सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन के बनोग में सरकारी क्षेत्र में चल रही बिरोजा एवं तारपीन फैक्टरी पिछले कुछ सालों में सरकार के लिए कमाऊ पूत बनकर उभर रही है. वन निगम के नियंत्रण में चलने वाली इस फैक्टरी का अब सालाना कारोबार करीब 35 करोड़ तक पहुंच गया है. सरकार के लिए यह क्यों फायदेमंद साबित होने लगी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले सालाना 5 करोड़ रुपए का जीएसटी यही फैक्टरी सरकार के खजाने में राजस्व के तौर पर जमा करवा रही है.
दरअसल वन निगम के अंतर्गत सरकारी क्षेत्र में प्रदेश के नाहन व बिलासपुर में ही बिरोजा एवं तारपीन की 2 फैक्ट्रियां चल रही हैं. इनमें से वर्ष 1948 में स्थापित नाहन की फैक्टरी का जिक्र करें तो यह अपने वर्ल्ड क्लास शुद्ध उत्पादों के लिए जानी जाती है. यहां तैयार होने वाली फिनाइल की डिमांड इतनी अधिक रहती है कि उत्पादन से ज्यादा ऑर्डर मिलते हैं. ऐसे में कई बार आर्डर के मुताबिक उतना उत्पादन करना भी मुश्किल हो जाता है. यही नहीं फैक्टरी प्रबंधन ने इस वर्ष उत्पादन का लक्ष्य भी बढ़ाया है.
तारपीन-बिरोजे की गुणवत्ता टॉप क्लास
बिरोजा एवं तारपीन फैक्टरी नाहन के महाप्रबंधक एके वर्मा ने बताया कि यह फैक्टरी बरसों पुरानी है, जहां बिरोजे को प्रोसेस कर पक्का बिरोजा और तारपीन का तेल निकाला जाता है. ब्लैक जापान और फिनाइल भी यहां तैयार की जा रही है. इन अलावा उत्पादों को तैयार कर बेचा भी जा रहा है. गुणवत्ता काफी अच्छी होने के कारण मार्केट में इनकी डिमांड भी काफी ज्यादा है. जैसे ही ये सामान तैयार होता, वो तुरंत बिक जाता है. यहां के तारपीन व बिरोजे की गुणवत्ता टॉप क्लास होने के साथ वर्ल्ड लेवल की है.
आउटलेट से अब सभी को उपलब्ध हो रहे उत्पाद
एके वर्मा ने बताया कि प्रबंधन की ओर से पिछले कुछ समय से फैक्टरी के सुधार की दिशा में काफी अधिक काम किया गया. नेशनल हाईवे पर शिमला रोड़ पर फैक्टरी के बाहर एक आउटलेट (विक्रय केंद्र) भी बनाया गया. अभी तक उत्पाद बाहरी इलाकों में ही जाते थे. अब आउटलेट खुलने के बाद इसे स्थानीय लोगों सहित सभी को उपलब्ध करवाया जा रहा है. साथ ही फैक्टरी में उत्पादन को बढ़ाने के लिए मशीनरी को भी दुरूस्त किया गया. अन्य समस्याओं को भी दूर करने का प्रयास किया गया.
बिरोजा एवं तारपीने के उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाया
महाप्रबंधक वर्मा ने बताया कि फैक्टरी में पिछले वर्ष 2023-23 में 16200 क्विंटल बिरोजे का उत्पादन किया गया, जिसे बढ़ाकर इस वर्ष साढ़े 17000 क्विंटल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इसी तरह से तारपीन के उत्पादन को 3.90 क्विंटल से बढ़ाकर 3.95 लाख किया गया है. प्रबंधन की तरफ से उत्पादन बढ़ाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है, ताकि फैक्टरी की आमदनी को और अधिक बढ़ाया जा सके.
इस वर्ष 10 करोड़ के प्रॉफिट का लक्ष्य
एके वर्मा ने बताया कि चूंकि इस फैक्टरी के लिए सरकारी सहायता नहीं मिलती, इसलिए स्टाफ का वेतन आदि भी यही से निकालना पड़ता है. इसके साथ-साथ प्रॉफिट को भी जनरेट किया जाता है. पिछले वर्ष करीब 6 करोड़ रुपये का प्रॉफिट जनरेट किया गया था, जिसे इस वर्ष 10 करोड़ तक पहुंचाने के लिए प्रबंधन प्रयासरत है.
इस वजह से खास है तारपीन
महाप्रबंधक वर्मा ने फैक्टरी में तैयार हो रहे उत्पादों की खासियत का जिक्र करते हुए बताया कि यहां के तारपीन में अल्फा एंड बीटा की प्रतिशतता काफी ज्यादा है. इस तेल को सुगंधित चीजों या मेडिसिन के लिए भी प्रयोग किया जाता है. यही वजह है कि इसकी काफी अधिक डिमांड रहती है.
हिमाचल-हरियाणा में फिनाइल की सबसे अधिक डिमांड
एके वर्मा ने बताया कि फैक्टरी में तैयार होने वाली फिनाइल भी वर्ल्ड क्लास है. इसके सबसे बड़े खरीददार हिमाचल और हरियाणा के पशुपालन विभाग है. इस फिनाइल की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि यह पशुओं के घाव में दवाई के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है. यही कारण है कि फिनाइल के आर्डर पहले से ही बहुत ज्यादा रहते हैं और उसके मुकाबले उत्पादन कम रहता है. इसलिए प्रबंधन का प्रयास है कि फिनाइल का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जाए.
राजस्व व रोजगार देने में कारखाने का बड़ा योगदान
महाप्रबंधक ने बताया कि सरकार को राजस्व देने में भी इस कारखाने का बड़ा योगदान है. पिछले वर्ष 5 करोड़ रुपए का जीएसटी सरकार के खाते में डाला था और उससे पिछले वर्ष भी इतना ही जीएसटी यहां से जमा करवाया गया था. एक ओर जहां यहां से इतना अधिक जीएसटी सरकार को दिया जा रहा है, तो वहीं इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है. वहीं, अब आउटलेट के माध्यम से उत्पाद भी सभी लोगों के लिए उपलब्ध हो रहे हैं. इससे भी आमदनी बढ़ रही है.
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