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बिहार में अब 'रामसर साइट' की संख्या हुई 3, बेगूसराय के कांवर झील को पहले ही मिला दर्जा - Ramsar Site In Jamui - RAMSAR SITE IN JAMUI

Nagi And Nakati Bird Sanctuary: भारत प्राकृतिक विविधताओं वाला देश है. इन विविधताओं में से एक वेटलैंड भी है. जमुई में स्थित नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट का दर्जा दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर.

Ramsar Site In Jamui
नागी और नकटी रामसर साइट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 7, 2024, 3:24 PM IST

पटना: बिहार के जमुई जिला अंतर्गत झाझा वन क्षेत्र में स्थित नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट घोषित किया गया है. ये दोनों 'रामसर साइटें' मानव निर्मित जलाशय हैं, जिनके जलग्रहण क्षेत्रों में पहाड़ियों से घिरे शुष्क पर्णपाती वन हैं. इसी के साथ अब बिहार में रामसर साइट की संख्या 3 हो गई है, जिसका देश में स्थान क्रमश 81 और 82 है. इससे पूर्व बिहार में बेगूसराय स्थित कांवर झील को रामसर साइट का दर्जा दिया गया था.

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व: नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार की सचिव बंदना प्रेयषी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से खुशी का इजहार करते हुए लिखा कि विश्व पर्यावरण दिवस पर बिहार के जमुई जिले में नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स-रामसर स्थल घोषित किया गया है. इससे हमारे पक्षी संरक्षण प्रयासों में मदद मिलेगी.

वैश्विक स्तर पर जमुई की पहचान: जमुई वन प्रमंडल के डीएफओ तेजस जायसवाल ने बताया कि नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य का "रामसर साइट" घोषित होना हर्ष की बात है. मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद, जिन्होंने इसको संरक्षित और विकसित करने में अपना योगदान दिया है. यह जमुई के लिए बड़ी बात है, क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर जमुई की पहचान बनेगी. उन्होंने बताया कि रामसर साइट के लिए जमुई वन प्रमंडल निरंतर प्रयासरत थी. नागी-नकटी को रामसर साइट कैसे बनाया जाये, इसके लिए मुझे भारत सरकार ने प्रशिक्षण के लिए साउथ कोरिया भेजा, इसका लाभ भी मिला. यह बेहद खुशी की बात है कि यह जल्दी हो गया.

सर्दियों में आते हैं संकटग्रस्त प्रवासी प्रजाती: गौरतलब हो कि नागी पक्षी अभयारण्य (साइट संख्या 2545) नागी नदी पर बांध बनाने के बाद बनाया गया था, जिससे साफ पानी और जलीय वनस्पति के साथ धीरे-धीरे जल निकायों का निर्माण संभव हुआ. प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए इसके महत्व के कारण, इस स्थल को 1984 में स्थानीय स्तर पर एक पक्षी अभयारण्य के रूप में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (आईबीए) के रूप में मान्यता दी गई थी. साइट पर सर्दियों में आने वाली संकटग्रस्त प्रवासी प्रजातियों में गंभीर रूप से लुप्तप्राय बेयर पोचार्ड (अयथ्या बेरी) और लुप्तप्राय स्टेपी ईगल (एक्विला निपलेंसिस) शामिल हैं.

यहां है 33 मछलियों और 12 जलीय पौधों का घर: इस आर्द्रभूमि और इसके किनारे 75 से अधिक पक्षी प्रजातियों, 33 मछलियों और 12 जलीय पौधों के लिए आवास प्रदान करते हैं. विशेष रूप से, यह साइट इंडो-गंगेटिक मैदान पर बार-हेडेड गूज (एंसर इंडिकस) की सबसे बड़ी सभाओं में से एक की मेजबानी करती है. इसके अतिरिक्त, आर्द्रभूमि 9,800 एकड़ से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई के लिए पानी का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करती है और मनोरंजन, पर्यटन और शैक्षिक गतिविधियों के लिए एक स्थान के रूप में कार्य करती है.

पक्षी-दर्शन स्थल: 1984 में आर्द्रभूमि को पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित किया गया था, जिससे कई प्रवासी प्रजातियों के लिए सर्दियों के आवास के रूप में इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया. जिसमें सर्दियों के महीनों के दौरान 20,000 से अधिक पक्षी एकत्र होते हैं. इसमें भारत-गंगा के मैदान पर रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड (नेट्टा रूफिना) की सबसे बड़ी संख्या में शामिल है. स्थानीय लोगों के लिए यह साईट कृषि और घरेलू जल आपूर्ति के अपने कार्य के साथ-साथ, यह साइट एक मनोरंजक पक्षी-दर्शन स्थल के रूप में लोकप्रिय है.

कैसे पड़ा रामसर नाम: रामसर साइट रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की एक नम भूमि होती है, जिसे साल 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित ''वेटलैंड्स कन्वेंशन'' के रूप में भी जाना जाता है. इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहां उस वर्ष सम्मेलन पर सभी देशों ने हस्ताक्षर किये गए थे. रामसर साइट की पहचान दुनिया में नम यानी आ‌र्द्र भूमि के रूप में होती है. इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व है. इसमें ऐसी आ‌र्द्र भूमि शामिल की जाती है, जहां जल में रहने वाले पक्षी भी बड़ी संख्या में रहते है.

