रांची: झारखंड के स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले एमपीडब्ल्यू स्थायीकरण की मांग को लेकर एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं. राज्य के हजारों एमपीडब्ल्यू ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है. इसके तहत झारखंड के विभिन्न जिलों में एमपीडब्ल्यू का धरना-प्रदर्शन जारी है.
स्थायीकरण की मांग को लेकर एमपीडब्ल्यू का चरणबद्ध आंदोलन
स्थायीकरण की मांग को लेकर सभी एमपीडब्ल्यू 12 फरवरी से 14 फरवरी 2024 तक काला बिल्ला लगाकर विरोध-प्रदर्शन करेंगे. वहीं 15 फरवरी से 18 फरवरी तक सभी एमपीडब्ल्यू कर्मी बैनर और तख्ती अपने अपने शरीर पर टांगकर विरोध जताएंगे. इसके बाद आंदोलन को अलग स्वरूप देते हुए 19 फरवरी को सभी एमपीडब्ल्यू एक दिन का उपवास रखेंगे. वहीं 20 फरवरी को सभी एमपीडब्ल्यू अपने-अपने जिले के सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपेंगे, ताकि वह स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों तक एमपीडब्ल्यू की समस्याओं को पहुंचा सकें.
21 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय का करेंगे घेराव
इस दौरान एमपीडब्ल्यू ने कहा कि यदि इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग स्थायीकरण की मांग को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाता है तो 21 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय का सभी एमपीडब्ल्यू घेराव करेंगे. अपने प्रदर्शन को लेकर एमपीडब्ल्यू ने कहा कि आंदोलन से स्वास्थ्य विभाग की यदि सारी व्यवस्था ठप हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों की होगी.
1600 एमपीडब्ल्यू प्रदर्शन में हैं शामिल
बता दें कि वर्ष 2008 से स्वास्थ्य विभाग में करीब 1600 की संख्या में एमपीडब्ल्यू काम कर रहे हैं. मलेरिया अभियान, डेंगू अभियान सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यों में एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में यदि राज्य भर में काम कर रहे हैं करीब 1600 कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करते हुए काम ठप करते हैं तो निश्चित रूप से स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का काम और अभियान प्रभावित हो सकता है.अब देखने वाली बात होगी कि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत काम करने वाले हजारों एमपीडब्ल्यू के चरणबद्ध आंदोलन के बाद क्या कुछ निर्णय लिया जाता है.
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