इंदौर। जिला अदालत ने पिछले दिनों बीजेपी पार्षद निशा रुपेश देवलिया के चुनाव को शून्य घोषित करते हुए कांग्रेस पार्षद को निर्वाचित पार्षद घोषित कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ बीजेपी पार्षद की ओर से याचिका इंदौर हाई कोर्ट में लगाई गई. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई कर जिला अदालत के फैसले पर रोक लगा दी. इस प्रकार इंदौर नगर निगम के वार्ड 44 की पार्षद निशा रुपेश देवलिया को इंदौर हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है.
जिला अदालत ने कांग्रेस प्रत्याशी को किया निर्वाचित
बता दें कि वार्ड 44 से भाजपा पार्षद निशा देवलिया के विरुद्ध कांग्रेस की हारी हुई प्रत्याशी नंदिनी मिश्रा द्वारा इंदौर ज़िला न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर की जिला अदालत ने पार्षद निशा देवलिया के चुनाव को शून्य घोषित किया. साथ ही नंदिनी मिश्रा को पार्षद निर्वाचित किए जाने संबंधी आदेश पारित किए. इस पर बीजेपी पार्षद निशा देवलिया ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी. पार्षद निशा देवलिया का चुनाव शून्य घोषित करने के मामले में हाईकोर्ट में पर दो घंटे सुनवाई चली.
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फिलहाल बीजेपी पार्षद का पद रहेगा बरकरार
निशा देवलिया के वकील व पूर्व न्यायाधीश पीयूष माथुर एवं अधिवक्ता हर्ष वर्धन शर्मा द्वारा पक्ष रखा गया. सुनवाई के दौरान बीजेपी पार्षद की और से विभिन्न तरह के तर्क रखे गए. इन तर्कों से सहमत होते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका के आदेश में नंदिनी मिश्रा को पार्षद बनाये जाने के निर्देश को कोर्ट ने ने गलत माना है. कांग्रेस प्रत्याशी को पार्षद घोषित किए जाने पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसी के साथ नंदिनी मिश्रा की चुनाव याचिका में पारित आदेश के विरुद्ध वार्ड 44 के मतदाता युवराज सिंह द्वारा अलग से याचिका लगायी गई है.