पढ़ें-पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में शामिल, 75 स्पॉट्स के लिए टैग हासिल करने का लक्ष्य

पटना: बिहार के जमुई जिला अंतर्गत झाझा वन क्षेत्र में स्थित नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट घोषित किया गया है. ये दोनों 'रामसर साइटें' मानव निर्मित जलाशय हैं, जिनके जलग्रहण क्षेत्रों में पहाड़ियों से घिरे शुष्क पर्णपाती वन हैं. इसी के साथ अब बिहार में रामसर साइट की संख्या 3 हो गई है, जिसका देश में स्थान क्रमश 81 और 82 है. इससे पूर्व बिहार में बेगूसराय स्थित कांवर झील को रामसर साइट का दर्जा दिया गया था.

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व: नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार की सचिव बंदना प्रेयषी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से खुशी का इजहार करते हुए लिखा कि विश्व पर्यावरण दिवस पर बिहार के जमुई जिले में नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स-रामसर स्थल घोषित किया गया है. इससे हमारे पक्षी संरक्षण प्रयासों में मदद मिलेगी.

वैश्विक स्तर पर जमुई की पहचान: जमुई वन प्रमंडल के डीएफओ तेजस जायसवाल ने बताया कि नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य का "रामसर साइट" घोषित होना हर्ष की बात है. मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद, जिन्होंने इसको संरक्षित और विकसित करने में अपना योगदान दिया है. यह जमुई के लिए बड़ी बात है, क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर जमुई की पहचान बनेगी. उन्होंने बताया कि रामसर साइट के लिए जमुई वन प्रमंडल निरंतर प्रयासरत थी. नागी-नकटी को रामसर साइट कैसे बनाया जाये, इसके लिए मुझे भारत सरकार ने प्रशिक्षण के लिए साउथ कोरिया भेजा, इसका लाभ भी मिला. यह बेहद खुशी की बात है कि यह जल्दी हो गया.

सर्दियों में आते हैं संकटग्रस्त प्रवासी प्रजाती: गौरतलब हो कि नागी पक्षी अभयारण्य (साइट संख्या 2545) नागी नदी पर बांध बनाने के बाद बनाया गया था, जिससे साफ पानी और जलीय वनस्पति के साथ धीरे-धीरे जल निकायों का निर्माण संभव हुआ. प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए इसके महत्व के कारण, इस स्थल को 1984 में स्थानीय स्तर पर एक पक्षी अभयारण्य के रूप में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (आईबीए) के रूप में मान्यता दी गई थी. साइट पर सर्दियों में आने वाली संकटग्रस्त प्रवासी प्रजातियों में गंभीर रूप से लुप्तप्राय बेयर पोचार्ड (अयथ्या बेरी) और लुप्तप्राय स्टेपी ईगल (एक्विला निपलेंसिस) शामिल हैं.

यहां है 33 मछलियों और 12 जलीय पौधों का घर: इस आर्द्रभूमि और इसके किनारे 75 से अधिक पक्षी प्रजातियों, 33 मछलियों और 12 जलीय पौधों के लिए आवास प्रदान करते हैं. विशेष रूप से, यह साइट इंडो-गंगेटिक मैदान पर बार-हेडेड गूज (एंसर इंडिकस) की सबसे बड़ी सभाओं में से एक की मेजबानी करती है. इसके अतिरिक्त, आर्द्रभूमि 9,800 एकड़ से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई के लिए पानी का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करती है और मनोरंजन, पर्यटन और शैक्षिक गतिविधियों के लिए एक स्थान के रूप में कार्य करती है.

पक्षी-दर्शन स्थल: 1984 में आर्द्रभूमि को पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित किया गया था, जिससे कई प्रवासी प्रजातियों के लिए सर्दियों के आवास के रूप में इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया. जिसमें सर्दियों के महीनों के दौरान 20,000 से अधिक पक्षी एकत्र होते हैं. इसमें भारत-गंगा के मैदान पर रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड (नेट्टा रूफिना) की सबसे बड़ी संख्या में शामिल है. स्थानीय लोगों के लिए यह साईट कृषि और घरेलू जल आपूर्ति के अपने कार्य के साथ-साथ, यह साइट एक मनोरंजक पक्षी-दर्शन स्थल के रूप में लोकप्रिय है.

कैसे पड़ा रामसर नाम: रामसर साइट रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की एक नम भूमि होती है, जिसे साल 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित ''वेटलैंड्स कन्वेंशन'' के रूप में भी जाना जाता है. इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहां उस वर्ष सम्मेलन पर सभी देशों ने हस्ताक्षर किये गए थे. रामसर साइट की पहचान दुनिया में नम यानी आ‌र्द्र भूमि के रूप में होती है. इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व है. इसमें ऐसी आ‌र्द्र भूमि शामिल की जाती है, जहां जल में रहने वाले पक्षी भी बड़ी संख्या में रहते है.

पढ़ें-पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में शामिल, 75 स्पॉट्स के लिए टैग हासिल करने का लक्ष्य

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