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बारिश से बाजरा बर्बाद, चंबल के 80 गांवों में 2 लाख हेक्टेयर खड़ी फसल में तबाही, MSP के लाले - Bajra Crop MSP - BAJRA CROP MSP

पिछले दिनों ग्वालियर चंबल अंचल में हुई बारिश ने किसानों को संकट में ला दिया है. बारिश से 2 लाख हेक्टेयर में हुई बाजरा की फसल 40 प्रतिशत नष्ट हो चुकी है. बाकि जो फसल बची है उसका दाना भी काला पड़ गया है. किसानों को चिंता सता रही है कि अब उनके बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकना नामुमकिन है.

Madhya Pradesh Bajra crop
चंबल ग्वालियर में बारिश से 2 लाख हेक्टेयर बाजरे की फसल प्रभावित (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 4:08 PM IST

Updated : Sep 21, 2024, 1:34 PM IST

मुरैना: चंबल अंचल में हुई अत्यधिक बारिश ने इस साल किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. दरअसल मुरैना जिले में 2 लाख हेक्टेयर में किसानों ने बाजरा फसल की बोवनी की थी. लेकिन अत्यधिक बारिश और नदियों में आई बाढ़ से 89 गांवों में 2 हजार से अधिक किसानों की बाजरा की फसल 40 प्रतिशत बर्बाद हो गई. वहीं, बाढ़ से जिन किसानों की फसल बच गई, उसका दाना बारिश के पानी से काला पड़ जाएगा. जिससे उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिलेगा.

बारिश के चलते फसलें खराब
चंबल अंचल में पिछले कुछ दिनों से हो रही अत्यधिक बारिश के चलते खरीब की फसलें प्रभावित होने लगी है. इसका सबसे ज्यादा असर चंबल क्षेत्र में बाजरे की फसल पर देखा जा रहा है. बताया जा रहा है की सितंबर माह में बाजरे की बालियां पककर तैयार हो जाती हैं, ऐसे में तेज बारिश होने से किसानों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. सितंबर महीना बाजरा की फसल के पकने का समय है और इस समय लगातार हो रही बारिश ने किसानों को संकट में खड़ा कर दिया है.

कई जिलों में बाजरा के खेत जलमग्न
जिले के कई गांवों में बाजरा के खेत जलमग्न हैं और बाजरा की फसल गल रही है. जानकारों का कहना है कि, ''ऐसे में यदि फसल की गुणवत्ता प्रभावित रही तो जो अनाज समर्थन मूल्य पर नहीं बिक पाएगा. इससे पहले के तीन सालों में भी चंबल के किसानों का बाजरा समर्थन मूल्य पर नहीं बिक सका था.'' चंबल के मुरैना जिले में प्रदेश का 80 फीसद से ज्यादा बाजरा उत्पादन होता है.

खेतों में खड़ी फसल में कैसे होगा नुकसान
मुरैना जिले में बीते दिनों हुई लगातार बारिश और खेतों में जलभराव से बाजरे की बालियों के फूल झड़ गए हैं. दाने छोटे रह जाएंगे और काले रंग के धब्बे पड़ने की आशंका है. समर्थन मूल्य पर वही अनाज खरीदा जाता है, जो फाइन एवरेज क्वालिटी (एफएक्यू) जांच में पास हो. यह संकट उनके किसानों के सामने अधिक होगा, जिनकी फसल बाढ़ से तो बच गई लेकिन तेज हवा से वह जमीन पर फैल गई और पकी हुई अवस्था में उनकी बालियां भीग गईं. ऐसी फसलों का बाजरा का दाना काला पड़ जाएगा.

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बाढ़ में डूबी फसल पूरी तरह खराब, दाना पड़ जाएगा काला
मुरैना कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप सिंह तोमर से बात की तो उनका कहना था कि, ''मुरैना की आसन, क्वारी नदियों में आई बाढ़ से जहां फसल पानी में डूब गई, वह पूरी तरह से खराब हो गई. पकी हुई जो फसल हवा के वेग से जमीन पर गिर पड़ी, उसका दाना काला पड़ने से भी किसानों को नुकसान होगा.''

मुरैना: चंबल अंचल में हुई अत्यधिक बारिश ने इस साल किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. दरअसल मुरैना जिले में 2 लाख हेक्टेयर में किसानों ने बाजरा फसल की बोवनी की थी. लेकिन अत्यधिक बारिश और नदियों में आई बाढ़ से 89 गांवों में 2 हजार से अधिक किसानों की बाजरा की फसल 40 प्रतिशत बर्बाद हो गई. वहीं, बाढ़ से जिन किसानों की फसल बच गई, उसका दाना बारिश के पानी से काला पड़ जाएगा. जिससे उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिलेगा.

बारिश के चलते फसलें खराब
चंबल अंचल में पिछले कुछ दिनों से हो रही अत्यधिक बारिश के चलते खरीब की फसलें प्रभावित होने लगी है. इसका सबसे ज्यादा असर चंबल क्षेत्र में बाजरे की फसल पर देखा जा रहा है. बताया जा रहा है की सितंबर माह में बाजरे की बालियां पककर तैयार हो जाती हैं, ऐसे में तेज बारिश होने से किसानों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. सितंबर महीना बाजरा की फसल के पकने का समय है और इस समय लगातार हो रही बारिश ने किसानों को संकट में खड़ा कर दिया है.

कई जिलों में बाजरा के खेत जलमग्न
जिले के कई गांवों में बाजरा के खेत जलमग्न हैं और बाजरा की फसल गल रही है. जानकारों का कहना है कि, ''ऐसे में यदि फसल की गुणवत्ता प्रभावित रही तो जो अनाज समर्थन मूल्य पर नहीं बिक पाएगा. इससे पहले के तीन सालों में भी चंबल के किसानों का बाजरा समर्थन मूल्य पर नहीं बिक सका था.'' चंबल के मुरैना जिले में प्रदेश का 80 फीसद से ज्यादा बाजरा उत्पादन होता है.

खेतों में खड़ी फसल में कैसे होगा नुकसान
मुरैना जिले में बीते दिनों हुई लगातार बारिश और खेतों में जलभराव से बाजरे की बालियों के फूल झड़ गए हैं. दाने छोटे रह जाएंगे और काले रंग के धब्बे पड़ने की आशंका है. समर्थन मूल्य पर वही अनाज खरीदा जाता है, जो फाइन एवरेज क्वालिटी (एफएक्यू) जांच में पास हो. यह संकट उनके किसानों के सामने अधिक होगा, जिनकी फसल बाढ़ से तो बच गई लेकिन तेज हवा से वह जमीन पर फैल गई और पकी हुई अवस्था में उनकी बालियां भीग गईं. ऐसी फसलों का बाजरा का दाना काला पड़ जाएगा.

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मुरैना कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप सिंह तोमर से बात की तो उनका कहना था कि, ''मुरैना की आसन, क्वारी नदियों में आई बाढ़ से जहां फसल पानी में डूब गई, वह पूरी तरह से खराब हो गई. पकी हुई जो फसल हवा के वेग से जमीन पर गिर पड़ी, उसका दाना काला पड़ने से भी किसानों को नुकसान होगा.''

Last Updated : Sep 21, 2024, 1:34 PM IST
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