मुरैना। आखिरकार 23 दिन चम्बल के बीहड़ की खाक छानने के बाद वीरा की घर वापसी हो गई. कूनो नेशनल पार्क की स्पेशल टीम ने मादा वीरा चीता को ट्रैंक्यूलाइज कर लिया. वीरा 27 मार्च को कूनो की सीमा लांघकर मुरैना में घुस आई थी. इस दौरान उसने सबसे अधिक समय जौरा के जंगलों में बिताया. वीरा के आतंक से ग्रामीण भयभीत थे. हालांकि उसने किसी इंसान की जान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था.
पिछले 23 दिन से थी फरार
कूनो नेशनल पार्क की शान मादा चीता 'वीरा' पिछले महीने 27 तारीख को श्योपुर के जंगल में विचरण करते हुए मुरैना की सीमा में घुस आई थी. यहां पर वह पहाड़गढ़, सबलगढ़ और कैलारस के जंगल से होते हुए जौरा के बीहड़ में पहुंच गई. जौरा का जंगल उसको इतना भाया कि, उसने सबसे अधिक समय यहीं पर गुजारा. जौरा के बीहड़ में विचरण करते हुए उसने पेट भरने के लिए एक रिहायसी इलाके में घुसकर एक बकरा-बकरी का शिकार भी किया था. इसके बाद ग्रामीणों में उसका भय फैल गया था. हालांकि उसने जौरा के जंगल मे लंबा समय गुजारा, लेकिन किसी इंसान पर हमला नहीं किया था.
ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ी गयी
वीरा के कूनो नेशनल पार्क से भागने के बाद से ही कूनो नेशनल पार्क की स्पेशल टीम पकड़ने के लिए लगातार उसके पीछे लगी हुई थी, लेकिन वह हर बार गच्चा देकर निकल जाती थी. वीरा गर्भवती भी थी इसलिए उसको जल्द से जल्द पकड़ना जरुरी था. अंततः थक-हारकर चीता स्टीयरिंग कमेटी के सलाह के बाद उसे रेस्क्यू करने का निर्णय लिया गया, क्योंकि खुद से उसके कूनों में लौटकर आने कि स्थिति नहीं दिख रही थी. जिसके बाद गुरुवार की शाम को कूनो की टीम ने वीरा को ट्रैंक्यूलाइज कर बेहोश किया और रात में ही वापस कूनो में छोड़ दिया.
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पवन लौट आया लेकिन वीरा आगे निकल गई
कूनो के खुले जंगल में रह रहे नर चीता पवन और मादा चीता वीरा मार्च के अंतिम सप्ताह में पार्क की सीमा से बाहर निकल गए थे. इस दौरान, पवन 5 दिनों के बाद खुद ही वापस लौट आया, लेकिन वीरा आगे बढ़ गई. और 27 मार्च को मादा चीता वीरा जिले की सीमा भी क्रॉस कर मुरैना जिले की सीमा के रिहायशी इलाके और जंगल में घूमती रही.