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12 सालों से नहीं बढ़ा वाहन और आवास भत्ता, एमपी में कर्मचारियो में नाराजगी - एमपी कर्मचारी डीए बढ़ाने की मांग

Employees Demands DA Hike: वाहन और आवास भत्ते को लेकर एमपी के कर्मचारियों में इस समय रोष व्यापत है. कर्मचारियों का आरोप है कि सालों बाद भी मूल वेतन का तीन प्रतिशत आवास और वाहन भत्ता दिया जा रहा है.

Employees Demands DA Hike
12 सालों से नहीं बढ़ा वाहन और आवास भत्ता
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 4, 2024, 5:40 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का करीब 12 सालों से वाहन भत्ते के स्लैब और मकान किराए भत्ते में कोई भी बढ़ोतरी नहीं हुई है. कर्मचारी संगठनों ने इसको लेकर अपनी नाराजगी जताई है. कर्मचारी संगठनों ने कहा है कि सालों बाद भी कर्मचारियों को मूल वेतन का तीन प्रतिशत गृह भाड़ा भत्ता और ₹200 वाहन भत्ता दिया जा रहा है. जबकि इस दौरान महंगाई काफी बढ़ चुकी है. पेट्रोल के दाम डेढ़ गुना बढ़ चुके हैं. कर्मचारी संगठन ने कहा है कि पेट्रोल 110 रुपए लीटर हो गया है. ऐसे में ₹200 वाहन भत्ते में आखिर महिने भर गाड़ी कैसे चलायें.

200रुपए में कैसे चलायें वाहन

कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को 12 साल से छठवें वेतनमान के बाद सितंबर 2012 से वाहन भत्ता₹200 व मकान किराया भत्ता 107 रुपए 3% की दर से मिल रहा है. जबकि 2016 से सातवां वेतनमान लागू हो गया है. सातवां वेतनमान लागू होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वाहन भत्ता 1800 रु और उस पर 46 फीसदी मह्गाई भत्ता मिलाकर 2628 रुपए वाहन भत्ता दिया जा रहा है. इसी तरह मध्य प्रदेश के चार महानगर में काम करने वाले कर्मचारियों को सिर्फ ₹200 महीना वाहन भत्ते के तौर पर दिए जा रहे हैं. जबकि पेट्रोल के दाम 108 रुपए लीटर से ज्यादा है.

केंद्र और राज्य सरकार के भत्ते में अंतर

इस तरह केंद्र के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के हिसाब से मकान किराया भत्ता 18 फीसदी मिल रहा है. वहीं राज्य के कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के बाद 11 साल पहले लागू 5.3% प्रतिशत के हिसाब से ही मिल रहा है. कर्मचारी नेता कहते हैं कि एक ही राज्य में राज्य और केंद्र के कर्मचारियों के वहां और आवास भत्ते में इतना अंतर है. जबकि महंगाई केंद्र और राज्य कर्मचारियों के लिए बराबर है. राज्य सरकार द्वारा जिस हिसाब से वाहन और मकान किराया भत्ता दे रही है. उससे मकान किराए पर मिलना ही मुश्किल है. वेतन भत्तों में अंतर होने से प्रदेश के कर्मचारियों में भारी नाराजगी है.

यहां पढ़ें...

कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान

तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि आवास भत्ता और वाहन भत्ते की वजह से कर्मचारियों को हर माह आर्थिक नुकसान हो रहा है. वाहन भत्ता न बढ़ाए जाने से कर्मचारियों को हर माह 2428 रुपए का नुकसान हो रहा है. इसी तरह आवास भत्ते में कमी से हर माह 2185 रुपए से लेकर 95 94 रुपए महीने का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

भोपाल। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का करीब 12 सालों से वाहन भत्ते के स्लैब और मकान किराए भत्ते में कोई भी बढ़ोतरी नहीं हुई है. कर्मचारी संगठनों ने इसको लेकर अपनी नाराजगी जताई है. कर्मचारी संगठनों ने कहा है कि सालों बाद भी कर्मचारियों को मूल वेतन का तीन प्रतिशत गृह भाड़ा भत्ता और ₹200 वाहन भत्ता दिया जा रहा है. जबकि इस दौरान महंगाई काफी बढ़ चुकी है. पेट्रोल के दाम डेढ़ गुना बढ़ चुके हैं. कर्मचारी संगठन ने कहा है कि पेट्रोल 110 रुपए लीटर हो गया है. ऐसे में ₹200 वाहन भत्ते में आखिर महिने भर गाड़ी कैसे चलायें.

200रुपए में कैसे चलायें वाहन

कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को 12 साल से छठवें वेतनमान के बाद सितंबर 2012 से वाहन भत्ता₹200 व मकान किराया भत्ता 107 रुपए 3% की दर से मिल रहा है. जबकि 2016 से सातवां वेतनमान लागू हो गया है. सातवां वेतनमान लागू होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वाहन भत्ता 1800 रु और उस पर 46 फीसदी मह्गाई भत्ता मिलाकर 2628 रुपए वाहन भत्ता दिया जा रहा है. इसी तरह मध्य प्रदेश के चार महानगर में काम करने वाले कर्मचारियों को सिर्फ ₹200 महीना वाहन भत्ते के तौर पर दिए जा रहे हैं. जबकि पेट्रोल के दाम 108 रुपए लीटर से ज्यादा है.

केंद्र और राज्य सरकार के भत्ते में अंतर

इस तरह केंद्र के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के हिसाब से मकान किराया भत्ता 18 फीसदी मिल रहा है. वहीं राज्य के कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के बाद 11 साल पहले लागू 5.3% प्रतिशत के हिसाब से ही मिल रहा है. कर्मचारी नेता कहते हैं कि एक ही राज्य में राज्य और केंद्र के कर्मचारियों के वहां और आवास भत्ते में इतना अंतर है. जबकि महंगाई केंद्र और राज्य कर्मचारियों के लिए बराबर है. राज्य सरकार द्वारा जिस हिसाब से वाहन और मकान किराया भत्ता दे रही है. उससे मकान किराए पर मिलना ही मुश्किल है. वेतन भत्तों में अंतर होने से प्रदेश के कर्मचारियों में भारी नाराजगी है.

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कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान

तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि आवास भत्ता और वाहन भत्ते की वजह से कर्मचारियों को हर माह आर्थिक नुकसान हो रहा है. वाहन भत्ता न बढ़ाए जाने से कर्मचारियों को हर माह 2428 रुपए का नुकसान हो रहा है. इसी तरह आवास भत्ते में कमी से हर माह 2185 रुपए से लेकर 95 94 रुपए महीने का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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