भोपाल: मध्य प्रदेश में पुराने और कंडम हो चुके के दिन बलदने वाले हैं. जल्द ही मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के अग्निशमन अमले में बदलाव करने जा रही है. पहले चरण में सरकार मध्य प्रदेश में अग्निशमन सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. इसमें 75 प्रतिशत राशि केंद्र और 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी.
एक हाइड्रोलिक प्लेटफार्म पर खर्च होंगे 15 करोड़ रुपये
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के नगरीय निकायों के लिए 400 करोड़ रुपए से अग्निशमन वाहनों की खरीदी करने जा रही है. इसमें 15-15 करोड़ रुपये 70 मीटर उंचाई तक आग बुझाने वाले हाइड्रोलिक प्लेटफार्म भी शामिल हैं. यानि 229 फीट की उंचाई तक पहुंचने वाले इन प्लेटफार्म की मदद से 25 मंजिल उंची इमारत की आग को भी आसानी से बुझाया जा सकेगा.
महानगरों के लिए खरीदे जाएंगे क्रैश फायर टेंडर
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया कि '3 हाइड्रोलिक प्लेटफार्म समेत अन्य उपकरण खरीदने के लिए प्रस्ताव बनाया गया है. प्रथम चरण में ये हाइड्रोलिक प्लेटफार्म इंदौर, उज्जैन और रीवा नगर निगम को उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके साथ ही इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर एयरपोर्ट के लिए क्रैश फायर टेंडर भी मंगाए जा रहे हैं. एक क्रैश फायर टेंडर की कीमत करीब 7 करोड़ रुपये है. भरत यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार के साथ आधुनिकीकरण किया जा रहा है. इसके तहत नए फायर ब्रिगेड स्टेशन और नई फायर ब्रिगेड खरीदने का काम भी किया जाएगा.'
अभी ये हैं मध्य प्रदेश में अग्निशमन सेवाओं के हाल
मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों के पास जितने अग्निशमन वाहन हैं, वो वर्तमान के हिसाब से पर्याप्त नहीं हैं. वहीं जो हैं भी, वो भी आउट डेटेड हो चुके हैं. 45 से 50 साल पुरानी दमकलों से आग बुझाई जा रही है. यही कारण है कि जब तक वाहन मौके पर पहुंचते हैं, आग से सब कुछ जल चुका होता है. वहीं पुरानी फायर ब्रिगेड में पानी का प्रेशर भी इतना नहीं होता, कि अधिक उंचाई तक आग बुझाई जा सके. जिन गाड़ियों के भरोसे नगरीय निकाय शहर में फायर सेफ्टी का दावा करता है. वह दुर्घटना के वक्त स्टार्ट ही नहीं होती. ऐसे एक नहीं कई मामले हैं, जब गाड़ियां स्टार्ट ही नहीं हुई और दूसरे फायर स्टेशनों से गाड़ियां रवाना करनी पडी.
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50 हजार की आबादी पर चाहिए एक फायर स्टेशन
नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के मुताबिक एक दमकल की लाइफ 10 साल होती है. अपनी उम्र पूरी करने वाली दमकलों को फायर ब्रिगेड से हटा दिया जाता है, लेकिन पर्याप्त अमला नहीं होने से प्रदेश के नगरीय निकायों में कंडम वाहनों से आग बुझाने का काम किया जा रहा है. वहीं नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के मुताबिक 50 हजार की आबादी पर एक फायर स्टेशन होना चाहिए, लेकिन 29 लाख की आबादी वाले भोपाल शहर में महज 11 फायर स्टेशन हैं, यानी करीब ढाई लाख की आबादी पर महज एक फायर स्टेशन.