Shahdol Election Results 2024 live: 4 जून का हर किसी को इंतजार है. बस एक दिन का इंतजार और परिणाम सभी के सामने होंगे. इसी दिन ये पता चलेगा कि देश में इस बार किसकी सरकार होगी. भाजपा मारेगी बाजी या कांग्रेस उलट फेर कर जाएगी. शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है. शहडोल लोकसभा सीट में भी इस बार सब की नजर है, क्योंकि यहां पर भी कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
शहडोल लोकसभा सीट में कौन मरेगा बाज़ी ?
मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट पर सबकी नजर रहेगी, क्योंकि यह आदिवासी बहुल सीट है. चुनाव से पहले यहां पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा की. अलग-अलग वर्ग के लोगों के बीच चौपाल लगाया और भोजन किया, तो वहीं राहुल गांधी ने भी चुनाव से पहले शहडोल का दौरा किया. इससे समझा जा सकता है कि यह लोकसभा सीट कितनी अहम है. शहडोल लोकसभा सीट में बीजेपी ने अपने सांसद हिमाद्री सिंह को ही एक बार फिर से टिकट दिया है. तो वहीं कांग्रेस ने अपने सबसे मजबूत नेता फुन्देलाल सिंह मार्को को चुनावी मैदान पर उतारा है. फुन्देलाल सिंह मार्को के चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही इस सीट पर कांटे टक्कर बताई जा रही है.
मोदी का मैजिक या मास्टर का प्लान ?
4 जून को ये तो पता चलेगा ही कि शहडोल लोकसभा सीट में बाजी कौन मारेगा, लेकिन इस बात का भी पता चलेगा कि मोदी का मैजिक काम आता है, या फिर मास्टर का प्लान काम कर जाता है, क्योंकि मौजूदा चुनाव में बीजेपी ने पूरी तरह से मोदी की गारंटी का नारा दिया था. मोदी के चेहरे पर ही पूरा चुनाव लड़ा है. साथ ही पूरे लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशी हिमाद्री सिंह ने मोदी के चेहरे पर ही प्रचार प्रसार किया. उन्हीं के भरोसे चुनाव लड़ा, तो वहीं कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी फुन्देलाल सिंह मार्को ने अपने राजनीतिक करियर शुरुआत करने से पहले स्कूल में शिक्षक के तौर पर पढ़ाया भी है. कभी मास्टर रहे फुंदेलाल सिंह मार्को की आदिवासी वोटर्स के बीच अच्छी पैठ बताई जा रही है. उन्होंने अपने ही रणनीति पर ये पूरा चुनाव लड़ा. ऐसे में सब की नजर इस पर टिकी हुई है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में शहडोल लोकसभा सीट से मोदी की गारंटी की जीत होती है या फिर मास्टर का प्लान काम कर जाता है.
फुन्देलाल का राजनीतिक सफर
बीजेपी की ओर से हिमाद्री सिंह चुनावी मैदान में हैं, तो कांग्रेस की ओर से फुन्देलाल मार्को हैं. इनका चुनावी सफर भी काफी ऐतिहासिक रहा है. फुन्देलाल मार्को राजनीति में आने से पहले टीचर थे. 58 साल के फुन्देलाल सिंह मार्को की राजनीति में शुरुआत से ही दिलचस्पी रही है. अपने छात्र जीवन में ही वह कॉलेज में अध्यक्ष चुने गए थे, फिर युवा कांग्रेस के भी उपाध्यक्ष बनाए गए. 1987 से 93 तक उन्होंने राजेंद्र ग्राम में सहायक शिक्षक के पद पर काम किया. इसके बाद 1994 से 1999 तक जिला पंचायत शहडोल जिला शहडोल के सदस्य निर्वाचित हुए. वहीं से फिर से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पुष्पराजगढ़ से लगातार तीन बार जीत कर विधायक चुने गए हैं.
हिमाद्री का राजनीतिक सफर
बीजेपी की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर की बात करें तो उनके माता-पिता दोनों ही कट्टर कांग्रेसी नेता रहे हैं. दोनों ही नेताओं का अच्छा खासा वर्चस्व रहा है. हिमाद्री के पिता दलबीर सिंह कई बार सांसद रह चुके हैं और मंत्री भी रहे हैं. इसके अलावा राजेश नन्दिनी सिंह भी सांसद रह चुकी हैं. शहडोल लोकसभा के उप चुनाव में हिमाद्री सिंह कांग्रेस के टिकट से इसी लोकसभा सीट से चुनाव भी एक बार लड़ चुकी हैं. फिर उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गईं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता की पार्टी के टिकट से जीतकर सांसद बनीं. अब 2024 में एक बार फिर से हिमाद्री सिंह पर ही बीजेपी ने भरोसा जताया और उन्हें चुनावी मैदान पर उतारा है.
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कौन मारेगा बाज़ी ?
शहडोल लोकसभा सीट में आखिर बाजी कौन मरेगा, इसका फैसला तो 4 जून को ही होगा. भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह क्या शहडोल लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब हो पाती हैं या नहीं अगर हिमाद्री दूसरी बार चुनाव जीत लेती हैं, तो शहडोल लोकसभा सीट से ऐसी पहली महिला होंगी जो लगातार दूसरी बार इस सीट से सांसद बनेंगी, तो वहीं कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे फुन्देलाल सिंह मार्को पर भी सबकी नजर है. लगातार तीन बार पुष्पराजगढ़ से विधायक बन रहे फुन्देलाल क्या लोकसभा के चुनाव में अपना विजयी आगाज कर पाएंगे या नहीं, यह भी देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी चाहे फिर भाजपा के हों या कांग्रेस के एक ही विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ से आते हैं. दोनों ही पहाड़ वाले क्षेत्र से हैं. ऐसे में इस बार जीत किसकी होती है, देखना दिलचस्प होगा क्योंकि दोनों ही नेताओं के बीच में इस बार कांटे की टक्कर मानी जा रही है.