जिले की तहसील कपकोट के रिमाघाटी, गुलाम प्रगड और भीयूं गांव में सरकार ने खनन पट्टा दिया है. जिसमें खनन माफिया की ओर तय मात्रा से ज्यादा अवैध खनन किया जा रहा है.

वन भूमि पर सड़क बनाने का आरोप, सूखने की कगार पर जल स्रोत: अवैध खनन को बाहर ले जाने के लिए माफियाों ने वन भूमि में अवैध रूप से सड़क भी बना ली है. इसके अलावा याचिका में कहा गया कि अंधाधुंध हो रहे खनन के चलते गांव के जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. याचिकाकर्ता ने अपील करते हुए कहा है कि अवैध रूप से किए जा रहे खनन से होने वाले दुष्प्रभाव से गांव को बचाया जाए.

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