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गोरखपुर में पोखरों को मिलेगी संजीवनी; जलीय जीवों की रक्षा के साथ होगी सफाई, साउथ अफ्रीका में काम करने वाली कंपनी को मिली जिम्मेदारी - Cleaning of ponds in Gorakhpur

यूपी के गोरखपुर में नगर निगम तालाबों की सफाई करवाने जा रहा है. तालाबों के अंदर जलीय (Cleaning of ponds in Gorakhpur) जीवों को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिले इसके लिए एरेटर से उनकी सफाई होगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 4:27 PM IST

गोरखपुर : नगर निगम अपनी सीमा के अंदर स्थित पुराने पोखरों की सफाई करवाने जा रहा है. इस सफाई में खास बात यह होगी कि इस दौरान जलीय जीवों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा. इसके बाद इन पोखरों का सौंदर्यीकरण कर इन्हें पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित करने की योजना नगर निगम की है.

रिकार्ड की मानें तो नगर निगम सीमा में कुल 90 पोखर हैं. इसमें अधिकांश पर कब्जा है, जिसको हाईकोर्ट के आदेश के बाद कब्जा मुक्त कराने और उन्हें पुराने स्वरूप में लाने में निगम जुटा है, लेकिन करीब एक दर्जन पोखर ऐसे हैं जो घनी आबादी के बीच हैं. इनके चारों तरफ घर बन चुके हैं. इनमें बारिश और गन्दा पानी भी गिरता है, जिससे काॅलोनी वासियों को दिक्कतें भी खूब होती हैं.


यही वजह है कि अब इन पोखरों की सूरत बदलने में निगम जुट गया है. जिस कंपनी को इसकी सूरत बदलने का काम दिया गया है वह इंडियन है, लेकिन उसके कार्य की सफलता और गुणवत्ता साउथ अफ्रीका में किए गए कार्यों के आधार पर आंकी गई है, जो पोखरों की सफाई में बुलबुले की तकनीक अपनाकर सफाई करेगी, जिससे जलीय जीवों के जीवन को कोई खतरा नहीं होगा. कंपनी का दावा है कि उसके सफाई में जलीय जीवों को कोई नुकसान नहीं होगा और उन्हें भरपूर ऑक्सीजन मिलेगा. सफाई की जो विधि होगी वह छोटे-छोटे बुलबुले पर आधारित होगी और अन्य कई विधियां भी अपनाई जाएंगी.

नगर निगम के मुख्य अभियंता संजय चौहान कहते हैं कि फिलहाल इस कार्य में सिर्फ एक पोखरे का काम अभी कंपनी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिया गया है. मोती पोखरे से इसकी शुरुआत होगी. काम अच्छा रहेगा तो बाकी पोखरों की सफाई को आगे बढ़ाया जायेगा. उन्होंने कहा कि शहर की बढ़ती आबादी को घूमने फिरने के लिये भी यह पोखरे आने वाले समय में एक पिकनिक स्पॉट के रूप में मिलेंगे. साफ-सफाई से इसे दुर्गंध मुक्त और गहरा बनाया जायेगा, जिससे यहां घूमने-टहलने आने वाले लोगों को बेहतरी और अच्छे माहौल का अनुभव हो.

इसके किनारे जाॅगिंग ट्रैक, बैठने के बेंच और कुछ योगा, कसरत प्वाइंट भी बनाया जायेगा जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा. यहां लगने वाली लाइटें भी आकर्षक होंगी. शहर के रामगढ़ ताल पर बढ़ती भीड़ को भी यह नियंत्रित करने में सहयोग करेगा. उन्होंने बताया है कि पोखरे की सफाई करने में केमिकल का उपयोग करने पर जलीय जीव को नुकसान हो सकता है, इसलिए बुलबुले की तकनीक को अपनाकर एरेटर के माध्यम से इसकी सफाई होगी. यह छोटे-छोटे बुलबुलों की मदद से पानी को साफ करता है, जिससे उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है.

उन्होंने कहा कि नगर निगम इसके साथ ही खरैया पोखरा, गंगानगर और सुमेर सागर पोखरे के भी सुंदरीकरण में जुटा है. बाकी अन्य पोखरों की तलाश की जा रही है. भेड़ियागढ़ पोखरे से अवैध निर्माण को हटाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है तो राप्ती नगर के गंगानगर पोखरे, मानबेला में झुंगिया पोखरा और इंजीनियरिंग कॉलेज क्षेत्र में भैरपुर पोखरे का चयन अमृत सरोवर योजना में किया गया है. बाकी और पोखरे, तालाबों की सुधि ली जा रही है.

