भोपाल। देश में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. जिसमें अभी तक चार चरणों में चुनाव कई राज्यों में संपन्न हो चुके हैं. वहीं सोमवार को पांचवे चरण का चुनाव है. अगर बात मध्य प्रदेश की करें तो यहां शुरूआती चार चरणों में वोटिंग हो चुकी है. एमपी की 29 सीटों के प्रत्याशी कि किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. अब इंतजार 4 जून यानि परिणाम का है. ईटीवी भारत आपको 29 सीटों का हाल बता चुका है. आज बात उन सीटों की करते हैं, जहां नेता जीत नहीं बल्कि रिकॉर्ड मतों की तैयारी कर रहे थे. प्रदेश की कुछ चुनिंदा सीटें हैं, जहां इन नेताओं ने अपनी जीत का दावा तो ठीक बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने का दावा किया है. इस रिपोर्ट में जानिए वे कौन सी ऐसी सीट हैं, अगर ये प्रत्याशी जीतते हैं, तो बन सकता है रिकॉर्ड
विदिशा में रिकॉर्ड जीत की तैयारी में शिवराज
सबसे पहले एमपी की हाई प्रोफाइल सीट में से एक विदिशा लोकसभा सीट की करेंगे. इस सीट से बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. जबकि उन्हें टक्कर देने कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को उतारा है. सियासी जानकारों के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान जब सीएम पद पर थे और अब जबकि वह सीएम नहीं हैं, दोनों ही सूरत में उनकी लोकप्रियता कहीं से भी घटी नहीं है. बल्कि जनता के बीच उनका एक अलग ही कनेक्शन है. विदिशा सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी है. कहा जा रहा है कि इस सीट से शिवराज सिंह चौहान रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर सकते हैं. हालांकि कई दफा तो खुद शिवराज सिंह चौहान अपनी जीत का दावा सभाओं में कर चुके हैं. पूर्व सीएम कह चुके हैं, कि चुनावी मैदान में वे जीत के लिए नहीं बल्कि जीत के रिकॉर्ड को बढ़ाने के लिए उतरे हैं. यहां तक कि मंदसौर में तो उन्होंने खुद के केंद्रीय मंत्री बनने का भी दावा कर चुके हैं. जबकि पीएम मोदी भी एमपी में कह चुके हैं, शिवराज उनके साथ केंद्र में जाएंगे. बहरहाल अगर शिवराज सिंह अपने दावे के मुताबिक जीत हासिल करते हैं तो वाकई में रिकॉर्ड बन सकता है.
इंदौर में शंकर लालवानी के खिलाफ नोटा
इसके बाद चौथे चरण के चुनाव से पहले हुए सियासी खेला के बाद सुर्खियों में आई इंदौर लोकसभा सीट है. इस सीट की खासियत यह है कि यहां बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस के किसी प्रत्याशी से नहीं बल्कि नोटा से है. इस सीट से बीजेपी ने पुराने चेहरे पर भरोसा जताते हुए शंकर लालवानी को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने भी इस सीट से युवा चेहरे अक्षय कांति बम को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन नामांकन वापसी के आखिरी दिन 29 अप्रैल को अचानक कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस ले लिया था. जिसके बाद यहां कांग्रेस विहीन चुनाव हुआ. अपने प्रत्याशी के धोखा देने के बाद कांग्रेस ने नोटा को समर्थन दिया, तो वहीं बीजेपी का दावा है कि शंकर लालवानी पहले ही जीत हासिल कर रहे थे, लेकिन अब तो प्रचंड जीत भाजपा को मिलने वाली है. बता दें साल 2019 में शंकर लालवानी ने कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.47 लाख वोटों से हराया था. इस बार भाजपा ने 11-12 लाख से ज्यादा वोटों से जीत का दावा किया है. इस लिहाजा से यहां बीजेपी के पक्ष में माहौल नजर आ रहा है. इसी तरह शंकर लालवानी जीतते हैं, तो वे भी रिकॉर्ड बना सकते हैं.
