भोपाल। आजकल के बच्चे पढ़ाई से ज्यादा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. एमपी बोर्ड के रिजल्ट में विद्यार्थियों के फेल होने और नंबर कम आने का एक बड़ा कारण फेसबुक, वाट्सअप और इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उनकी ज्यादा सक्रियता को माना जा रहा है. माध्यमिका शिक्षा मंडल द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन में मनोवैज्ञानिकों से बच्चे रिजल्ट बिगड़ने का कारण पूछ रहे हैं. काउंसलर्स ने रिजल्ट आशा के विपरीत आने के कारण बताए हैं.
विशेषज्ञों की सलाह- सोशल मीडिया की तरह न लें पढ़ाई
एमपी बोर्ड हेल्पलाइन में काउंसलर कविता चौबे ने बताया "आजकल के बच्चों का रुझान सोशल मीडिया पर अधिक बढ़ा है. जिससे वे पढ़ाई से ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं. यही उनके कैरियर में रुकावट का एक बड़ा कारण बन रहा है. बच्चों को लगता है, कि जिस प्रकार सोशल मीडिया में चीजें आसान हैं, उसी प्रकार वे पढ़ाई में भी कमाल कर सकते हैं. कम समय पढ़कर भी अच्छे अंक ला सकते हैं. यही ओवरकांफिडेंस उनकी रुकावट का कारण भी बन रहा है." यदि विद्यार्थी 10वीं-12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए, उनके पूरक परिणाम आए या कम अंक अर्जित किए तो उन्हें इससे हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है. बल्कि उनके सामने अपार विकल्प है. अपनी कार्यशैली में बदलाव करते हुए किसी भी मुकाम को प्राप्त कर सकते हैं. बस इसके लिए पर्याप्त मार्गदर्शन और पढ़ाई में मेहनत करनी होगी.
'रुक जाना नहीं' के साथ अन्य विकल्प मौजूद हैं
इस समय हेलपलाइन में सबसे अधिक कॉल उन बच्चों के आ रहे हैं, जिनका रिजल्ट बिगड़ गया है. इसके लिए हेल्पलाइन में बताया जा रहा है कि जो बच्चे फेल हुए हैं, वो रुक जाना नहीं योजना के तहत परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो सकते हैं. इसके साथ ही एक विषय वालों की पूरक परीक्षा भी होगी. लेकिन ये उन बच्चों के लिए ठीक है, जो अपने परिणाम में सुधार कर आगे की डिग्री लेना चाहते हैं.
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रिजल्ट जारी होने से पहले डेली दो से ढाई सौ कॉल्स
माशिम द्वारा एमपी बोर्ड के 10वीं-12वीं का रिजल्ट बुधवार शाम चार बजे जारी किया गया, उसके बाद केवल 24 घंटे में ही माशिम हेल्पलाइन में दो हजार से अधिक बच्चों ने कॉकाल किया. इसमें वो सप्लीमेंट्री, पुनर्मूल्यांकन और रुक जाना नहीं योजना से संबंधित सवाल पूछ रहे हैं. इसके साथ ही मानसिक तौर पर मजबूत होने की सलाह भी यहां से प्राप्त कर रहे हैं. बता दें कि परिणाम घोषित होने से पहले हेल्पलाइन में प्रतिदिन 200 से 250 काल्स ही आ रहे थे.