जबलपुर। राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में पहली क्लास में घटते एडमिशन की वजह से बच्चों की उम्र से जुड़े नियम को बदला है लेकिन इससे भी कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा. पहले आदेश के मुताबिक 1 अप्रैल 2024 को बच्चे की उम्र पहली क्लास में एडमिशन के लिए 6 साल का होनी जरूरी थी. सरकार ने इस नियम को बदलकर अब 30 जुलाई 2024 कर दिया है. क्योंकि केवल जबलपुर में पिछले सालों की तुलना में मात्र एक तिहाई एडमिशन सरकारी स्कूलों में हुए. पूरे प्रदेश में भी हालात कुछ इसी तरह के हैं.
यह समस्या क्यों खड़ी हुई
2024-25 के सत्र के लिए जबलपुर के 1729 सरकारी स्कूलों में अब तक मात्र 4935 बच्चों ने ही एडमिशन लिया है. यदि इस तरह से देखा जाए तो एक स्कूल में मात्र 3 बच्चे ही एडमिशन ले रहे हैं. दरअसल, सरकार ने एक नियम बनाया है जिसके तहत पहली क्लास में एडमिशन लेने के लिए 1 अप्रैल की स्थिति में बच्चा 6 साल का होना जरूरी है. इस नियम के आने के बाद सरकारी स्कूलों ने इसे कड़ाई से पालन किया और यदि बच्चा इससे छोटा है तो उसे एडमिशन नहीं दिया इस वजह से जहां पिछले साल जुलाई के महीने में 13000 से ज्यादा एडमिशन हुए थे वहां इस साल मात्र ₹4935 एडमिशन ही हो पाए.
एडमिशन घटे तो राज्य सरकार ने बदला नियम
सरकारी स्कूलों में अचानक आई एडमिशन की इस कमी की जानकारी राज्य सरकार को है. इसी वजह से मध्य प्रदेश सरकार ने एक नया सर्कुलर जारी किया है. जिसके तहत अभी तक पहली क्लास में एडमिशन के लिए 6 वर्ष की उम्र की गणना 1 अप्रैल के अनुसार की जा रही थी. उसे बढ़ाकर 30 जुलाई कर दिया गया है. मतलब 30 जुलाई 2024 को यदि बच्चा 6 साल की उम्र का है तो उसकी पहली क्लास में एडमिशन मिल सकता है. इस नियम के परिवर्तन के बाद सरकारी स्कूलों में एडमिशन की संख्या कुछ बढ़ी है.
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निजी स्कूल नहीं कर रहे इस नियम का पालन
जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि यह नियम केवल सरकारी स्कूलों के लिए नहीं है. निजी स्कूलों को भी इसी नियम का पालन करके एडमिशन देना है. लेकिन निजी स्कूलों ने इस नियम को पालन करने में सख्ती नहीं की. इसलिए निजी स्कूलों के एडमिशन में बहुत फर्क नहीं आया है. बता दें कि जबलपुर में पहले ही कई सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बहुत कम है. कई स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों से ज्यादा शिक्षक हैं. ऐसी स्थिति में ये स्कूल बंद हो जाएंगे. वहीं निजी स्कूलों की तरफ बढ़ता लोगों का रुझान भी सरकारी स्कूलों के सामने चुनौती खड़ी कर रहा है. यदि एडमिशन की संख्या नहीं बढ़ी तो कई प्राथमिक सरकारी स्कूल बंद करने पड़ सकते हैं.