नैनीताल: बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों में खड़िया खनन से मकानों में दरारें आ गई है. जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ती पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले को अति गंभीर माना है. साथ ही ग्रामीणों की समस्या को जानने के लिए दो न्यायमित्र नियुक्त कर उनसे अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
इसके अलावा खंडपीठ ने बागेश्वर डीएफओ, स्टेट लेवल की पर्यावरण सुरक्षा अथॉरिटी, जिला खनन अधिकारी को पक्षकार बनाकर उनसे जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. सुनवाई के दौरान न्यायमित्र दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को अपना सुझाव देकर कहा कि वहां पर जितने भी खनन कार्य किए जा रहे हैं, उनसे स्टेट लेवल की पर्यावरण अथॉरिटी के नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं, उसकी रिपोर्ट भी तलब की जाए.
ग्रामीणों ने लगाई ये गुहार: गौर हो कि पूर्व में खंडपीठ ने ग्रामीणों का पक्ष सुनने के लिए अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया था. ग्रामीणों ने अपने प्रार्थना पत्र में मीडिया से बातचीत में कहा था कि उनकी बात न तो डीएम सुन रहे हैं, न ही सीएम, न ही प्रशासन. ग्रामीण लगातार विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं, जिनके पास साधन थे, वे तो हल्द्वानी बस गए, लेकिन गरीब गांव में ही रह गए हैं.
ग्रामीणों का कहना था कि खड़िया खनन कारोबारी धरती को चीर रहे हैं. इसलिए आखिरी उम्मीद पर हाईकोर्ट की शरण में आए हैं. अब कोर्ट से ही ग्रामीणों को न्याय मिल सकता है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि खड़िया खनन कारोबारियों ने नियमों को ताक पर रखकर उनके खेत, खलिहान और पहाड़ खोद दिए हैं.
खड़िया खनन की वजह अब बचे हुए घर भी खतरे की जद में आ गए हैं. जिनसे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. अगर समय पर उन्हें सुरक्षित नहीं किया गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि, ग्रामीणों ने उन्हें बचाए रखने के लिए डीएम से सीएम से पहले ही गुहार लगा रखी है. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने इसे गंभीर माना है.
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