गुना-शिवपुरी सीट पर महाराज का दावा
इसके बाद प्रदेश की सबसे चर्चित सीट गुना-शिवपुरी है. इस सीट पर बीजेपी ने महाराज पर दांव लगाया है. नाम से समझ गए होंगे कि महाराज यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी सीट से प्रत्याशी हैं. प्रचार के दौरान सिंधिया और उनके परिवार ने पूरी ताकत भी झोंक दी है. इस सीट से सिंधिया के आने पर कहा जा रहा है कि बीजेपी के पक्ष में एक तरफा माहौल बन गया है. वहीं कांग्रेस ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दांव को अपनाते हुए यादव कार्ड खेला है और राव यादवेंद्र सिंह यादव को उतारा है. हालांकि कांग्रेस के दांव पर महाराज का चेहरा भारी पड़ता नजर आ रहा है.
इस बार सिंधिया ने पिछली हार का जिक्र करते हुए इमोशनल कार्ड भी खेला है. ऐसे में कह सकते हैं कि गुना-शिवपुरी में भी जीत का रिकॉर्ड बन सकता है. बता दें साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सिंधिया कांग्रेस से प्रत्याशी थे, जबकि कांग्रेस से बीजेपी में गए केपी यादव को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया था. परिणाम में केपी यादव ने सिंधिया को हरा दिया था, लेकिन इस बार हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. यहां अगर महाराज जीतते हैं, तो रिकॉर्ड बन सकता है.
खजुराहो में वीडी शर्मा के खिलाफ नहीं कोई बड़ी प्रतिद्वंदी
इंदौर लोकसभा सीट से मिलता-जुलता हाल कुछ खुजराहो सीट का है. अंतर यह है कि इंदौर में एन मौके पर प्रत्याशी ने नामांकन वापस लिया तो खजुराहो में सपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया. आपको बता दें खजुराहो सीट पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मैदान में हैं. उन्हें टक्कर देने सपा ने महिला प्रत्याशी मीरा यादव को उतारा था. हालांकि नामांकन जमा करने के आखिरी दिन मीरा यादव का नामांकन रद्द हो गया था. जिसके बाद इस सीट पर वीडी शर्मा के खिलाफ कोई स्ट्रांग प्रत्याशी नहीं है. ऐसे में वीडी शर्मा की एक तरफा जीत का अंदाजा लगाया जा रहा है. साथ ही उनकी भी रिकॉर्ड जीत का दावा किया जा रहा है.
राजगढ़ में बन सकता है जीत या हार का रिकॉर्ड
प्रदेश की एक और चर्चित या कहे हाई प्रोफाइल सीट है, जिस पर बीजेपी रिकॉर्ड जीत का दावा कर रही है. यह राजगढ़ लोकसभा सीट है. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हैं. दिग्विजय सिंह के उतरने से यह सीट चर्चा का विषय बन गई है. वहीं बीजेपी ने पुराने चेहरे यानि की सांसद रोडमल नागर को टक्कर देने उतारा है. बात अगर दिग्विजय सिंह की करें तो उनके प्रचार का तरीका बाकि प्रत्याशियों से अलग है. उन्होंने राजगढ़ में पदयात्रा निकाली, घर-घर जाकर लोगों से मिले और कार्यकर्ता के घर ठहरे. वहीं रोडमल नागर ने भी जीत के लिए हर प्रयास किए. यहां तक कि खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रोडमल नागर के पक्ष में प्रचार करने राजगढ़ पहुंचे थे.
साल 2019 में दिग्विजय सिंह चुनाव हार गए थे, लेकिन भोपाल सीट है. इस बार देखना होगा कि अपनी पारंपरिक सीट राजगढ़ से दिग्विजय सिंह क्या रिकॉर्ड जीत हासिल करते हैं, या रोडमल नागर एक बार फिर जीत का स्वाद चखेंगे. परिणाम जो भी हों, लेकिन दोनों ही सूरत में रिकॉर्ड जरूर बन सकता है. चाहे दिग्विजय सिंह की रिकॉर्ड जीत से हो या रिकॉर्ड हार से. वैसे बता दें इस बार राजगढ़ सीट में वोटिंग भी काफी अच्छी हुई है.
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एमपी की इन सीटों पर रिकॉर्ड जीत का दावा किया जा रहा है. जानकारों की मानें तो यहां के प्रत्याशियों की जीत लगभग तय मानी जा रही है, अब परिणाम के दिन बर आंकड़ों का इंतजार है. 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे. इस दिन तय होगा क्या वाकई में अपने कहे के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करते हैं, या प्रताप भानू शर्मा से उन्हें टक्कर मिलती है. इसी तरह बाकी सीट पर छाय हुए संशय के बादल भी 4 जून को साफ हो जाएंगे.