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'सरकार गौ माता को बना रही है पशु, रक्षक हैं या भक्षक', शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान - SHANKARACHARYA AVIMUKTESHWARANAND

चारधाम की यात्रा पर निकले जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुरैना में कहा कि गौमाता को लेकर सरकार अपना पक्ष स्पष्ट करे.

SHANKARACHARYA AVIMUKTESHWARANANDA ON COW
गौमाता को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 14, 2024, 10:13 PM IST

मुरैना: शीतकालीन चारधाम की यात्रा पर निकले जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज शनिवार को मुरैना पहुंचे. यहां उन्होंने अल्प प्रवास किया. इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने गौमाता को लेकर भारत सरकार से कई सवाल पूछे. वहीं कहा कि देश मे वर्तमान राजनीति हिन्दू के नाम पर की जा रही है. राजनेता ही देश में सबसे बड़े धर्म गुरु बन गए हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की प्रताणना की वजह भी वर्तमान राजनीति ही है.

'देश में राजनेता बन गए धर्म गुरू'

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि "राजनेता ही देश मे सबसे बड़े धर्म गुरु बन गए हैं. वे राजनीति की बात छोड़ धर्म की बात करने लगे हैं. धर्माचार्यों के मुख से धर्म की बात हो तब तो ठीक है, लेकिन जब नेता धर्म की बात करने लगे तो धुर्वीकरण होना निश्चित है. यह न तो देश कल्याण के लिए उचित है और ना ही हिन्दुओं के लिए ठीक है. इसी वजह से देश का पतन हो रहा है. भारत को गुरुत्व कहलाने का स्वाभिमान होना चाहिए लेकिन वह चेला बनकर रह गया है."

'सरकार गौ माता को बना रही है पशु, रक्षक हैं या भक्षक' (ETV Bharat)

'सरकार स्पष्ट करे कि वह गौ रक्षक है या भक्षक'

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि "सरकार स्पष्ट करे कि वह गौरक्षक है या भक्षक. अपने आप को हिंदू बताने वाली सरकार के कार्यकाल में गौ मांस का निर्यात बड़ा है. सरकार ने हमारी गौ माता को पशु की सूची में डाल दिया है. यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो हमारी पहचान है, हम उसी को मार रहे हैं, उसी की हत्या कर रहे हैं, कैसे गौ माता बचेगी.अपने आप को हिंदू कहते हैं लेकिन जो पहचान है, उसी को मार रहे हैं. उसी की हत्या कर रहे हैं, उसी का मांस बेचकर व्यापार कर रहे हैं. मांस के निर्यात को सरकार बढ़ावा दे रही है. क्या यह भारत की सभ्यता, संस्कृति, परंपरा के अनुरूप है."

'लंबी यात्रा पर निकलें बाबा बागेश्वर'

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बाबा बागेश्वर को और लंबी यात्रा पर निकलना चाहिए. जिस उद्देश्य को लेकर वह यात्रा कर रहे हैं वह चलती रहना चाहिए. उन्हें एक-दो साल के लिए यात्रा पर निकल जाना चाहिए.

मुरैना: शीतकालीन चारधाम की यात्रा पर निकले जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज शनिवार को मुरैना पहुंचे. यहां उन्होंने अल्प प्रवास किया. इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने गौमाता को लेकर भारत सरकार से कई सवाल पूछे. वहीं कहा कि देश मे वर्तमान राजनीति हिन्दू के नाम पर की जा रही है. राजनेता ही देश में सबसे बड़े धर्म गुरु बन गए हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की प्रताणना की वजह भी वर्तमान राजनीति ही है.

'देश में राजनेता बन गए धर्म गुरू'

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि "राजनेता ही देश मे सबसे बड़े धर्म गुरु बन गए हैं. वे राजनीति की बात छोड़ धर्म की बात करने लगे हैं. धर्माचार्यों के मुख से धर्म की बात हो तब तो ठीक है, लेकिन जब नेता धर्म की बात करने लगे तो धुर्वीकरण होना निश्चित है. यह न तो देश कल्याण के लिए उचित है और ना ही हिन्दुओं के लिए ठीक है. इसी वजह से देश का पतन हो रहा है. भारत को गुरुत्व कहलाने का स्वाभिमान होना चाहिए लेकिन वह चेला बनकर रह गया है."

'सरकार गौ माता को बना रही है पशु, रक्षक हैं या भक्षक' (ETV Bharat)

'सरकार स्पष्ट करे कि वह गौ रक्षक है या भक्षक'

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि "सरकार स्पष्ट करे कि वह गौरक्षक है या भक्षक. अपने आप को हिंदू बताने वाली सरकार के कार्यकाल में गौ मांस का निर्यात बड़ा है. सरकार ने हमारी गौ माता को पशु की सूची में डाल दिया है. यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो हमारी पहचान है, हम उसी को मार रहे हैं, उसी की हत्या कर रहे हैं, कैसे गौ माता बचेगी.अपने आप को हिंदू कहते हैं लेकिन जो पहचान है, उसी को मार रहे हैं. उसी की हत्या कर रहे हैं, उसी का मांस बेचकर व्यापार कर रहे हैं. मांस के निर्यात को सरकार बढ़ावा दे रही है. क्या यह भारत की सभ्यता, संस्कृति, परंपरा के अनुरूप है."

'लंबी यात्रा पर निकलें बाबा बागेश्वर'

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बाबा बागेश्वर को और लंबी यात्रा पर निकलना चाहिए. जिस उद्देश्य को लेकर वह यात्रा कर रहे हैं वह चलती रहना चाहिए. उन्हें एक-दो साल के लिए यात्रा पर निकल जाना चाहिए.

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