भोपाल। देश के दूसरे राज्यों में भले ही अभी लोकसभा चुनाव चल रहे हों, लेकिन मध्य प्रदेश में चुनावी समर समाप्त हो चुका है. प्रदेश की 29 सीटों पर चार चरणों में मतदान हुए. जहां शुरू के दो चरणों में मतदान प्रतिशत काफी कम रहा तो बाकि दो चरणों में वोटिंग परसेंटेज कुछ ठीक रहा. हालांकि 2019 के चुनाव की अपेक्षा मतदान प्रतिशत कम ही रहा. बहरहाल मतदान हो चुके हैं और सभी प्रत्याशियों की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो चुकी है. अब परिणाम का इंतजार है. परिणाम को लेकर कयासों का दौर लगातार जारी है. बीजेपी तो प्रचंड जीत के दावे कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ यह भी दावा किया जा रहा है कि इस बार एमपी में कांग्रेस और बड़ा उलटफेर कर सकते हैं. आइए जानते हैं किन सीटों पर हो सकता है उलटफेर.
छिंदवाड़ा में कांटे की टक्कर, हो सकता है बड़ा उलटफेर
सबसे पहले बात एमपी की हॉटसीट छिंदवाड़ा की करते हैं. इस सीट पर प्रदेश ही बल्कि देश की भी नजरें हैं. इसकी दो वजह है. पहली यह कि यहां से कांग्रेस प्रत्याशी सांसद नकुलनाथ का उम्मीदवार होना, जो पूर्व सीएम कमलनाथ के पुत्र हैं. सब जानते हैं कि छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव और हाल ही के विधानसभा चुनाव 2023 में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी छिंदवाड़ा में सेंध नहीं लगा पाई. जिसके चलते बीजेपी के लिए ये सीट नाक का सवाल बनी है. दूसरी वजह यह है कि यहां से बीजेपी ने नकुलनाथ के खिलाफ हारे हुए प्रत्याशी विवेक बंटी साहू पर दांव लगाया है. जिसके पक्ष में प्रचार करने प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेता यहां पहुंचे. इस बार बीजेपी ने छिंदवाड़ा में अपनी पूरी ताकत लगाई है. जबकि पूरी बीजेपी के खिलाफ अकेले कमलनाथ मोर्चा संभाल रहे थे. इसके बाद भी कहा जा रहा है कि यहां माहौल कांग्रेस के पक्ष में है. कांग्रेस की मानें तो बीजेपी छिंदवाड़ा में हार का मुंह देखने वाली है. जानकारों की मानें तो अगर ऐसा होता है तो ये एक बड़ा उलटफेर कहलाएगा.
राजगढ़ में क्या चलेगा दिग्विजय का जादू
एमपी की राजगढ़ लोकसभा सीट भी हाई प्रोफाइल सीट में से एक है. वैसे तो यह सीट बीजेपी के कब्जे में है. यहां साल 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार टक्कर कांटे की है. कांग्रेस से दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान में हैं तो बीजेपी से रोडमल नागर एक बार फिर टक्कर दे रहे हैं. दिग्विजय सिंह के चुनाव में उतरने से माहौल कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहा है. दूसरी वजह यह भी है कि यह सीट दिग्विजय की पारंपरिक सीट है. यहां दिग्विजय सिंह का दबदबा चलता है. हालांकि दिग्विजय सिंह इस सीट पर 33 साल बाद उतरे हैं. दिग्विजय सिंह एक दिग्गज हस्ती हैं, दूसरा उनके प्रचार के तरीके ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ लोकसभा सीट में पदयात्रा निकाली और कार्यकर्ताओं के घर रात्रि विश्राम किया. सबसे बड़ी बात तीसरे चरण में हुए चुनाव में सबसे ज्यादा वोटिंग राजगढ़ सीट पर 72.99 प्रतिशत हुई है. ऐसे में दावा है कि राजगढ़ सीट पर पूरा माहौल दिग्विजय सिंह के पक्ष में बन सकता है.
मंडला सीट पर फग्गन सिंह को मिल सकती है चुनौती
मंडला लोकसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को एक बार फिर उतारा है. बीजेपी का विश्वास है कि मोदी फैक्टर काम आएगा और फग्गन सिंह कुलस्ते यहां से जीत हासिल करेंगे. फग्गन सिंह कुलस्ते बड़ा आदिवासी चेहरा है, लेकिन इन सब के बाद भी विधानसभा चुनाव 2023 में फग्गन सिंह कुलस्ते हार गए थे और जीत कांग्रेस की झोली में गई थी. लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह को टक्कर देने कांग्रेस ने भी बड़ा आदिवासी चेहरा ओमकार मरकाम को उतारा है. ओमकार मरकाम कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस के महासचिव भी हैं. ओमकार मरकाम फग्गन सिंह कुलस्ते को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. विधानसभा चुनाव में हार के चलते लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते की जीत पर संशय बना हुआ है. इसके अलावा मूलभूत सुविधाओं को लेकर यहां की जनता में नाराजगी भी कई बार साफ देखी गई है. अगर लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते एक बार फिर हारते हैं, तो किसी बड़े उलटफेर से कम नहीं होगा. हालांकि 4 जून को नतीजे बताएंगे कांग्रेस और बीजेपी में किसके दावे सच होते हैं.