यह भी पढ़ें : घर का कूड़ा सड़क पर फेंका तो 20 जून से देना होगा जुर्माना, 10 हजार रुपये तक लग सकती है पेनाल्टी - Municipal Corporation Gorakhpur

यह भी पढ़ें : सीएम योगी ने गोरखपुर को दी करोड़ों की सौगात, चारकोल प्लांट के लिए एमओयू साइन

गोरखपुर : नगर निगम अपनी सीमा के अंदर स्थित पुराने पोखरों की सफाई करवाने जा रहा है. इस सफाई में खास बात यह होगी कि इस दौरान जलीय जीवों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा. इसके बाद इन पोखरों का सौंदर्यीकरण कर इन्हें पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित करने की योजना नगर निगम की है.

रिकार्ड की मानें तो नगर निगम सीमा में कुल 90 पोखर हैं. इसमें अधिकांश पर कब्जा है, जिसको हाईकोर्ट के आदेश के बाद कब्जा मुक्त कराने और उन्हें पुराने स्वरूप में लाने में निगम जुटा है, लेकिन करीब एक दर्जन पोखर ऐसे हैं जो घनी आबादी के बीच हैं. इनके चारों तरफ घर बन चुके हैं. इनमें बारिश और गन्दा पानी भी गिरता है, जिससे काॅलोनी वासियों को दिक्कतें भी खूब होती हैं.


यही वजह है कि अब इन पोखरों की सूरत बदलने में निगम जुट गया है. जिस कंपनी को इसकी सूरत बदलने का काम दिया गया है वह इंडियन है, लेकिन उसके कार्य की सफलता और गुणवत्ता साउथ अफ्रीका में किए गए कार्यों के आधार पर आंकी गई है, जो पोखरों की सफाई में बुलबुले की तकनीक अपनाकर सफाई करेगी, जिससे जलीय जीवों के जीवन को कोई खतरा नहीं होगा. कंपनी का दावा है कि उसके सफाई में जलीय जीवों को कोई नुकसान नहीं होगा और उन्हें भरपूर ऑक्सीजन मिलेगा. सफाई की जो विधि होगी वह छोटे-छोटे बुलबुले पर आधारित होगी और अन्य कई विधियां भी अपनाई जाएंगी.

नगर निगम के मुख्य अभियंता संजय चौहान कहते हैं कि फिलहाल इस कार्य में सिर्फ एक पोखरे का काम अभी कंपनी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिया गया है. मोती पोखरे से इसकी शुरुआत होगी. काम अच्छा रहेगा तो बाकी पोखरों की सफाई को आगे बढ़ाया जायेगा. उन्होंने कहा कि शहर की बढ़ती आबादी को घूमने फिरने के लिये भी यह पोखरे आने वाले समय में एक पिकनिक स्पॉट के रूप में मिलेंगे. साफ-सफाई से इसे दुर्गंध मुक्त और गहरा बनाया जायेगा, जिससे यहां घूमने-टहलने आने वाले लोगों को बेहतरी और अच्छे माहौल का अनुभव हो.

इसके किनारे जाॅगिंग ट्रैक, बैठने के बेंच और कुछ योगा, कसरत प्वाइंट भी बनाया जायेगा जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा. यहां लगने वाली लाइटें भी आकर्षक होंगी. शहर के रामगढ़ ताल पर बढ़ती भीड़ को भी यह नियंत्रित करने में सहयोग करेगा. उन्होंने बताया है कि पोखरे की सफाई करने में केमिकल का उपयोग करने पर जलीय जीव को नुकसान हो सकता है, इसलिए बुलबुले की तकनीक को अपनाकर एरेटर के माध्यम से इसकी सफाई होगी. यह छोटे-छोटे बुलबुलों की मदद से पानी को साफ करता है, जिससे उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है.

उन्होंने कहा कि नगर निगम इसके साथ ही खरैया पोखरा, गंगानगर और सुमेर सागर पोखरे के भी सुंदरीकरण में जुटा है. बाकी अन्य पोखरों की तलाश की जा रही है. भेड़ियागढ़ पोखरे से अवैध निर्माण को हटाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है तो राप्ती नगर के गंगानगर पोखरे, मानबेला में झुंगिया पोखरा और इंजीनियरिंग कॉलेज क्षेत्र में भैरपुर पोखरे का चयन अमृत सरोवर योजना में किया गया है. बाकी और पोखरे, तालाबों की सुधि ली जा रही है.

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