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नाग पंचमी: नागों के राजा वासुकी जो समुद्र मंथन में बने थे रस्सी, जलन से यहां मिली थी मुक्ति, यहां है मंदिर - naag panchami 2024 - NAAG PANCHAMI 2024

नाग पंचमी के मौके पर आज प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त उमड़ रहे हैं. आखिर इस मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यताएं क्या हैं चलिए जानते हैं.

naag panchami 2024 vasuki the king of snakes who created the rope during the churning of the ocean temple in prayagraj
नाग पंचमी पर नाग वासुकी मंदिर में पूजन को उमड़ी भीड़. (photo credit: etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 10:07 AM IST

प्रयागराज: संगम के तट पर स्थित नाग वासुकी मंदिर में नाग पंचमी के मौके पर आज बड़ी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन को पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि बाबा नाग वासुकी का आज के दिन दर्शन करने से काल सर्प दोष का निवारण होता है.

नाग पंचमी पर नाग वासुकी मंदिर में पूजन अर्चन जारी. (video credit: etv bharat)

मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की धार्मिक मान्यता बहुत है. शास्त्रों में इस मंदिर का वर्णन है. मान्यता है कि समुद्र मंथन में नागों के राजा वासुकी रस्सी बने थे. देवताओं और असुरों ने मंदराचल पर्वत पर लपेटकर उनका इस्तेमाल समुद्र मंथन में किया था. रगड़ के कारण उन्हें अत्याधिक जलन हुई थी. इस पर वासुकी ने महादेव और नारायण से इससे मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. इस पर देवों ने उन्हें प्रयागराज जाकर सरस्वती के जल का पान करने के लिए कहा. वासुकी ने ऐसा ही किया और जल पीते ही उन्हें जलन से मुक्ति मिल गई.

वासुकी यहीं गंगा तट पर आराम करने लगे. इस पर देवताओं ने वासुकी से इसी स्थान पर रहकर मनुष्यों के कष्टों का निवारण करने की विनती की. इसके बाद वह यहीं विराजमान हो गए. तबसे अनवरत उनकी पूजा-अर्चना हो रही है. वासुकी की पूजन-अर्चन का महत्व नाग पंचमी के दिन बहुत है. मान्यता है कि आज के दिन जो भी वासुकी का पूजन करता है उसे काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. नाग वासुकी का प्राचीन मंदिर संगम नगरी में त्रिवेणी संगम के नजदीक दारागंज इलाके में गंगा के तट पर है. आज के दिन उन्हें दूध चढ़ाने का विशेष फल है. वहीं नाग पंचमी के मौके पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ दर्शन को पहुंचने लगी. भक्त दूध और प्रसाद अर्पित कर परिवार के लिए मंगल कामना कर रहे हैं. यहां काल सर्प दोष के लिए अनुष्ठान भी किए जा रहे हैं.

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है)

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प्रयागराज: संगम के तट पर स्थित नाग वासुकी मंदिर में नाग पंचमी के मौके पर आज बड़ी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन को पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि बाबा नाग वासुकी का आज के दिन दर्शन करने से काल सर्प दोष का निवारण होता है.

नाग पंचमी पर नाग वासुकी मंदिर में पूजन अर्चन जारी. (video credit: etv bharat)

मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की धार्मिक मान्यता बहुत है. शास्त्रों में इस मंदिर का वर्णन है. मान्यता है कि समुद्र मंथन में नागों के राजा वासुकी रस्सी बने थे. देवताओं और असुरों ने मंदराचल पर्वत पर लपेटकर उनका इस्तेमाल समुद्र मंथन में किया था. रगड़ के कारण उन्हें अत्याधिक जलन हुई थी. इस पर वासुकी ने महादेव और नारायण से इससे मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. इस पर देवों ने उन्हें प्रयागराज जाकर सरस्वती के जल का पान करने के लिए कहा. वासुकी ने ऐसा ही किया और जल पीते ही उन्हें जलन से मुक्ति मिल गई.

वासुकी यहीं गंगा तट पर आराम करने लगे. इस पर देवताओं ने वासुकी से इसी स्थान पर रहकर मनुष्यों के कष्टों का निवारण करने की विनती की. इसके बाद वह यहीं विराजमान हो गए. तबसे अनवरत उनकी पूजा-अर्चना हो रही है. वासुकी की पूजन-अर्चन का महत्व नाग पंचमी के दिन बहुत है. मान्यता है कि आज के दिन जो भी वासुकी का पूजन करता है उसे काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. नाग वासुकी का प्राचीन मंदिर संगम नगरी में त्रिवेणी संगम के नजदीक दारागंज इलाके में गंगा के तट पर है. आज के दिन उन्हें दूध चढ़ाने का विशेष फल है. वहीं नाग पंचमी के मौके पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ दर्शन को पहुंचने लगी. भक्त दूध और प्रसाद अर्पित कर परिवार के लिए मंगल कामना कर रहे हैं. यहां काल सर्प दोष के लिए अनुष्ठान भी किए जा रहे हैं.

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है)

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