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मुरैना के इस गांव में तिरपाल में होता है अंतिम संस्कार, बारिश होते ही सड़क बन जाती है दलदल - Morena No Basic Facilities

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

मुरैना के कैलारस जनपद पंचायत स्थित कई गांव में सड़क भी नहीं है, लोग दलदल भरे कच्चे रास्तों से गुजरते हैं. वहीं, मुक्तिधाम नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में अंतिम संस्कार करने में काफी परेशानी होती है. मामले में अपर कलेक्टर ने बारिश के बाद काम कराने की बात कही है.

JAKHAUDA VILLAGE NO ROAD FACILITY
बारिश होते ही सड़क बन जाता है दलदल (ETV Bharat)

मुरैना: मुरैना जिले के अंतर्गत कैलारस जनपद पंचायत में कई गांव आज भी मूलभूत सुविधा के अभाव में जीवन यापन कर रहें हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास आवागमन के लिए गांव तक सड़क नहीं है. वहीं, गांव में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में अंतिम संस्कार को लेकर लोगों को काफी परेशानी होती है.

जखौदा गांव में नहीं है मूलभूत सुविधा

मुरैना का जखौदा गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक जखौदा गांव में 125 घर है और करीब 1400 की आबादी है. इस गांव में एक शासकीय प्राथमिक और मिडिल स्कूल भी है. यहां 2 आंगनबाड़ी केंद्र है, लेकिन इस गांव में आने जाने के लिए कोई सुविधाजनक सड़क नहीं है.

मुरैना के इस गांव में नहीं है मूलभूत सुविधा (ETV Bharat)

ग्रामीण रामस्वरूप ने बताया कि "गांव में यदि बारिश के दिनों में किसी की मौत हो जाती है, अंतिम संस्कार के लिए बारिश बंद होने का इंतजार करना पड़ता है. बारिश बंद नहीं होती है, तो तिरपाल की मदद से अंतिम संस्कार करना पड़ता है." अधिकारियों का कहना है कि मुक्तिधाम के लायक कोई शासकीय जगह नहीं है. इस पर ग्रामीण ने कहा "हम लोग जगह देने के लिए तैयार हैं."

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अपर कलेक्टर ने दिया आश्वासन

इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर सीबी प्रसाद ने कहा कि "बीते दिनों से जिले में अति वर्षा हुई है, जिससे सभी जूझ रहे हैं. ऐसे कई गांव हैं, जहां रास्ता नहीं है. वहीं, कई गांवों में मुक्तिधाम भी नहीं है, जिससे तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन खेद व्यक्त करता है. बारिश के बाद इन सब पर काम किया जायेगा."

मुरैना: मुरैना जिले के अंतर्गत कैलारस जनपद पंचायत में कई गांव आज भी मूलभूत सुविधा के अभाव में जीवन यापन कर रहें हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास आवागमन के लिए गांव तक सड़क नहीं है. वहीं, गांव में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में अंतिम संस्कार को लेकर लोगों को काफी परेशानी होती है.

जखौदा गांव में नहीं है मूलभूत सुविधा

मुरैना का जखौदा गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक जखौदा गांव में 125 घर है और करीब 1400 की आबादी है. इस गांव में एक शासकीय प्राथमिक और मिडिल स्कूल भी है. यहां 2 आंगनबाड़ी केंद्र है, लेकिन इस गांव में आने जाने के लिए कोई सुविधाजनक सड़क नहीं है.

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ग्रामीण रामस्वरूप ने बताया कि "गांव में यदि बारिश के दिनों में किसी की मौत हो जाती है, अंतिम संस्कार के लिए बारिश बंद होने का इंतजार करना पड़ता है. बारिश बंद नहीं होती है, तो तिरपाल की मदद से अंतिम संस्कार करना पड़ता है." अधिकारियों का कहना है कि मुक्तिधाम के लायक कोई शासकीय जगह नहीं है. इस पर ग्रामीण ने कहा "हम लोग जगह देने के लिए तैयार हैं."

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अपर कलेक्टर ने दिया आश्वासन

इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर सीबी प्रसाद ने कहा कि "बीते दिनों से जिले में अति वर्षा हुई है, जिससे सभी जूझ रहे हैं. ऐसे कई गांव हैं, जहां रास्ता नहीं है. वहीं, कई गांवों में मुक्तिधाम भी नहीं है, जिससे तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन खेद व्यक्त करता है. बारिश के बाद इन सब पर काम किया जायेगा."

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