कोरबा: सनातन धर्म में नाग की भी पूजा की जाती है. इसका भी विशेष महत्व है. खासतौर पर नाग पंचमी से इसका विशेष नाता है. नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध या जल से अभिषेक करने पर कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. नागदेवता पर दूध या जल अर्पण कर कोई भी व्यक्ति कालसर्प दोष से मुक्त हो सकता है. इसलिए नागपंचमी पर शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहता है. कोरबा शहर के सीतामणी से लेकर उपनगरीय क्षेत्र तक ऐसे मंदिर जहां शिवलिंग पर तांबे या अन्य धातु के नाग बने हुए हैं. वहां, भक्त बड़ी तादात में पहुंच रहे हैं और नाग देवता पर दूध और जल से अभिषेक कर कर रहे हैं.
सनातन धर्म में खास महत्व: कोरबा के सीतामणी स्थित शिव मंदिर के पुजारी सुखचरण का कहना है, "नाग पंचमी के दिन महादेव के प्रिय नागदेव पर दूध या जल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है. इस दिन कोई भी व्यक्ति नागदेव पर दूध और जल का अभिषेक कर कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकता है. नाग पंचमी को नाग पर दूध या जल अर्पण करके व्यक्ति पूरी तरह से अपने कालसर्प दोष को मिटा सकता है.
सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है. यह परंपरा त्रेता और द्वापर युग से चली आ रही है, इसलिए सभी से अपील है कि वह नाग पंचमी के दिन नाग पर दूध या जल का अभिषेक जरूर करें."
"नाग देवता महादेव के प्रिय हैं, इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का खास महत्व होता है. नाग पंचमी पर नाग देवता की आराधना करने से हमारे सारे कष्ट दूर होते हैं और हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. महादेव पर पंचामृत का अभिषेक करने के साथ ही नाग देवता का भी दूध और जल का अभिषेक करते हैं. इससे हमारे दोष मिलते हैं और कष्टों का निवारण होता है." -श्रद्धालु
अभिषेक का है खास महत्व: धर्म और आस्था के साथ कई कुरीतियां और अंधविश्वास भी सालों से चला आ रहा है. लोगों में यह भ्रांति भी है कि सांप दूध पीते हैं, जबकि यह सच नहीं है. अब श्रद्धालु इस बात को समझ रहे हैं कि सांप दूध नहीं पीते वह मांसाहारी होते हैं. इसलिए वह मंदिरों में जाकर नाग देवता पर दूध और जल अर्पण कर अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं. इस मान्यता से भी लोग नाग देवता की पूजा कर उन पर दूध और जल का अभिषेक करते हैं, ताकि उनके कालसर्प दोष मिट जाएं. इसका सनातन धर्म में खास महत्व है.