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जच्चा बच्चा अस्पताल बना रेफरल सेंटर, प्रबंधन के खिलाफ मितानिनों ने खोला मोर्चा - Mother child hospital

Mother child hospital छत्तीसगढ़ में शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सुरक्षित प्रसव का सरकार का सपना अधूरा सा लग रहा है. कांकेर जिले की बात करें तो यहां का जच्चा बच्चा जिला अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर बन चुका है.ऐसे में कई बार प्रसूताओं के लिए जान का खतरा पैदा हो चुका है.कई मामलों में केस ट्रांसफर करते वक्त रास्ते में ही महिलाओं की डिलीवरी हुई है.ऐसे में मितानिनों ने अस्पताल प्रबंधन के रवैये के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है.क्योंकि उनके लाए गए केसेस का सही तरीके हैंडल नहीं किए गए.Lack of facilities in Maternity Hospital

Mother child hospital
जच्चा बच्चा अस्पताल बना रेफरल सेंटर (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 18, 2024, 4:30 PM IST

Updated : Jun 19, 2024, 11:56 AM IST

जच्चा बच्चा अस्पताल बना रेफरल सेंटर, (ETV Bharat Chhattisgarh)

कांकेर : कांकेर शहर की मितानिन और एमटी ने अलबेलापारा के एमसीएच (मदर एंड चाइल्ड केयर) अस्पताल की बदइंतजामी के खिलाफ मोर्चा खोला है. कांकेर शहर में 36 मितानिन और 2 मितानिन प्रशिक्षक हैं. मितानिनों का आरोप है कि वे गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाती हैं. बावजूद इसके यहां उनका ठीक से इलाज नहीं किया जाता. विरोध करने पर गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है. मितानिनों के अनुसार इस वर्ष जनवरी से मई तक 25 केस रेफर किए जा चुके हैं.यहां से जिन केसेस को जटिल बताकर रेफर कर दिया जाता है,वहीं दूसरे अस्पतालों में सामान्य तरीके से हैंडल किए जाते हैं.

मितानिनों ने खोला मोर्चा : कांकेर शहर की मितानिनों ने बताया कि जिला मुख्यालय में स्थित मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में आईसीयू नहीं होने से परेशानी होती है. सोनोग्राफी रोजाना नहीं की जाती.सिर्फ मंगलवार और गुरुवार को ही सोनोग्राफी की जाती है, जिससे परेशानी होती है.

Mother child hospital
प्रबंधन के खिलाफ मितानिनों ने खोला मोर्चा (ETV Bharat Chhattisgarh)

''मरीजों के परिजनों से ही अस्पताल के वार्डों की साफ सफाई कराई जाती है. सिटी स्कैन की रिपोर्ट तुरंत नहीं दी जाती है. रिपोर्ट 15 दिन बाद मिलती है. गर्भवती महिला को कैल्शियम के साथ अन्य दवा नहीं मिलती. अस्पताल में एक्सरे तक की सुविधा नहीं है. नर्स स्टाफ का व्यवहार भी मरीजों से अच्छा नहीं होता है.''- मितानिन

वहीं इस पूरे मामले में सीएमएचओ का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है,लेकिन इसकी व्यवस्था की जा रही है.

''अलबेलापारा अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से परेशानी हो रही है. जिसकी वजह से रात में परेशानी होती है, सोनोग्राफी को एक दिन और बढ़ाया गया है. व्यवस्था में सुधार करने प्रयास किया जा रहा है.'' -डॉ अविनाश खरे, सीएमएचओ

हकीकत में अस्पताल बन चुका है रेफरल सेंटर : जिला मुख्यालय में स्थित मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल ही नही बल्कि ब्लॉक मुख्यालय में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी रेफरल सेंटर बना हुआ है. ब्लॉक मुख्यालय भानुप्रतापपुर की आंकड़े की बात करे तो अगस्त 2023 में भानुप्रतापपुर अस्पताल में 139 प्रसव हुए थे. सितंबर में 89, अक्टूबर में 85, नवंबर में 58, दिसंबर में 85, 2024 जनवरी में 81 तो फरवरी में 69 प्रसव हुए. मार्च में 65, अप्रैल में 53 तो मई में 56 ही प्रसव हुए हैं.

राजनांदगांव के अस्पताल का बुरा हाल, बीजेपी मंडल के अध्यक्ष ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

जच्चा बच्चा अस्पताल बना रेफरल सेंटर, (ETV Bharat Chhattisgarh)

कांकेर : कांकेर शहर की मितानिन और एमटी ने अलबेलापारा के एमसीएच (मदर एंड चाइल्ड केयर) अस्पताल की बदइंतजामी के खिलाफ मोर्चा खोला है. कांकेर शहर में 36 मितानिन और 2 मितानिन प्रशिक्षक हैं. मितानिनों का आरोप है कि वे गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाती हैं. बावजूद इसके यहां उनका ठीक से इलाज नहीं किया जाता. विरोध करने पर गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है. मितानिनों के अनुसार इस वर्ष जनवरी से मई तक 25 केस रेफर किए जा चुके हैं.यहां से जिन केसेस को जटिल बताकर रेफर कर दिया जाता है,वहीं दूसरे अस्पतालों में सामान्य तरीके से हैंडल किए जाते हैं.

मितानिनों ने खोला मोर्चा : कांकेर शहर की मितानिनों ने बताया कि जिला मुख्यालय में स्थित मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में आईसीयू नहीं होने से परेशानी होती है. सोनोग्राफी रोजाना नहीं की जाती.सिर्फ मंगलवार और गुरुवार को ही सोनोग्राफी की जाती है, जिससे परेशानी होती है.

Mother child hospital
प्रबंधन के खिलाफ मितानिनों ने खोला मोर्चा (ETV Bharat Chhattisgarh)

''मरीजों के परिजनों से ही अस्पताल के वार्डों की साफ सफाई कराई जाती है. सिटी स्कैन की रिपोर्ट तुरंत नहीं दी जाती है. रिपोर्ट 15 दिन बाद मिलती है. गर्भवती महिला को कैल्शियम के साथ अन्य दवा नहीं मिलती. अस्पताल में एक्सरे तक की सुविधा नहीं है. नर्स स्टाफ का व्यवहार भी मरीजों से अच्छा नहीं होता है.''- मितानिन

वहीं इस पूरे मामले में सीएमएचओ का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है,लेकिन इसकी व्यवस्था की जा रही है.

''अलबेलापारा अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से परेशानी हो रही है. जिसकी वजह से रात में परेशानी होती है, सोनोग्राफी को एक दिन और बढ़ाया गया है. व्यवस्था में सुधार करने प्रयास किया जा रहा है.'' -डॉ अविनाश खरे, सीएमएचओ

हकीकत में अस्पताल बन चुका है रेफरल सेंटर : जिला मुख्यालय में स्थित मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल ही नही बल्कि ब्लॉक मुख्यालय में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी रेफरल सेंटर बना हुआ है. ब्लॉक मुख्यालय भानुप्रतापपुर की आंकड़े की बात करे तो अगस्त 2023 में भानुप्रतापपुर अस्पताल में 139 प्रसव हुए थे. सितंबर में 89, अक्टूबर में 85, नवंबर में 58, दिसंबर में 85, 2024 जनवरी में 81 तो फरवरी में 69 प्रसव हुए. मार्च में 65, अप्रैल में 53 तो मई में 56 ही प्रसव हुए हैं.

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Last Updated : Jun 19, 2024, 11:56 AM IST
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