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पीएम मोदी से मिले सांसद राजकुमार रोत, कडाणा बांध समझौते को लागू करने की उठाई मांग - MP RAJKUMAR ROAT DEMAND

सांसद राजकुमार रोत ने की पीएम मोदी से मुलाकात, उनकी 17 मांगों पर पीएम ने दिया विचार करने का आश्वासन.

MP Rajkumar Roat demand
पीएम मोदी से मिले सांसद राजकुमार रोत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 6 hours ago

डूंगरपुर : भारत आदिवासी पार्टी के प्रमुख व बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. करीब 20 मिनट तक दोनों नेताओं के बीच राजस्थान के दक्षिणांचल डूंगरपुर-बांसवाड़ा के विकास पर चर्चा हुई. इस दौरान सांसद रोत ने 17 मांगों को लेकर एक पत्र भी प्रधानमंत्री को सौंपा. साथ ही प्रधानमंत्री ने उनकी तमाम मांगों पर सकारात्मक विचार करने का भरोसा दिया. वहीं, इस मुलाकात को लेकर सांसद रोत ने कहा कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर में विकास के मुद्दे पर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा हुई है.

उन्होंने कहा कि संसद परिसर स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में उनकी पीएम मोदी से मुलाकात हुई. पीएम ने उनसे हाथ मिलाया और उनसे करीब 20 मिनट तक क्षेत्र के विकास को लेकर चर्चा की. इसमें खासकर 10 जनवरी, 1966 को माही और कडाणा को लेकर राजस्थान और गुजरात के बीच हुए समझौते पर विस्तार से बात हुई. उन्होंने बताया कि समझौते के तहत 77 टीएमसी पानी में से 40 टीएमसी पानी गुजरात के लिए रिजर्व रखा गया था, जबकि राजस्थान को 16 टीएमसी पानी भी आज तक नहीं मिल रहा है.

सांसद राजकुमार रोत (ETV BHARAT)

इसे भी पढ़ें - अमित शाह से मिले बीएपी सांसद राजकुमार रोत, आदिवासी रेजिमेंट की मांग समेत कई मुद्दों पर की बात - AMIT SHAH AND RAJKUMAR ROAT MEETING

बांसवाड़ा और डूंगरपुर दोनों ही जिलों को राजस्थान के हक का पानी सिंचाई और पेयजल के लिए उपलब्ध करवाए जाने को लेकर उन्होंने पीएम मोदी से बात की है. साथ ही इसके लिए बड़ी परियोजना की मंजूरी दिलाने की भी मांग रखी है. इसके अलावा राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों को मिलकर अलग से भील प्रदेश की भी मांग रखी गई है.

सांसद रोत ने बताया कि प्रधानमंत्री से मुलाकात में उन्होंने 17 मांगे रखी. प्रधानमंत्री ने सभी बातों को सुनते हुए उनका सकारात्मक रूप से विचार प्रकट किया और भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. वहीं, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के आदिवासी क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

पीएम मोदी के समक्ष रखी ये मांगें

  • 1966 में माही-कडावा बांध बनाने के समय हुए गुजरात-राजस्थान के समझौते की शर्तों को पूरा कर डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लिए पेयजल व सिंचाई परियोजना की मांग.
  • गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के कुछ हिस्से को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग.
  • बजट सत्र 2022 में चौरासी विधानसभा क्षेत्र के लिए 886 करोड़ की स्वीकृत कडाना से गैंजी घाटा तक पेयजल परियोजना का वर्क ऑर्डर जारी करने की मांग.
  • जंगली जानवरों से हुई मौतों व आदिवासियों के विस्थापन को देखते हुए पूरे देश में प्रस्तावित ट्राइगर प्रोजेक्ट को रोकने संबंधी मांग.
  • बांसवाडा जिले में प्रस्तावित परमाणु बिजली घर के दूरगामी दुष्परिणाम को देखते हुए अवाप्त भूमि को अन्य कोई प्रोजेक्ट लगाकर परमाणु बिजली घर पर रोक लगाने.
  • गुजरात में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षण व्यवस्था के लिए प्रवासी शिक्षा केंद्र खोलने.
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस का पूरे देश में राजकीय अवकाश घोषित करने.
  • गुजरात में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के इलाज के लिए प्रवासी मजदूर चिकित्सा योजना लागू कराने की मांग.
  • डूंगरपुर में एक अतिरिक्त नवीन नवोदय विद्यालय खोलने.
  • अनुसूचित क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के समता जजमेंट 1997 के आदेश का अनुपालन करते हुए स्थानीय जनजातियों के लिए कॉपरेटिव सोसाइटीज बनाकर खनन में उन्हें मालिकाना अधिकार दिलाने.
  • बिरसा मुंडा, मामा बालेश्वर, टंट्या मामा भील को मरणोपरांत भारत रत्न दिलाने.
  • संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा में एससी समुदाय के अभ्यार्थियों के लिए आधुनिक छात्रावास खोलने.
  • संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा में खेल विश्वविधालय खोलने की मांग.
  • संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा में आईआईटी, नीट व आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में जाने के लिए उच्च स्तरीय ट्राइबल कोचिंग सेंटर खोलने.
  • कौशल दक्षता योजना के तहत स्किल डेवलपमेंट कॉलेज खोलने.
  • राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में नवीन एम्स खोलने.
  • बांसवाडा-डूंगरपुर जिले से पीएम सहायता निधि के लिए समस्त आवेदनों को स्वीकार करते हुए वित्तीय सहायता दिलवाने.

