इंदौर: इंदौर हाई कोर्ट ने देवास कब्रिस्तान पर लगे ताले को लेकर अहम आदेश देते हुए वक्फ बोर्ड के आदेश को निरस्त कर दिया. बता दें कि, वक्फ ट्रिब्यूनल भोपाल ने पिछले दिनों कब्रिस्तान पर लगे ताले खोलने को लेकर आदेश दिए थे. उसी के तहत जब पूरा मामला इंदौर के कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई कर आदेश को रद्द कर दिया.
वक्फ ने जमीन को बताई अपनी संपत्ति
पिछले दिनों वक्फ ट्रिब्यूनल के समक्ष एक याचिका देवास वक्फ बोर्ड के कोषाध्यक्ष इकबाल अहमद ने दायर की थी. साथ ही याचिका में वक्फ बोर्ड के कोषाध्यक्ष इकबाल अहमद ने जानकारी दी कि, ''देवास शहर में स्टेशन रोड पर सर्वे नंबर 83, 84 व 85 की जमीन वक्फ की है. जिसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता. राजस्व अभिलेखों में भी उक्त संपत्ति सार्वजनिक कार्य स्थान के रूप में दर्ज चली आ रही है. वक्फ अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, ऐसी संपत्ति जो की रिकॉर्ड में वक्फ के रूप में रजिस्टर है, वक्फ अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत मानी जाएगी.''
वक्फ ट्रिब्यूनल ने दिए थे कब्रस्तान के ताले खोलने के आदेश
इस पूरे मामले में भोपाल वक्फ ट्रिब्यूनल ने 19 फरवरी 2024 को जिला प्रशासन को यहां लगे तालों को खोलने के आदेश दे दिए. इस आदेश के खिलाफ प्रशासन ने सिविल रिवीजन इंदौर हाई कोर्ट में लगाई. इस पूरे मामले में सरकार की ओर से अतिरिक्त अधिवक्ता आनंद सोनी ने बहस की. इस दौरान कोर्ट के समक्ष अतिरिक्त महा अधिवक्ता आनंद सोनी ने जानकारी दी कि, ''ट्रिब्यूनल के समक्ष अभी प्रशासन की अर्जी लंबित है, जिसका निराकरण किए बगैर ही बोर्ड को सीधे आदेश पारित कर दिया गया, जिसे निरस्त किया जाना चाहिए."
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कोर्ट ने निरस्त किया वक्फ ट्रिब्यूनल का आदेश
आनंद सोनी ने आगे कहा कि, ''सर्वे पर वक्फ आपना दवा प्रकट कर रहा है. जबकि सर्वे नंबर 83 क्रिश्चियन समुदाय का और 84 नंबर श्मशान घाट के नाम पर है. यदि ताला खोला जाता है तो शव यात्रा इन सर्वे नंबर से गुजरेगी, जिससे सांप्रदायिक तनाव होगा.'' सरकार के अतिरिक्त अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष तमाम तरह के तर्क रखे. उसके बाद कोर्ट ने वक्फ ट्रिब्यूनल के द्वारा जारी आदेश को निरस्त कर दिया.