सागर। वैसे भी बुंदेलखंड की सियासत में जातियों का बोलबाला है और 2008 के परिसीमन के बाद बुंदेलखंड की चार संसदीय सीट जातीय गणित के आधार पर ही जीत हार तय करती हैं. ऐसे में भाजपा टिकट वितरण के बाद बनते बिगड़ते समीकरणों के चलते कांग्रेस के जातीय जनाधार वाले नेताओं को पर डोरे डाल रही है. खासकर सोमवार को भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेता पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे और पूर्व विधायक शिवदयाल बागरी के भाजपा में जाने से साफ हो गया है कि सागर और खजुराहो सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने ये दांव खेला है. हालांकि, ये दांव कितना कारगर होता है, यो तो लोकसभा चुनाव के परिणाम बताएंगे. लेकिन जाने अजाने फिलहाल कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा है और इसकी भरपाई जल्द करना मुश्किल नजर आ रही है.
सागर और पन्ना के दो पूर्व विधायकों की भाजपा में एंट्री
सोमवार को एक सियासी घटनाक्रम के चलते मध्य प्रदेश भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में सागर के खुरई से पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे और पन्ना जिले के गुन्नौर से पूर्व विधायक शिवदयाल बागरी ने भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बता रही है और कांग्रेस इसे डर और लालच के कारण किए गए दलबदल के तौर पर देख रही है. हालांकि, अरूणोदय चौबे को भाजपा की प्रताड़ना किसी से छुपी नहीं है और पिछले 10 साल से उन्हें भाजपा द्वारा लगातार किसी न किसी बहाने प्रताड़ित किया जा रहा है. वहीं, शिवदयाल बागरी के भी ऐसे ही हाल बताए जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में सागर और खजुराहो सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए ये रणनीति अपनाई गयी है.
सागर संसदीय सीट के क्या हैं समीकरण
सागर संसदीय सीट की बात करें, तो भाजपा ने यहां से महिला प्रत्याशी लता वानखेड़े को मैदान में उतारा है. जातीय समीकरणों के आधार पर लता वानखेड़े पहले ही मुश्किलों में फंसी हैं, क्योकिं उनके ऊपर आरोप है कि वो एससी सीट से ग्राम पंचायत सरपंच का चुनाव लड़ चुकी हैं और ओबीसी सीट से भी चुनाव लड़ चुकी हैं. वहीं दूसरी तरफ वो अपने आप को कुर्मी समुदाय का बताती हैं और सागर संसदीय सीट की आठों विधानसभा में कुर्मी समुदाय कोई बड़ा जातीय जनाधार नजर नहीं आता है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस अभी प्रत्याशी चयन में लगी है और चर्चा थी कि कांग्रेस सागर संसदीय सीट में ब्राह्मण वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने के लिए किसी ब्राह्मण को टिकट दे सकती है. ऐसे में खुरई से पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे का नाम जोरों पर था, लेकिन दो दिन पहले अचानक अरूणोदय चौबे ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेते हुए सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को सपा-कांग्रेस के चक्रव्यूह से बचाने के लिए दलबदल
दूसरी तरफ सोमवार को ही पन्ना जिले के गुन्नौर से कांग्रेस के पूर्व विधायक शिवदयाल बागरी ने भी भाजपा का दामन थाम लिया. दरअसल, इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और सपा ने मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और यहां सपा अपना उम्मीदवार उतारेगी. ऐसे में खासकर यादव और ओबीसी वोट बैंक वाली इस सीट पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा फंसे हुए नजर आ रहे हैं और तय रणनीति के तहत एससी वोट बैंक जुटाने की कवायद में बीजेपी जुट गयी है. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस के एस सी नेता शिवदयाल बागरी को भाजपा में शामिल कराया गया है.
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क्या कहते हैं जानकार
वरिष्ठ पत्रकार देवदत्त दुबे कहते हैं कि- "उत्तर प्रदेश से सटे हुए बुंदेलखंड इलाके में जातीय समीकरण राजनीति को प्रभावित करते आए हैं. इसी कारण भाजपा किसी भी प्रकार के अति आत्मविश्वास में न रहते हुए जातीय समीकरणों को भी साधने की कोशिश कर रही है. इसी के तहत ब्राह्मण वर्ग को साधने के लिए खुरई क्षेत्र के पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे की ज्वाइनिंग करायी गयी है. वहीं, खजुराहो में इंडिया गठबंधन ने ये सीट समाजवादी पार्टी को दी है और यूपी से लगी इस सीट पर यादव मतदाता और ओबीसी मतदाता के छिटकने के डर से बीजेपी ने अनुसूचित जाति मतदाताओं को तोड़ने की कवायद शुरू की है. इसी कड़ी में 2018 में पन्ना की गुन्नौर ( एससी) सीट से विधायक रहे शिवदयाल बागरी का दलबदल कराया है. चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि भाजपा की ये रणनीति कितनी कारगर होती है."