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MP मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति 31 अगस्त तक, सरकार ने दी हाईकोर्ट को जानकारी - MPHRC chairman post vacant

राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए कहा गया कि 31 अगस्त तक राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी. हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार के हलफनामा को रिकॉर्ड में लेते हुए याचिका पर अगली सुनवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है.

MPHRC chairman post vacant
एमपी मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति 31 अगस्त तक (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 7, 2024, 12:06 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से कम मामलों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इसी क्रम में ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत के मामले को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लेकर सुनवाई शुरू की. संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है. सीवर चैम्बर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गए. बचाव के प्रयास के बावजूद भी मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी.

मैनुअल स्कैवेंजर्स को लेकर गठित होनी थीं कमेटियां

याचिका में कहा गया कि इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं. गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे कार्यकर्ता समाज के निचले तबके से आते हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटी का गठन करना था.

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कई माह से रिक्त है मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद

एक्ट के परिपालन के लिए कमेटी की समय-समय पर बैठक का आयोजित होनी थी. युगलपीठ ने पाया कि कुछ ही कमेटी का गठन किया गया है. युगलपीठ ने याचिका में राज्य मानव अधिकार आयोग को अनावेदक बनाते हुए ऐसे कितने मामलों में उनकी तरफ से संज्ञान लिया गया है, इस संबंध में हलफनामा पेश करने निर्देश जारी किये थे. याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर आयोग के रजिस्ट्रार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. उन्होंने युगलपीठ को बताया था कि विगत 6 माह से आयोग का अध्यक्ष पद रिक्त है. युगलपीठ ने आयोग के अध्यक्ष पद रिक्त होने के संबंध में सरकार से हलफनामा मांगा था.

जबलपुर। मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से कम मामलों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इसी क्रम में ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत के मामले को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लेकर सुनवाई शुरू की. संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है. सीवर चैम्बर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गए. बचाव के प्रयास के बावजूद भी मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी.

मैनुअल स्कैवेंजर्स को लेकर गठित होनी थीं कमेटियां

याचिका में कहा गया कि इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं. गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे कार्यकर्ता समाज के निचले तबके से आते हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटी का गठन करना था.

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