मुजफ्फरपुर: जब अस्पताल ने पीड़ित को मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं दिया, तो पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग में मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा के माध्यम से परिवाद-पत्र दाखिल किया. परिवाद पर सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पियूष कमल दीक्षित और सदस्य सुनील कुमार तिवारी द्वारा अस्पताल के प्रबंध निदेशक को आयोग के समक्ष हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया गया.
अस्पताल ने जारी नहीं किया मृत्यु प्रमाण पत्र: पूरा मामला जिले के करजा थाना अंतर्गत रक्सा गांव का है. इसी गांव के बबन ठाकुर की पत्नी शांति देवी पिछले वर्ष 30 अगस्त को कांटी थाना क्षेत्र के हरचंदा चौक के पास सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी. उसे इलाज के लिए उसी दिन जिले के जुरन छपरा स्थित आसव हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां पर इलाज के दौरान बबन ठाकुर की पत्नी शांति देवी की मौत 31 अगस्त 2023 को हो गई.
जिला उपभोक्ता आयोग ने जारी किया नोटिस: उसके बाद मृतिका का पोस्टमार्टम भी एसकेएमसीएच में हुआ. विदित हो कि परिवादी बबन ठाकुर ने वाहन मालिक के विरुद्ध कांटी थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराया. उसके बाद परिवादी बबन ठाकुर मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए अस्पताल का चक्कर लगाने लगा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा पीड़ित बबन ठाकुर को आजतक मृत्यु प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया.
पत्नी की हो गई थी मौत: परिवादी का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा उसे दौड़ाते-दौड़ाते परेशान कर दिया गया. अंत में थक-हारकर परिवादी ने मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस.के.झा के माध्यम से अस्पताल के विरुद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद दाखिल किया. परिवादी का कहना है कि उसने अस्पताल प्रबंधन को अपनी पत्नी के इलाज के लिए कुल पचहत्तर हजार रुपये का भुगतान भी किया था.
9 सितंबर को कोर्ट के समक्ष होना होगा पेश: परिवादी ने अपने परिवाद-पत्र के माध्यम से मृत्यु प्रमाण-पत्र की मांग की है और आर्थिक, मानसिक व शारीरिक हर्जाना के मद में एक लाख रुपये का दावा भी अस्पताल पर किया है. आयोग के द्वारा अस्पताल के प्रबंध निदेशक को 9 सितम्बर को आयोग के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया है.
"अस्पताल प्रबंधन के द्वारा मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं दिया जाना उपभोक्ता संरक्षण नियमावली के तहत सेवा में कमी की कोटि का मामला है. अस्पताल प्रबंधन के लापरवाह पूर्ण रवैये से परिवादी काफी व्यथित है. इन्हें हर हाल में न्याय मिलना चाहिए."- एस.के.झा, परिवादी के अधिवक्ता