रांची: झारखंड में नगर निकाय चुनाव पहेली बना हुआ है. सरकार द्वारा हाईकोर्ट के एकल बेंच के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दिए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि फिलहाल चुनाव होना संभव नहीं है. इन सबके बीच निवर्तमान पार्षदों ने सरकार के खिलाफ अवमाननावाद दायर कर हाईकोर्ट में सरकार के एसएलपी को चुनौती दी है.
याचिकाकर्ता अरुण कुमार झा ने सरकार की उदासीन रवैया पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले पर चुनाव कराने के बजाय सरकार ने इसे डबल बेंच में चुनौती देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि शहर की सरकार के प्रति क्या सोच है. पूर्व पार्षदों के द्वारा दाखिल अवमाननावाद कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और जल्द ही इसपर सुनवाई होने की संभावना है.
आपको बता दें कि सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए डबल बेंच में यह कहकर गुहार लगाई है कि सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट कराने की तैयारी की है और इसको लेकर आयोग का गठन भी किया गया है. ऐसी स्थिति में सिंगल बेंच का तीन सप्ताह में चुनाव कराने की घोषणा संबंधी न्यायादेश उचित नहीं है.
अधर में नगर निकाय चुनाव, राज्य को उठानी पड़ेगी क्षति: राज्य में 27 अप्रैल 2023 से पूरी तरह नगर निकाय क्षेत्र अधिकारियों के भरोसे है.शहर की सरकार का कार्यकाल समाप्त होने की वजह से राज्य सरकार को केन्द्र से मिलनेवाली वित्तीय सहायता प्रभावित होगा.15 वें वित्त आयोग के मद से मिलनेवाली झारखंड की राशि में कटौती होगी जिसका असर अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 से देखने को मिलेगा. इसके अलावे केन्द्रीय शहरी योजना मद की राशि में भी कटौती देखने को मिलेगा. इन सबके बीच विकास कार्य प्रभावित होने के साथ साथ आम लोगों को पार्षदों के माध्यम से मिलनेवाली सुविधा का अभाव भी देखा जा रहा है. बहरहाल शहर की सरकार को लेकर चल रहे कानूनी दाव पेंच के बीच उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही हाई कोर्ट से कोई रास्ता निकलेगा और राज्य में नगर निकाय चुनाव का रास्ता प्रशस्त होगा.
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