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भोपाल गैस त्रासदी केस में जबलपुर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, ACS सुलेमान सहित 3 अफसर पर गिरी गाज - acs suleman guilty of contempt

ACS Suleman guilty of contempt : मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी मामले की अवमानना याचिका पर बड़ा आदेश सुनाया है. अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया है.

ACS Suleman guilty of contempt
अपर मुख्य सचिव सुलेमान सहित 3 अफसर अवमानना के दोषी करार
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 20, 2024, 4:15 PM IST

Updated : Feb 20, 2024, 6:09 PM IST

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस सहित अन्य अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के आदेश जारी किये थे. सरकार की तरफ से इस आदेश वापस को लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा विनय सराफ की युगलपीठ ने इस आवेदन पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे 20 निर्देश, पालन नहीं हुआ

बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई की थी. सुनवाई में भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने भी निर्देश भी जारी हुए थे. मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करनी थी. साथ ही रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश थे.

मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं हुआ

इसके बाद मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी. इस याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तय बिंदुओं में से सिर्फ 3 बिंदुओं पर काम हुआ. इस कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है.

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अवमानना के मामले में इन अफसरों पर भी लटकी तलवार

इसके अलावा मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की केन्द्रीय सचिव आरती आहूजा, प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ उप महानिदेशक आर.राम कृष्णन, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. प्रभा देसिकन तथा डॉ. राज नारायण तिवारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे. लेकिन सरकार की तरफ से आग्रह किया गया कि न्यायालय के आदेश का परिपालन करने पूरे प्रयास किये जा रहे है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इन अधिकारियों के मामले में फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए.

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस सहित अन्य अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के आदेश जारी किये थे. सरकार की तरफ से इस आदेश वापस को लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा विनय सराफ की युगलपीठ ने इस आवेदन पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे 20 निर्देश, पालन नहीं हुआ

बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई की थी. सुनवाई में भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने भी निर्देश भी जारी हुए थे. मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करनी थी. साथ ही रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश थे.

मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं हुआ

इसके बाद मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी. इस याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तय बिंदुओं में से सिर्फ 3 बिंदुओं पर काम हुआ. इस कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है.

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इसके अलावा मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की केन्द्रीय सचिव आरती आहूजा, प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ उप महानिदेशक आर.राम कृष्णन, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. प्रभा देसिकन तथा डॉ. राज नारायण तिवारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे. लेकिन सरकार की तरफ से आग्रह किया गया कि न्यायालय के आदेश का परिपालन करने पूरे प्रयास किये जा रहे है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इन अधिकारियों के मामले में फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए.

Last Updated : Feb 20, 2024, 6:09 PM IST
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