मुजफ्फरपुरः 14 साल के लड़के की मौत के बाद मुजफ्फरपुर का जूरन छपरा रणक्षेत्र में तब्दील हो गया. मृतक के परिजनों और अस्पताल कर्मचारियों के बीच काफी देर तक मारपीट होती रही. यहां तक कि मौके पर पहुंची पुलिस भी काफी देर तक इस बवाल को रोकने में नाकाम रही.बवाल इतना बढ़ गया कि कई थानों की पुलिस के साथ सिटी एएसपी को मौके पर आना पड़ा. 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत कराया.
दिल का मरीज था 14 वर्षीय आयुषः पूरा मामला ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के जूरन छपरा स्थित एक निजी अस्पताल का है, जहां इलाज के लिए भर्ती 14 साल के आयुष की मौत हो गयी. आयुष मुशहरी थाना इलाके के प्रह्लादपुर के रहनेवाले राकेश पासवान का पुत्र था और उसे दिल की बीमारी थी. लेकिन इलाज के दौरान आयुष की मौत हो गयी, जिसके बाद परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया और फिर दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई.
"आयुष को हार्ट की समस्या थी.उसे केजरीवाल अस्पताल लाया गया था. वहां कुछ लोग मिले, जो बहला फुसलाकर निजी अस्पताल लेकर गए. वे लोग दलाल थे,जो अस्पताल के लिए कमीशन पर मरीज को लाते हैं.वे लोग आयुष को अस्पताल में भर्ती करवा दिए. दो दिन बाद से अस्पताल प्रबंधन मरीज से मिलने नहीं दे रहा था. यह सुनकर गांव से अन्य परिजन भी पहुंचे. उन्होंने सवाल किया तो उन्हें धक्के देकर बाहर निकाल दिया गया.1 लाख 22 हजार का बिल दे दिया. विरोध करने पर गाली गलौज की गई. इस निजी अस्पताल के अन्य संस्थान से बाउंसर मंगवाए गये. उनसे धक्के दिलवाए गये." राकेश पासवान, मृतक आयुष के पिता
कई थानों की पुलिस को बुलाना पड़ाः परिजनों और अस्पतालकर्मियों के बीच करीब 2 घंटे तक मारपीट चलती रही. बवाल बढ़ता देख ब्रह्मपुरा, सदर, अहियापुर, मिठनपुरा, नगर, काजीमोहम्मदपुर, क्यूआरटी समेत कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंचीं. वहीं एएसपी सिटी भानु प्रताप सिंह भी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे, जिन्होंने अस्पताल प्रबंधन और पीड़ित परिजनों से बातचीत कर दोनो पक्षों को शांत कराया.
''हंगामे की सूचना पर पुलिस पहुंची है. दोनो पक्षों ने आपस में मारपीट की है. हंगामा शांत करा दिया गया है.दोनो पक्षों ने आपस में समझौता किया है.दोनो पक्षों से बांड भी भरवाया गया है. आगे किसी तरह की कोई बात आती है तो दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी"- भानुप्रताप सिंह, एएसपी ( सिटी)
पुलिस पर भी आरोपः मामले में पुलिस पर भी लापरवाही बरतने की बात सामने आ रही है. बताया जाता है कि शुक्रवार शाम को परिजन ब्रह्मपुरा थाना गये थे और घटना की जानकारी दी थी, लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया. अस्पताल प्रबंधन ने शव रख लिया था और बिना पैसे के शव देने से इंकार रहे थे. शनिवार सुबह भी जब परिजन अस्पताल गये तो उनसे पैसे की मांग की गयी, जिसके बाद ये बवाल शुरू हुआ.
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