बिलासपुर: मुगना में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसकी पत्तियां, फल और फूल के सेवन से कई बीमारियां खत्म होती है. मुनगा प्रायः हर जगह पाया जाता है. हालांकि इन दिनों छत्तीसगढ़ का मुनगा लोगों को काफी भा रहा है. पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से रोजाना ही मुनगा की सप्लाई हो रही है. दूसरे राज्यों के व्यापारी छत्तीसगढ़ से मुनगा की खरीदी कर रहे हैं. मुनगा की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इसकी पूर्ति करना व्यापारियों के लिए मुश्किल हो रहा है. Moringa farming
दूसरे राज्यों में मुनगा होता है निर्यात: दरअसल, साल के 3 महीने मुनगा की फसल काफी अधिक होती है. इसी समय पूरे प्रदेश से हजारों क्विंटल मुनगा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और साउथ के पांच राज्यों में भेजा जाता है. जहां साउथ के पांचों राज्यों में इसे सब्जी के साथ ही सांभर में डालकर खाया जाता हैं. उसी तरह बिहार और झारखंड में भी सब्जी के रूप में इसका लोग सेवन करते हैं. पश्चिम बंगाल में इसे खाने के साथ ही दवाई के तौर पर भी उपयोग किया जाता है. मुनगा का फूल, पत्ती और फल तीनों ही औषधीय गुणों से भरपूर है. Drumstick farming
क्या कहते हैं व्यापारी: बिलासपुर के बुधवारी बाजार के थोक व्यापारी संतोष सोनकर ने बताया कि, "मुनगा की फसल वैसे तो पूरे साल होती है, लेकिन जनवरी से लेकर मार्च तक इसकी पैदावार काफी बढ़ जाती है. डिमांड के मुताबिक आपूर्ति कम हो जाती है. व्यापारी इसकी खरीदी भी बढ़ा देते हैं. वहीं, मुनगा की थोक में खरीदी की जाती है. प्रदेश के सभी जिलों से मुनगा ट्रेनों के माध्यम से भेजा जाता है. छत्तीसगढ़ का मुनगा यहां से कई राज्यों में जाता है."
मुनगा में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं. मुनगा की पत्ती कम खून वाले मरीजों को खिलाने से काफी फायदा होता है. इसको सब्जी के रूप में खिलाने से उसका खून बढ़ता है. ये खून की कमी पूरा करता है. मुनगा के फूल में भी काफी औषधीय गुण होते हैं. इसके फूलों की सब्जी बनाई जाती है. इसकी खास वजह यह है कि इसकी सब्जी खाने से शुगर में कमी होती है. इससे खून का प्रवाह बढ़ता है. इसके अलावा मुनगा का फल ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है. ये पुरुषार्थ के लिए भी बेहतर बताया गया है. बच्चा होने के बाद प्रसूता को मुनगा की सब्जी खिलाने से शरीर में स्फूर्ति आती है. इससे मां के दूध में पौष्टिकता आती है. साथ ही बच्चे के सेहत के लिए ये बेहतर माना जाता है. -डॉ. रक्षपाल गुप्ता, डीन, शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल
कई लोग दवाई के तौर पर करते हैं इस्तेमाल:आयुर्वेद में मुनगा की दवाई बनती है. कई जगहों पर अलग-अलग बीमारियों के साथ ही डिलीवरी के बाद महिला को भी इसे दिया जाता है. खासकर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए ये बेहतर माना गया है.कई लोग इसे मोरिंगा भी कहते हैं. मोरिंगा सब्जी के अलावा दाल में डालकर सांभर बनाकर सेवन किया जाता है. साउथ के राज्यों में इससे बने सांभर की डिमांड काफी रहती है. बिलासपुर के ग्रामीण अंचलों से मुनगा बिलासपुर रेलवे स्टेशन के बुधवारी बाजार पहुंचता है. यहां व्यापारी इसकी खरीदी करते हैं. इसके बाद इन्हें बोरों में भरकर दूसरे राज्य भेज दिया जाता है.
मुझे सालाना 10 लाख रुपए का मुनाफा होता है. मेरे 100 पेड़ हैं. इसमें लागत कुछ भी नहीं रहती और मुनाफा ज्यादा रहता है. छत्तीसगढ़ के मुनगा का स्वाद बांकी राज्यों के मुनगा से ज्यादा अच्छा रहता है. इसलिए यहां के मुनगा की डिमांड अधिक होती है. -दीपक कुमार यादव, किसान
किसानों को हो रहा अच्छा मुनाफा: ग्रामीण इलाकों में मुनगा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसकी खेती खाली पड़ी जमीन में की जाती है. खेतों के किनारे मेढ़ पर भी मुनगा की खेती अच्छी होती है. शहरी क्षेत्र में तालाब नदी के किनारे बड़े पैमाने पर मुनगा की खेती की जा रही है. मुनगा की खेती के लिए शुरुआती दौर में पौधे लगाने और उसे 2 साल तक सहजने की जरूरत होती है. इसके बाद जब मुनगा का पेड़ बढ़ जाता है तो फिर इसकी देखरेख भी नहीं करनी पड़ती है. थोड़ा बहुत दवाई छिड़काव में खर्च होता है, लेकिन इससे मुनाफा बहुत होता है.