रांचीः आज रांची के ज्यादातर बड़े निजी स्कूलों ने छुट्टी घोषित कर दी है. इसकी वजह है नामकुम में आयोजित दक्षिणी छोटा नागपुर प्रमंडल स्तरीय मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान कार्यक्रम. लाभुकों को कार्यक्रम स्थल तक लाने और ले जाने के लिए बसों की जरूरत है. लिहाजा, रांची के सभी बड़े निजी स्कूलों की बसें इसी सेवा में लगा दी गई है. अब भला बसें ही नहीं रहेंगी तो बच्चे कैसे पढ़ने जा पाएंगे. लाचारी में सेंट जेवियर, सेंट थॉमस, बिशप वेस्ट कॉट समेत तमाम बड़े स्कूल प्रबंधन ने स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया.
बसों के लिए डीटीओ ऑफिस ने जारी किया था पत्र
इसकी तैयारी काफी पहले ही शुरू हो गई थी. 31 अगस्त को रांची जिला परिवहन पदाधिकारी के दफ्तर से सभी निजी स्कूलों के प्रिंसिपल और निजी बस संचालकों को पत्र जारी कर बसें उपलब्ध कराने का आदेश जारी हुआ था. पत्र में लिखा गया है कि 4 सितंबर को मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों को रांची जिला के अलग-अलग प्रखंडों से कार्यक्रम स्थल तक लाने के लिए करीब 2000 बसों की जरूरत है. इसके लिए 2 सितंबर को 2:00 बजे तक बसों की सूची मांगी गई थी.
अब तक 45 लाख खातों में राशि ट्रांसफर
मुख्यमंत्री ने इस योजना की सफलता को लेकर 3 सितंबर को सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी साझा किया था. उन्होंने लिखा है कि योजना को शुरू हुए 30 दिन हो गए हैं. इस दौरान अब तक 45 लाख बहनों के खातों में एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं. जिन बहनों के आवेदन में कुछ त्रुटियां हैं उसे सरकार आपके द्वार कैंप में दुरुस्त कर लिया जाएगा. उन्होंने यह भी लिखा है कि योजना से जुड़ जाने के बाद 50 साल की उम्र तक सहायता राशि मिलती रहेगी. 50 साल की उम्र पूरी होते ही महिलाएं सर्वजन पेंशन योजना की लाभुक बन जाएंगी.
ट्रैफिक रूट में भी किया गया है बदलाव
इस योजना के तहत 21 से 50 वर्ष की महिलाओं को हर माह 1000 रु डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर किया जा रहा है. इसको लेकर प्रमंडल स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं. दक्षिणी छोटा नागपुर के पांच जिलों के लिए रांची के नामकुम स्थित खोजाटोली मैदान में कार्यक्रम का आयोजन हुआ है. इसके लिए बड़े-बड़े टेंट लगाए गए हैं. 3 लाख वर्ग फीट में लाभुकों के बैठने की व्यवस्था की गई है. पांच जिलों से बड़ी संख्या में बसों के पहुंचने की वजह से रांची में ट्रैफिक का रूट भी बदल गया है. इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लाभुकों से रूबरू होंगे और उनके खाते में राशि ट्रांसफर करेंगे.
खास बात है कि कार्यक्रम के नाम पर स्कूली बसें लेने के औचित्य पर प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. आमतौर पर जब विधानसभा या लोकसभा का चुनाव होता है तो संबंधित जिला में मतदान के दिन सरकारी अवकाश होता है और उस दिन मतदान को सुनिश्चित करने के लिए बड़े वाहनों का इस्तेमाल होता है. तब स्कूल प्रबंधन से सहयोग लिया जाता है.
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