मुरैना में बसपा और कांग्रेस बिगाड़ सकती है खेल
चंबल-अंचल में मुरैना सीट पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है. मुरैना लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हैं. यहां कांग्रेस-बीजेपी के अलावा बसपा भी काम बिगाड़ने मौजूद है. मुरैना से बीजेपी ने शिवमंगल सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिरवार तो बसपा ने रमेश गर्ग को टिकट दिया है. तीनों ही नेताओं की अपने क्षेत्र में पकड़ अच्छी है. चुनाव से पहले चंबल-अंचल में रामनिवास रावत सहित हुई उठापटक से अनुमान है कि बीजेपी जीत सकता है, लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले ने सब बिगाड़ दिया है. यहां भी बीजेपी की राह आसान नहीं हो वाली है. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के हाथ से ये सीट जाना एक प्रकार का उलटफेर ही होगा.
सतना में भी त्रिकोणीय मुकाबले ने बिगाड़ा खेल
एमपी के विंध्य अंचल की सतना लोकसभा सीट भी बीजेपी के लिए परेशान की सबब बनी हुई है. इसकी वजह है कि यहां भी मुकाबला कांग्रेस-बीजेपी में बस नहीं है, बल्कि बसपा भी दमखम के साथ चुनावी मैदान में मौजूद रही है. बीजेपी से यहां पुराने सांसद गणेश सिंह चुनावी रण में हैं, तो उन्हें टक्कर देने कांग्रेस ने विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को उतारा है. जबकि बसपा ने बीजेपी छोड़कर आए पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी पर दांव खेला है. नारायण त्रिपाठी की इस क्षेत्र में पकड़ है, वो मैहर विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं और अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं. हालांकि नारायण त्रिपाठी मैहर से विधानसभा चुनाव 2023 हार गए थे, लेकिन इससे यह नहीं कहा जा सकता कि बीजेपी का राह आसान होने वाली है. बीजेपी के गणेश सिंह को कांग्रेस के सिद्धार्थ सिंह और बसपा के नारायण त्रिपाठी से कड़ी टक्कर मिल रही है.
रतलाम-झाबुआ सीट में कांग्रेस के कद्दावर नेता
रतलाम-झाबुआ सीट आदिवासी सीट है. यह एमपी का हॉट सीटों में से एक है. यह कांग्रेस की परंपरागट सीट है. यहां एक उपचुनाव सहित कुल 18 चुनाव अभी तक हुए हैं. जिसमें से बीजेपी महज 3 बार जीत हासिल कर सकी है. यानि की आजादी के बाद से साल 2014 में पहली बार कांग्रेस को यहां हार मिली थी. वहीं कुछ महीने बाद बीजेपी सांसद दिलीप सिंह भूरिया की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने दोबारा वापसी की थी. हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां मोदी फैक्टर ने काम किया और बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन इससे यह कहना है कि यहां बीजेपी को आसानी से जीत मिल सकती है, गलत होगा.
इस बार बीजेपी ने सांसद का टिकट काटकर वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस से कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया चुनावी मैदान में हैं. कांतिलाल भूरिया एक बड़ा आदिवासी चेहरा हैं. भूरिया ने साल 1998 से 2015 के उपचुनाव तक पांच बार जीत हासिल की है. लिहाजा अनीता नागर सिंह की झोली में जीत आसानी से आना मुश्किल हैं. वैसे यहां माहौल कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहा है.
4 जून को परिणाम के दिन कयासों और संशय के सारे बादल साफ हो जाएंगे, जब परिणाम आएंगे. नतीजें बताएंगे कि एमपी के कितनी सीटों पर कमल खिला तो कहां पंजा ने हाथ मारा और हाथी कितने कदम चला है. बीजेपी जहां पूरी 29 सीट जीतने का दावा कर रही है, तो वहीं कांग्रेस ने भी सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आश्चर्यजनक परिणाम आने की बात कही है. जी हां कांग्रेस महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जब वोटों की गिनती होगी, तो आश्चर्यजनक परिणाम सामने आएंगे. लिहाजा जितेंद्र सिंह ने 4 जून को चौंकाने वाले नतीजों का जिक्र किया है. ऐसे में एमपी की इन सीटों पर उलटफेर की संभावना है, बाकि जनता तय कर चुकी है वह किसे सिरमौर बनाएगी.