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उत्तराखंड में निकाय चुनाव समय पर न कराने के मामले में सुनवाई, सरकार ने हाईकोर्ट में दी ये दलील - Civic Elections in Uttarakhand

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 13, 2024, 5:30 PM IST

Civic Election in Uttarakhand उत्तराखंड में निकायों के कार्यकाल को खत्म हो चुके 8 महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक निकाय चुनाव की तिथि निश्चित नहीं की गई है. राज्य सरकार का कहना है कि अक्टूबर तक निकाय चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे. आज इसी मामले को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने निकाय चुनाव में देरी पर दलील दी.

Civic Election in Uttarakhand
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)

नैनीताल: उत्तराखंड में तय समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने आगामी मंगलवार यानी 20 अगस्त को अगली सुनवाई करने की तिथि नियत की. कोर्ट ने सरकार से मंगलवार तक पूरा चुनाव कार्यक्रम पेश करने और चुनाव संपन्न कराने के लिए राज्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने की भी जानकारी देने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने चुनाव कराने संबंधी अन्य याचिकाओं को भी एक साथ लिस्ट कराने के आदेश दिए हैं.

सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में निकाय चुनाव में देरी पर दी ये दलील: आज यानी 13 अगस्त को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने हाईकोर्ट को उत्तराखंड में तय समय के भीतर निकाय चुनाव न होने की दलील दी. उनका कहना था कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की वजह से निकाय चुनाव नहीं हो पाए. क्योंकि, राज्य का प्रशासन लोकसभा के चुनाव संपन्न कराने में व्यस्त था. उसके बाद मानसून यानी बरसात का सीजन शुरू हो गया. ऐसे में आधा प्रशासन आपदा में व्यस्त है.

महाधिवक्ता ने अक्टूबर महीने तक निकाय चुनाव संपन्न कराने की कही बात: महाधिवक्ता बाबुलकर ने कोर्ट को अवगत कराया कि पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार ने निकाय चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया तैयार कर ली है. राज्य सरकार अक्टूबर महीने में निकाय चुनाव संपन्न करा लेगी. राज्य सरकार ने मोहम्मद अनवर की जनहित याचिका में चुनाव कराने का समय बढ़ाने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है. इसलिए उसे भी सुना जाए.

याचिकाकर्ता ने बताया कोर्ट के आदेश की अवहेलना: याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि तय समय के अनुसार चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना स्टेटमेंट देकर भी चुनाव नहीं कराए यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. अभी तक राज्य सरकार ने चुनाव संपन्न कराने वाली संस्था का राज्य चुनाव आयुक्त (State Election Commissioner) तक नियुक्त नहीं किया. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से आने वाले मंगलवार तक चुनाव कराने का पूरा प्लान पेश करने को कहा है.

राज्य सरकार की संवैधानिक विफलता: जनहित याचिका में कहा गया कि जनवरी में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास ने कोर्ट में पेश होकर कहा था कि 6 महीने के भीतर उत्तराखंड में नगर निकायों का चुनाव करा लिए जाएंगे. फिर अप्रैल में भी कहा था कि चुनाव 3 महीने के भीतर करा लिए जाएंगे. याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने सचिव के बयान रिकॉर्ड पर लेते हुए 6 महीने के भीतर चुनाव कराने को कहा था, लेकिन अभी तक सरकार ने चुनाव नहीं कराए और प्रशासकों का कार्यकाल भी बढ़ा दिया. जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की संवैधानिक विफलता है.

दिसंबर महीने में खत्म हो चुका निकायों का कार्यकाल: दरअसल, उधमसिंह नगर जिले के जसपुर निवासी मोहम्मद अनवर ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि नगर पालिकाओं और नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर महीने में खत्म हो चुका है, लेकिन कार्यकाल खत्म हुए 8 महीने बीत गए हैं, फिर भी चुनाव कराने का कार्यक्रम सरकार ने घोषित नहीं किया. उल्टा निकायों में अपने प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है. प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि जब कोई निकाय भंग की जाती है, तब प्रशासक नियुक्त किया जाता है. उस स्थिति में भी 6 महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है, लेकिन यहां इसका उल्टा है. निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन अभी तक चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित तक नहीं किया न ही सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन किया. इसलिए सरकार को फिर से निर्देश दिए जाएं कि निकायों के चुनाव जल्द कराए जाएं.

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सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में निकाय चुनाव में देरी पर दी ये दलील: आज यानी 13 अगस्त को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने हाईकोर्ट को उत्तराखंड में तय समय के भीतर निकाय चुनाव न होने की दलील दी. उनका कहना था कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की वजह से निकाय चुनाव नहीं हो पाए. क्योंकि, राज्य का प्रशासन लोकसभा के चुनाव संपन्न कराने में व्यस्त था. उसके बाद मानसून यानी बरसात का सीजन शुरू हो गया. ऐसे में आधा प्रशासन आपदा में व्यस्त है.

महाधिवक्ता ने अक्टूबर महीने तक निकाय चुनाव संपन्न कराने की कही बात: महाधिवक्ता बाबुलकर ने कोर्ट को अवगत कराया कि पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार ने निकाय चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया तैयार कर ली है. राज्य सरकार अक्टूबर महीने में निकाय चुनाव संपन्न करा लेगी. राज्य सरकार ने मोहम्मद अनवर की जनहित याचिका में चुनाव कराने का समय बढ़ाने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है. इसलिए उसे भी सुना जाए.

याचिकाकर्ता ने बताया कोर्ट के आदेश की अवहेलना: याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि तय समय के अनुसार चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना स्टेटमेंट देकर भी चुनाव नहीं कराए यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. अभी तक राज्य सरकार ने चुनाव संपन्न कराने वाली संस्था का राज्य चुनाव आयुक्त (State Election Commissioner) तक नियुक्त नहीं किया. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से आने वाले मंगलवार तक चुनाव कराने का पूरा प्लान पेश करने को कहा है.

राज्य सरकार की संवैधानिक विफलता: जनहित याचिका में कहा गया कि जनवरी में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास ने कोर्ट में पेश होकर कहा था कि 6 महीने के भीतर उत्तराखंड में नगर निकायों का चुनाव करा लिए जाएंगे. फिर अप्रैल में भी कहा था कि चुनाव 3 महीने के भीतर करा लिए जाएंगे. याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने सचिव के बयान रिकॉर्ड पर लेते हुए 6 महीने के भीतर चुनाव कराने को कहा था, लेकिन अभी तक सरकार ने चुनाव नहीं कराए और प्रशासकों का कार्यकाल भी बढ़ा दिया. जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की संवैधानिक विफलता है.

दिसंबर महीने में खत्म हो चुका निकायों का कार्यकाल: दरअसल, उधमसिंह नगर जिले के जसपुर निवासी मोहम्मद अनवर ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि नगर पालिकाओं और नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर महीने में खत्म हो चुका है, लेकिन कार्यकाल खत्म हुए 8 महीने बीत गए हैं, फिर भी चुनाव कराने का कार्यक्रम सरकार ने घोषित नहीं किया. उल्टा निकायों में अपने प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है. प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि जब कोई निकाय भंग की जाती है, तब प्रशासक नियुक्त किया जाता है. उस स्थिति में भी 6 महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है, लेकिन यहां इसका उल्टा है. निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन अभी तक चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित तक नहीं किया न ही सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन किया. इसलिए सरकार को फिर से निर्देश दिए जाएं कि निकायों के चुनाव जल्द कराए जाएं.

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