राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ की धरती कई तरह के वन संपदा और अद्भुत प्राकृतिक तथ्यों को समेटे हुए है. यहां घने जंगल, गुफा और गुफा में स्थापित धाम कई वर्षों से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता आया है. इसी श्रेणी में राजनांदगांव का मंडीप खोल गुफा है. जिसे हर साल अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार को खोला जाता है. इस गुफा में शिवलिंग स्थापित है जिसके दर्शन करने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु बाबा मंडीप खोल के दरबार में पहुंचते हैं.
कहां है मंडीप खोल गुफा: छत्तीसगढ़ का मंडीप खोल गुफा राजनांदगां से अलग होकर बने नए जिले खैरागढ़ छुईखदान गंड़ई में स्थित है.मण्डीप खोल गुफा को लेकर कई रियासत कालीन मान्यताएं जुड़ी हैं. वर्षो से ठाकुरटोला के जमींदार इस गुफा को अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले सोमवार को केवल एक दिन के लिए विधिवत पूजा अर्चना कर खोलते हैं. चट्टान हटाने से जंगली जानवरों से बचाव के लिए पहले हवाई फायर भी किया जाता है.गुफा में पहले प्रवेश जमींदार परिवार के लोग ही करते हैं और वहा स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं.
क्या है मंडीप खोल गुफा का रहस्य: मण्डीप खोल गुफा कई तरह के रहस्य और रोमांच को अपने अंदर समेटे हुए है. यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि कैसे बाहर पड़ रही भीषण गर्मी का असर गुफा के अंदर नहीं पड़ता है. यहां जो भी शख्स गुफा के अंदर जाता है वह अजीब तरह के ठंडक और शीतलता का एहसास करता है. सकरे मुंह वाली इस गुफा के अंदर अनेक बड़े कक्ष स्थापित हैं. कई साल पहले यहां आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने सर्वेक्षण किया था. जिसमें यह पाया गया था कि यह देश की सबसे लंबी और एशिया की दूसरी सबसे लंबी गुफा है.
इस गुफा की खासियत जानिए: इस गुफा को लेकर कई तरह के अनुसंधान किए जाने की जरूरत है. बताया जाता है कि कई तरह के रिसर्च अभी इस गुफा को लेकर होने बांकी हैं. भौगोलिक दृष्टिकोण की बात करें तो यह मण्डीप खोल गुफा मैकल पर्वत माला के खूबसूरत हिस्से में स्थित है. यहां किसी के लिए पहुंचना इतना आसान नहीं है. गुफा तक पहुंचने के मार्ग में कोई स्थाई रास्ता नहीं है. बताया जाता है कि पैलीमेटा या ठाकुरटोला तक ही सड़क मार्ग मौजूद है. इसके बाद भक्तों और श्रद्धालुओं को घोर जंगल से होते हुए कई पहाड़ों को पार कर पहुंचना पड़ता है. इस दौरान श्रद्धालुओं को कई नदी नाले भी पार करने पड़ते हैं. गुफा के पास एक कुंड है और इस कुंड से श्वेत गंगा निकलती है. इस गंगा को श्रद्धालु 16 बार पार करते हैं तब जाकर भोलेनाथ के दर्शन हो पाते हैं.
इस साल भी अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार को गुफा का दरवाजा खोला गया. जिसके बाद आस्था का सैलाब यहां उमड़ पड़ा. दूर दूर से लोग इस गुफा के दर्शन के लिए पहुंचने लगे. हर साल यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और भक्तों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है.