वाराणसी: यूपी में रामनवमी के अवसर पर बुधवार को जगह-जगह मंदिरों में भगवान राम की पूजा की गई. इस दौरान लोगों ने भजन भी गाए. वहीं, काशी में करीब 19 साल से भगवान राम की पूजा-आरती करती आ रहीं काशी की मुस्लिम महिलाओं ने भी पूजा अर्चना की.
इस दौरान उन्होंने पूरी दुनिया को एकता का संदेश दिया. साथ ही यह भी बताया की काशी ने हमेशा से जिस गंगा-जमुनी तहजीब को अपने में समेट कर रखा है, वह आज भी जिंदा है. इन महिलाओं ने कहा कि भले ही हमने पूजा पद्धति बदल दी है, लेकिन हम अपने पूर्वज नहीं बदल सकते हैं. श्रीराम शक्ति, भक्ति और प्रेम का नाम हैं. हम सभी उनमें ही समाहित हैं.
भगवान राम की आरती करने वाली महिलाओं ने कहा कि हम सभी हिन्दू-मुस्लिम बहनों ने मिलकर भगवान श्रीराम की आरती उतारी. यह एकता का संदेश है. काशी हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल पेश करती आई है. हम सभी पूरे समाज को यह बताना चाहते हैं कि हम हमेशा से एक थे. एक हैं और एक रहेंगे. प्रभु श्रीराम का जब नाम आता है तो दिमाग में यही आता है कि श्रीराम शक्ति, भक्ति और प्रेम का नाम हैं. हम सभी उनमें ही समाहित हैं. हम उनसे कभी अलग भी नहीं हो सकते हैं, क्योंकि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति वह चाहे किसी भी धर्म या जाति, पंथ का हो, उसके पूर्वज भगवान श्रीराम हैं. हमारी ये संस्कृति और सभ्यता है.
हम अपने पूर्वज नहीं बदल सकते हैं
उन्होंने कहा कि हमने अपनी पूजा पद्धति तो बदली है, लेकिन हम अपनी संस्कृति और सभ्यता नहीं बदल सकते हैं. आज हम सभी ने प्रभु राम की आरती उतारकर पूरे समाज को एकता का संदेश दिया है. रामनवमी के पावन पर्व पर हम लोगों ने भगवान श्रीराम की आरती उतारी. पूरी दुनिया को यह संदेश देने का काम किया कि चाहे हम किसी भी मत, पंथ और विचारधारा के मानने वाले हों, हम किसी भी संस्कृति को मानने वाले हैं. मगर हम अपने पूर्वजों को नहीं बदल सकते हैं. हम धर्म, संस्कृति बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज नहीं. भगवान श्रीराम का ऐसा चरित्र है कि उनके आचरण को अपनाकर पूरी दुनिया में शांति कायम की जा सकती है.
दुनिया को भगवान राम के चरित्र की जरूरत
महिलाओं ने कहा कि श्रीराम ऐसा चरित्र हैं, जिन पर चलकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा हो सकती है, संस्कृति का भी कोई खतरा नहीं होगा. आज पूरी दुनिया में युद्ध का माहौल है, संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है. महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार किया जा रहा है. महिलाओं को नग्न कर सड़कों पर घुमाया जा रहा है. ऐसे में भगवान राम के चरित्र की आवश्यकता है. जिस तरह से भगवान राम ने रावण को मारने के बाद भी वहां की संस्कृति को नष्ट नहीं किया, बालि का वध करने के बाद भी वहां की संस्कृति को नष्ट नहीं किया. ऐसे में हमें भगवान राम से सीखने की जरूरत है कि हम किसी भी संस्कृति को नष्ट नहीं कर सकते हैं.
मथुरा और काशी मुक्त होनी चाहिए
उन्होंने कहा कि भगवान राम से सीखा जा सकता है कि संस्कृति के अनुसार किसी भी स्थान पर शांति कायम की जा सकती है. पूरी दुनिया भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चले, ऐसा हमने संदेश देने का काम किया है. भगवान को मानने और उनकी आरती करने के साथ ही अयोध्या, काशी और मथुरा के मामले में मुसलमानों की संख्या बढ़ती जा रही है. मुसलमान कह रहा है कि अयोध्या, मथुरा और काशी मुक्त होनी चाहिए. भगवान श्रीराम की आरती हम लोग 19 साल से कर रहे हैं. रामनवमी और दीपावली के अवसर पर हम लोग भगवान राम की आरती करते चले आ रहे हैं. इसके साथ ही पूरी दुनिया को एकता का संदेश देने का काम कर रहे हैं.
जात-पात का भेद मिटाकर राम का बनने के लिए तैयार हो
वहीं, विशाल भारत संस्थान में राम पंथ के अंतर्गत राम नवमी के अवसर पर महादीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें 1100 लोगों ने मंत्र दीक्षा ली. उन सभी ने राम को स्वीकार किया है. इस कार्यक्रम में संत बालक दास जी महाराज ने बताया कि राम को अपना पूर्वज मानकर आदिवासियों ने और मुस्लिम वर्ग के लोगों ने राम मंत्र लिया है. उन सभी ने कहा कि राम हमारे पूर्वज हैं. राम के पद चिन्हों पर चलना उन सभी ने स्वीकार किया. यह प्रक्रिया पूरे भारत में जारी रहेगी. सभी जात-पात का भेद मिटाकर राम का बनने के लिए तैयार हो गए, जो ईसाई बनना चाहते थे, उन्हें भी आज लगा कि राम ही उनके ईष्ट हैं, उनके पूर्वज हैं. उन सभी ने आज राम मंत्र लेकर दीक्षा ग्रहण की है.
राम नवमी पर स्मृति ईरानी ने किया पूजा
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बुधवार को राम नवमी के अवसर पर अमेठी के कई मंदिरों में पूजा किया. इस दौरान स्मृति ईरानी ने अमेठी के हर नागरिक की ओर से भारत वर्ष के सभी सनातनियों को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि 500 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद आज राम भक्त अनुभव कर पाए है, जिस तरह से श्री राम लला के ललाट पर स्वयं सूर्य देव ने तिलक किया है. इस दृश्य को देखकर सभी राम भक्त अभिभूत हुए है. जब भव्य राम मंदिर निर्मित हुआ था तब भी राम जी के नाम से पूरे विश्व में एक गूंज उठी थी.
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