अलवर. शहर में भगवान जगन्नाथ का मेला महोत्सव और मुहर्रम की तारीखें एक ही दिन होने से मेव समाज ने अनूठी पहल की है. इस बार मुहर्रम पर शहर में ताजियों का मातमी जुलूस निकालने के बजाय जेल चौराहे स्थित कर्बला मैदान पर सीधे ही ताजियों को दफन किया जाएगा. इससे पूर्व हर साल मुहर्रम पर शहर के रोड नम्बर दो स्थित मेव बोर्डिंग से दोपहर के समय ताजियों का मातमी जुलूस निकाला जाता था. यह जुलूस शहर से होकर शाम को कर्बला मैदान पर पहुंचता था और बाद में वहां ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया जाता था. इस बार मुहर्रम पर ताजियों का मातमी जुलूस शहर में नहीं निकाला जाएगा.
ताजिया नहीं निकालने का निर्णय : जिला मेव पंचायत के संरक्षक शेर मोहम्मद ने बताया कि इस बार 17 जुलाई को एक ही दिन अलवर में मोहर्रम और जगन्नाथजी का मेला है. इस दिन दोनों ही कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. ऐसे में कानून व्यवस्था बनाए रखने और सदभाव बनाने के चलते जिला मेव पंचायत और ताजिया कमेटी ने मोहर्रम पर अलवर शहर में से होकर ताजिया नहीं निकालने का निर्णय लिया है.
पढ़ें. अलवर के राजगढ़ में भी निकली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, देखें VIDEO
16 जुलाई को मनेगी कत्ल की रात : शेर मोहम्मद ने बताया कि अलवर में इस बार कत्ल की रात 16 जुलाई को मनाई जाएगी. इसी दिन शाम को 7 बजे नंगली मोहल्ले से छोटा ताजिया भगत सिंह सर्किल के लिए प्रस्थान करेगा. इसके अलावा अलवर के मेव बोर्डिंग से निकलने वाला बड़ा ताजिया भी छोटे ताजिया के साथ भगत सिंह सर्किल पर पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि भगत सिंह सर्किल से ही दोनों ताजियों को जेल चौराहा स्थित कर्बला मैदान ले जाया जाएगा और अगले दिन 17 जुलाई को कर्बला मैदान में दोनों ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
रूपबास स्थित मंदिर पर लक्खी मेला : अलवर जिले में भगवान जगन्नाथ का मेला महोत्सव शुरू हो चुका है. महोत्सव के प्रमुख कार्यक्रमों की शुरुआत आगामी 14 जुलाई से होनी है. वहीं, शहर में 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी. साथ ही 19 जुलाई को वापस लौटेगी. इस बीच 17 जुलाई को वर महोत्सव मनाया जाएगा, इस दिन लोगों की काफी भीड़ रहेगी. महोत्सव के तहत अलवर शहर के रूपबास स्थित मंदिर पर लक्खी मेला भरेगा. इस मेले में शामिल होने के लिए जिले भर से बड़ी संख्या में लोग अलवर आते हैं. इस कारण मेले के दिन पूरे शहर में भीड़भाड़ रहती है. इस बार 17 जुलाई को ही मुस्लिम समुदाय का मुहर्रम है.
पढ़ें. उदयपुर में धूमधाम से निकली जगन्नाथ रथ यात्रा, 21 बंदूकों की दी सलामी, यहां कीजिए दर्शन
अलवर में पहली बार नहीं निकलेगा जुलूस : मोहर्रम पर हर बार अलवर शहर में ताजिए का मातमी जुलूस निकालने का सैकड़ों साल पुराना रिवाज इस बार बदलने वाला है. बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 7 जुलाई से मुस्लिम समुदाय के पहले महीने मोहर्रम की शुरुआत हो चुकी है. आने वाली 17 जुलाई को मोहर्रम है, लेकिन इस बार भगवान जगन्नाथजी की रथयात्रा महोत्सव को देखते हुए अलवर शहर में मोहर्रम पर ताजिए का मातमी जुलूस नहीं निकाला जाएगा. शेर मोहम्मद का कहना है कि वर्ष 1956 में सड़क नंबर 2 पर मेव बोर्डिंग से पहली बार अलवर में मोहर्रम का ताजिया निकाला था, जो लगातार निकलता आ रहा है. इससे पहले राजा-महाराजाओं की देख रेख में महल चोक से अलवर शहर के तेज मंडी तक ताजिए का जुलूस निकाला जाता था.