कानपुर : देश में अधिकतर किसान गेहूं, चावल, दाल व कई सब्जियों की खेती करते हैं. हालांकि तमाम ऐसे भी किसान हैं, जो मशरूम की खेती करते हैं या करना चाहते हैं. ऐसे किसानों के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) का मशरूम विभाग ने पहल की है. सीएसए के अंदर किसानों के लिए छह दिवसीय ट्रेनिंग दी जाती है. सूबे के कई शहरों से युवा किसानों ने हिस्सा लेकर प्रशिक्षण हासिल किया है. इसमें उन्हें ढींगरी मशरूम, आयरन जिंक व कैल्शियम से भरपूर वैरायटी वाले मशरूम समेत अन्य प्रजातियों के पैदावार की जानकारी दी गई.
महज 500 रुपये से शुरू कर सकते हैं खेती : सीएसए के मशरूम शोध एवं विकास केंद्र के प्रभारी डाॅ. एसके बिस्वास ने बताया कि किसान महज 500 रुपये लगाकर मशरूम की खेती शुरू कर सकते हैं. इतनी कम लागत में वह 30 से 40 किलोग्राम तक ढिंगरी मशरूम उगा सकते हैं और उसे बेच सकते हैं. जिसकी कीमत 3000-4000 रुपये के बीच होगी. ऐसे में किसानों को 500 रुपये लगाकर छह से आठ गुना तक अधिक लाभ मिल सकता है. अभी तक सीएसए के मशरूम विभाग से बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, नेपाल के किसान प्रशिक्षण ले चुके हैं.
किसानों की राय : भदोही के किसान मिहिर मौर्या का कहना है कि वह अभी तक दाल-चावल व गेहूं की खेती कर रहे थे. हालांकि अब वह इस सीजन से मशरूम की खेती करेंगे. सीएसए में दिया गया प्रशिक्षण काफी जानकारीपरक रहा.
बांदा निवासी इरशाद अहमद ने बताया कि वह पिछले कई साल से आर्गेनिक खेती कर रहे हैं. अब आगामी दिनों में पहली बार मशरूम की खेती शुरू करेंगे. इसके लिए उन्होंने सीएसए में प्रशिक्षण हासिल किया है. इसमें उन्हें मशरूम का कल्टीवेशन, बीज बनाना, मार्केटिंग आदि की जानकारी मिली है.
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