गृहमंत्री से भी की मुलाकात : सांसद राजकुमार रोत ने 16 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. दोनों के बीच करीब 3 मिनट तक चर्चा हुई थी, जिसमें सांसद ने फौज में सिख और जाट रेजिमेंट की तरह ही आदिवासी रेजिमेंट शुरू करने की मांग रखी थी. इसके अलावा 2020 में नेशनल हाइवे 48 पर हुए कांकरी डूंगरी दंगों के केस वापस लेने के लिए के केंद्र सरकार की मंजूरी देने समेत कई मांगें रखी थी.

डूंगरपुर : भारत आदिवासी पार्टी के प्रमुख व बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. करीब 20 मिनट तक दोनों नेताओं के बीच राजस्थान के दक्षिणांचल डूंगरपुर-बांसवाड़ा के विकास पर चर्चा हुई. इस दौरान सांसद रोत ने 17 मांगों को लेकर एक पत्र भी प्रधानमंत्री को सौंपा. साथ ही प्रधानमंत्री ने उनकी तमाम मांगों पर सकारात्मक विचार करने का भरोसा दिया. वहीं, इस मुलाकात को लेकर सांसद रोत ने कहा कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर में विकास के मुद्दे पर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा हुई है.

उन्होंने कहा कि संसद परिसर स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में उनकी पीएम मोदी से मुलाकात हुई. पीएम ने उनसे हाथ मिलाया और उनसे करीब 20 मिनट तक क्षेत्र के विकास को लेकर चर्चा की. इसमें खासकर 10 जनवरी, 1966 को माही और कडाणा को लेकर राजस्थान और गुजरात के बीच हुए समझौते पर विस्तार से बात हुई. उन्होंने बताया कि समझौते के तहत 77 टीएमसी पानी में से 40 टीएमसी पानी गुजरात के लिए रिजर्व रखा गया था, जबकि राजस्थान को 16 टीएमसी पानी भी आज तक नहीं मिल रहा है.

सांसद राजकुमार रोत (ETV BHARAT)

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बांसवाड़ा और डूंगरपुर दोनों ही जिलों को राजस्थान के हक का पानी सिंचाई और पेयजल के लिए उपलब्ध करवाए जाने को लेकर उन्होंने पीएम मोदी से बात की है. साथ ही इसके लिए बड़ी परियोजना की मंजूरी दिलाने की भी मांग रखी है. इसके अलावा राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों को मिलकर अलग से भील प्रदेश की भी मांग रखी गई है.

सांसद रोत ने बताया कि प्रधानमंत्री से मुलाकात में उन्होंने 17 मांगे रखी. प्रधानमंत्री ने सभी बातों को सुनते हुए उनका सकारात्मक रूप से विचार प्रकट किया और भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. वहीं, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के आदिवासी क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

पीएम मोदी के समक्ष रखी ये मांगें

  • 1966 में माही-कडावा बांध बनाने के समय हुए गुजरात-राजस्थान के समझौते की शर्तों को पूरा कर डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लिए पेयजल व सिंचाई परियोजना की मांग.
  • गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के कुछ हिस्से को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग.
  • बजट सत्र 2022 में चौरासी विधानसभा क्षेत्र के लिए 886 करोड़ की स्वीकृत कडाना से गैंजी घाटा तक पेयजल परियोजना का वर्क ऑर्डर जारी करने की मांग.
  • जंगली जानवरों से हुई मौतों व आदिवासियों के विस्थापन को देखते हुए पूरे देश में प्रस्तावित ट्राइगर प्रोजेक्ट को रोकने संबंधी मांग.
  • बांसवाडा जिले में प्रस्तावित परमाणु बिजली घर के दूरगामी दुष्परिणाम को देखते हुए अवाप्त भूमि को अन्य कोई प्रोजेक्ट लगाकर परमाणु बिजली घर पर रोक लगाने.
  • गुजरात में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षण व्यवस्था के लिए प्रवासी शिक्षा केंद्र खोलने.
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस का पूरे देश में राजकीय अवकाश घोषित करने.
  • गुजरात में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के इलाज के लिए प्रवासी मजदूर चिकित्सा योजना लागू कराने की मांग.
  • डूंगरपुर में एक अतिरिक्त नवीन नवोदय विद्यालय खोलने.
  • अनुसूचित क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के समता जजमेंट 1997 के आदेश का अनुपालन करते हुए स्थानीय जनजातियों के लिए कॉपरेटिव सोसाइटीज बनाकर खनन में उन्हें मालिकाना अधिकार दिलाने.
  • बिरसा मुंडा, मामा बालेश्वर, टंट्या मामा भील को मरणोपरांत भारत रत्न दिलाने.
  • संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा में एससी समुदाय के अभ्यार्थियों के लिए आधुनिक छात्रावास खोलने.
  • संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा में खेल विश्वविधालय खोलने की मांग.
  • संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा में आईआईटी, नीट व आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में जाने के लिए उच्च स्तरीय ट्राइबल कोचिंग सेंटर खोलने.
  • कौशल दक्षता योजना के तहत स्किल डेवलपमेंट कॉलेज खोलने.
  • राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में नवीन एम्स खोलने.
  • बांसवाडा-डूंगरपुर जिले से पीएम सहायता निधि के लिए समस्त आवेदनों को स्वीकार करते हुए वित्तीय सहायता दिलवाने.

गृहमंत्री से भी की मुलाकात : सांसद राजकुमार रोत ने 16 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. दोनों के बीच करीब 3 मिनट तक चर्चा हुई थी, जिसमें सांसद ने फौज में सिख और जाट रेजिमेंट की तरह ही आदिवासी रेजिमेंट शुरू करने की मांग रखी थी. इसके अलावा 2020 में नेशनल हाइवे 48 पर हुए कांकरी डूंगरी दंगों के केस वापस लेने के लिए के केंद्र सरकार की मंजूरी देने समेत कई मांगें रखी थी.

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