ETV Bharat / state

रीवा कलेक्टर के खिलाफ एमपी हाई कोर्ट ने जारी किया जमानती वारंट, देखें- क्या है मामला

Warrant against Rewa Collector मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अवमानना के एक प्रकरण में नोटिस सर्व होने के बावजूद जवाब पेश न करने पर रीवा कलेक्टर को जमानती वारंट जारी किया है. जस्टिस डीडी बंसल की एकलपीठ ने कलेक्टर को 11 मार्च को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं.

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 1, 2024, 1:05 PM IST

bailable warrant against Rewa Collector
रीवा कलेक्टर के खिलाफ एमपी हाई कोर्ट ने जारी किया जमानती वारंट

जबलपुर। रीवा तहसील कार्यालय में पदस्थ उमेश कुमार तिवारी ने पिछले साल याचिका दायर की थी. जिसमें उनका कहना था कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को एक सर्कुलर जारी किया था. याचिकाकर्ता की नियुक्ति 1997 में हुई थी. दस वर्ष की सेवा पूरी होने के बावजूद उसे उक्त सर्कुलर के तहत सेवा का लाभ नहीं दिया गया. इस मामले में तीन नवंबर 2023 को कलेक्टर को नोटिस जारी किया गया था और उन्हें सर्व भी हो गया था. इसके बावजूद सुनवाई के दौरान उनकी ओर से कोई हाजिर नहीं हुआ और न ही कोई जवाब पेश किया गया, जिसे गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए.

60 साल पुराना जमीन का मामला

कटनी जिले में जमीन से संबंधित प्रकरण पिछले 6 दशकों से कानूनी पेंच में फंसा हुआ है. राजस्व मंडल से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई हुई थी. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर पेश किये गये आवेदन को आयुक्त भू-अभिलेख द्वारा खारिज किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनः याचिका दायर की गयी है. हाईकोर्ट जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका में ये कहा

कटनी निवासी याचिकाकर्ता श्याम सुंदर शर्मा व अन्य 9 की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि ग्राम झुकेही में बद्री प्रसाद के नाम पर जमीन थी. उन्हें साल 1960 में सीलिंग एक्ट के तहत नोटिस जारी किये गए थे. भूमि स्वामी की साल 1963 में मौत हो गयी थी. इसके बाद साल 1964 में मृत व्यक्ति के नाम पर आदेश जारी कर दिये गये. जिसके खिलाफ राजस्व मंडल ग्वालियर के समक्ष अपील प्रस्तुत की गयी थी. राजस्व मंडल ग्वालियर ने साल 1983 में आदेश को अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया था.

ये खबरें भी पढ़ें...

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला

राजस्व मंडल ने मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारियों का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर सुनवाई के अवसर प्रदान करने आदेश जारी किए थे. आदेश का परिपालन नहीं होने के खिलाफ हाईकोर्ट तथा उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2022 में पारित अपने फैसले में प्रकरण का निराकरण 6 माह में करने के आदेश जारी किये थे. आयुक्त भू-अभिलेख के याचिकाकर्ता का आदेश इस आधार पर खारिज कर दिया कि सीलिंग एक्त के तहत विवाहित पुत्री परिवार की परिभाषा में नहीं आती है. इसे चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की गयी थी.

जबलपुर। रीवा तहसील कार्यालय में पदस्थ उमेश कुमार तिवारी ने पिछले साल याचिका दायर की थी. जिसमें उनका कहना था कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को एक सर्कुलर जारी किया था. याचिकाकर्ता की नियुक्ति 1997 में हुई थी. दस वर्ष की सेवा पूरी होने के बावजूद उसे उक्त सर्कुलर के तहत सेवा का लाभ नहीं दिया गया. इस मामले में तीन नवंबर 2023 को कलेक्टर को नोटिस जारी किया गया था और उन्हें सर्व भी हो गया था. इसके बावजूद सुनवाई के दौरान उनकी ओर से कोई हाजिर नहीं हुआ और न ही कोई जवाब पेश किया गया, जिसे गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए.

60 साल पुराना जमीन का मामला

कटनी जिले में जमीन से संबंधित प्रकरण पिछले 6 दशकों से कानूनी पेंच में फंसा हुआ है. राजस्व मंडल से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई हुई थी. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर पेश किये गये आवेदन को आयुक्त भू-अभिलेख द्वारा खारिज किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनः याचिका दायर की गयी है. हाईकोर्ट जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका में ये कहा

कटनी निवासी याचिकाकर्ता श्याम सुंदर शर्मा व अन्य 9 की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि ग्राम झुकेही में बद्री प्रसाद के नाम पर जमीन थी. उन्हें साल 1960 में सीलिंग एक्ट के तहत नोटिस जारी किये गए थे. भूमि स्वामी की साल 1963 में मौत हो गयी थी. इसके बाद साल 1964 में मृत व्यक्ति के नाम पर आदेश जारी कर दिये गये. जिसके खिलाफ राजस्व मंडल ग्वालियर के समक्ष अपील प्रस्तुत की गयी थी. राजस्व मंडल ग्वालियर ने साल 1983 में आदेश को अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया था.

ये खबरें भी पढ़ें...

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला

राजस्व मंडल ने मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारियों का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर सुनवाई के अवसर प्रदान करने आदेश जारी किए थे. आदेश का परिपालन नहीं होने के खिलाफ हाईकोर्ट तथा उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2022 में पारित अपने फैसले में प्रकरण का निराकरण 6 माह में करने के आदेश जारी किये थे. आयुक्त भू-अभिलेख के याचिकाकर्ता का आदेश इस आधार पर खारिज कर दिया कि सीलिंग एक्त के तहत विवाहित पुत्री परिवार की परिभाषा में नहीं आती है. इसे चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की गयी थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.