कुचामनसिटी. प्रदेशभर में हुंकार रैलियों का आयोजन कर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने अपना कद इतना बढ़ा लिया कि वे लगातार दूसरी बार नागौर से सांसद चुने गए. बेनीवाल ने 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद नागौर, बाड़मेर, बीकानेर, सीकर व जयपुर में पांच किसान हुंकार महा रैलियों का आयोजन कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई. बेनीवाल पिछले तीन दशक से सियासत की दुनिया में संघर्ष कर रहे हैं.
छात्र नेता के रूप में राजनीति की शुरुआत करने वाले हनुमान बेनीवाल ने 14 चुनाव लड़े, जिनमें चार हारे हैं, जबकि 10 चुनावों में जीत दर्ज करके राष्ट्रीय राजनीति में अपना मुकाम बनाया है. नागौर मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित बरणगांव से राजधानी जयपुर तक पढ़ाई की पहली सीढ़ी पार करने के साथ ही 1992 में उन्होंने पहला चुनाव राजस्थान कॉलेज से अध्यक्ष पद के लिए लड़ा, जिसमें वे हार गए. लेकिन फिर 1997 में आरयू से छात्रसंघ अध्यक्ष का निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद 2008 में पहली बार भाजपा से खींवसर से विधायक चुने गए. इसके बाद लगातार 3 बार विधायक चुने जाने के बाद 2019 में उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन कर नागौर से सांसद चुने गए.
बेनीवाल 2024 में दूसरी बार कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन में शामिल होकर सांसद बन गए. युवा, किसान, दलित व पीड़ित के लिए हमेशा से ही संघर्ष करने वाले बेनीवाल की जीत में उनकी ओर से किए गए आंदोलनों का बड़ा योगदान रहा है. हनुमान बेनीवाल को कुल 5 लाख 96 हजार 955 वोट मिले, वहीं भाजपा की डॉ. ज्योति मिर्धा को 5 लाख 54 हजार 730 वोट मिले. बेनीवाल ने यह चुनाव 42 हजार 225 वोटों से जीता. इस जीत के बाद अब जिले को कई सौगातें देने की मंशा रखने वाले हनुमान बेनीवाल के समर्थकों में भी विशेष उत्साह देखने को मिल रहा हैं.
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ये रहेंगी प्राथमिकताएं : सांसद बेनीवाल ने बताया कि कुछ रेलवे स्टेशनों का आधुनकीकरण पिछली बार अधूरा रह गया था, उन्हें पूरा करना है. परबतसर-किशनगढ़, मेड़ता-पुष्कर, फलौदी-नागौर- जायल-डीडवाना-सीकर और कुचामन की तरफ रेलवे लाइन का काम करवाना है. मकराना, डीडवाना, लाडनूं और नागौर को स्मार्ट सिटी बनाना है.
केंद्र सरकार का पैसा यहां लाएंगे : उन्होंने कहा कि नागौर शहर की सीवरेज लाइन से आम आदमी को राहत दिलाएंगे. नागौर से जुड़े नमक और मार्बल उद्योग को बढावा मिले, ऐसे प्रयास किए जाएंगे. खनीज नीति में बदलाव की मांग की जाएगी, ताकि किसानों को खनन के पट्टे मिल सके. पीने का शुद्ध पानी ढाणी-ढाणी पहुंचाने की योजना है.