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मुरैना में किसानों का डीएपी दर्द, खाद के लिए मची है हाय-तौबा - MORENA DAP FERTILIZER CRISIS

मुरैना में कई दिनों से डीएपी खाद के लिए मारामारी मची हुई है. प्रशासन का कहना है कि खाद प्रर्याप्त मात्रा में है.

MORENA DAP FERTILIZER CRISIS
मुरैना में डीएपी खाद के लिए किसान परेशान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 9, 2024, 5:06 PM IST

मुरैना: खरीफ का सीजन खत्म होने को है. किसान अब रवि की बुवाई के लिए तैयारियों में लग गए हैं. इसके लिए वो खाद और बीज का इंतजाम कर रहे हैं. ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे पहले रबी फसलों की बुवाई होती है. इसी तरह, मालवा-निमाड़ अंचल में सोयाबीन फसल की कटाई के साथ ही किसानों ने रबी फसलों के लिए एनपीके खाद का इंतजाम करना शुरू कर दिया है, लेकिन प्रदेश के कई वितरण केन्द्रों पर खाद की किल्लत की खबरें सामने आ रही हैं. इसके अलावा कई केन्द्रों पर खाद तो पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन किसानों की भारी भीड़ उमड़ने की वजह से वितरण में काफी परेशानियां आ रही है.

टोकन मिलने के बाद भी खाद मिलने की नहीं गांरटी

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के मुरैना जिले में सबसे ज्यादा सरसों की खेती की जाती है. पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सरसों उत्पादक जिलों में मुरैना और भिंड शीर्ष पर आते हैं. सरसों की बुवाई प्राय: अक्टूबर महीने में 15 तारीख से 25 तारीख तक कर दी जाती है. इस प्रकार बुवाई का सही समय आ गया है. इसलिए किसान डीएपी खाद के लिए परेशान हैं, लेकिन मुरैना जिले के कृषि उपज वितरण केन्द्र पर खाद की समस्या सामने आ रही है. किसान रात से ही लाइन में लग रहे हैं, फिर भी उन्हें शाम तक खाद मिलने की कोई गारंटी नहीं है. वितरण केन्द्र पर टोकन बांटे जा रहे हैं, लेकिन भीड़ इतनी है कि टोकन सब को नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने कृषि वितरण केन्द्र के कर्मचारियों पर 50 से 100 रुपये लेकर टोकन देने का भी आरोप लगाया.

खाद के लिए किसानों की वितरण केन्द्रों पर लगी भीड़ (ETV Bharat)

'खाद की कालाबजारी हो रही है'

डीएपी की मांग और किल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, कई किसान 1 सप्ताह से रोज खाद के लिए आ रहे हैं, फिर भी अभी तक उन्हें डीएपी नहीं मिल पाई है. किसानों का आरोप है कि, खाद की कालाबाजारी हो रही है, जिस वजह से ऐसी विकट स्थिति बनी हुई है. रात से ही टोकन के लिए लाइन में लग जाते हैं, दलाल अपने जुगाड़ के दम पर टोकन पहले ही ले लेते हैं. किसानों का कहना है कि, कई दलाल टोकन लेने के बाद लाइन में लगे किसानों को 200 से 250 रुपये में बेच देते हैं. मजबूर किसान को लेना पड़ रहा है.'

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कृषि उपज मंडी में किसानों की भारी भीड़ (ETV Bharat)

छापामारी में बरामद हुआ थी खाद

परेशान किसानों ने बीते रोज कैलारस में चक्काजाम कर दिया था. उन्होंने बिचौलिए द्वारा खाद का भंडारण करने का आरोप लगाया था. इसको लेकर उन्होंने प्राशसन से शिकायत भी की थी कि, खाद्य व्यापारी ध्रुव सिंह सिकरवार के गोदाम में अवैध रूप से खाद के कट्टे रखे है. शिकायत पर मुरैना के कैलारस कस्बे में जिला प्रशासन ने कृषि विभाग के साथ में मिलकर खाद के गोदाम पर छापा मारा था. छापे के दौरान वहां पर एक सैकड़ा से अधिक डीएपी खाद की बोरियां मिली थी. जिसमें एनपीके खाद की 190 बोरियां व एसएसपी खाद की 500 बोरियां मिली थी. जिला प्रशासन ने गोदाम को सील कर दिया.

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लंबी कतारों में लगे किसान (ETV Bharat)

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मुरैना में रबी की बुआई के लिए अभी से मारामारी, डीएपी खाद के लिए किसानों की लंबी लाइन

'खाद की कोई कमी नहीं है'

मुरैना के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सीबी प्रसाद का कहना है कि, मुरैना में खाद की कोई कमी नहीं है. खाद का वितरण किया जा रहा है. किसानों की भीड़ ज्यादा हो जाती है, इसलिए वितरण करने में दिक्कत हो रही है. कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. आपको बता दें कि, जिले में खाद की मांग 24 हजार 500 मीट्रिक टन है.

मुरैना: खरीफ का सीजन खत्म होने को है. किसान अब रवि की बुवाई के लिए तैयारियों में लग गए हैं. इसके लिए वो खाद और बीज का इंतजाम कर रहे हैं. ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे पहले रबी फसलों की बुवाई होती है. इसी तरह, मालवा-निमाड़ अंचल में सोयाबीन फसल की कटाई के साथ ही किसानों ने रबी फसलों के लिए एनपीके खाद का इंतजाम करना शुरू कर दिया है, लेकिन प्रदेश के कई वितरण केन्द्रों पर खाद की किल्लत की खबरें सामने आ रही हैं. इसके अलावा कई केन्द्रों पर खाद तो पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन किसानों की भारी भीड़ उमड़ने की वजह से वितरण में काफी परेशानियां आ रही है.

टोकन मिलने के बाद भी खाद मिलने की नहीं गांरटी

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के मुरैना जिले में सबसे ज्यादा सरसों की खेती की जाती है. पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सरसों उत्पादक जिलों में मुरैना और भिंड शीर्ष पर आते हैं. सरसों की बुवाई प्राय: अक्टूबर महीने में 15 तारीख से 25 तारीख तक कर दी जाती है. इस प्रकार बुवाई का सही समय आ गया है. इसलिए किसान डीएपी खाद के लिए परेशान हैं, लेकिन मुरैना जिले के कृषि उपज वितरण केन्द्र पर खाद की समस्या सामने आ रही है. किसान रात से ही लाइन में लग रहे हैं, फिर भी उन्हें शाम तक खाद मिलने की कोई गारंटी नहीं है. वितरण केन्द्र पर टोकन बांटे जा रहे हैं, लेकिन भीड़ इतनी है कि टोकन सब को नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने कृषि वितरण केन्द्र के कर्मचारियों पर 50 से 100 रुपये लेकर टोकन देने का भी आरोप लगाया.

खाद के लिए किसानों की वितरण केन्द्रों पर लगी भीड़ (ETV Bharat)

'खाद की कालाबजारी हो रही है'

डीएपी की मांग और किल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, कई किसान 1 सप्ताह से रोज खाद के लिए आ रहे हैं, फिर भी अभी तक उन्हें डीएपी नहीं मिल पाई है. किसानों का आरोप है कि, खाद की कालाबाजारी हो रही है, जिस वजह से ऐसी विकट स्थिति बनी हुई है. रात से ही टोकन के लिए लाइन में लग जाते हैं, दलाल अपने जुगाड़ के दम पर टोकन पहले ही ले लेते हैं. किसानों का कहना है कि, कई दलाल टोकन लेने के बाद लाइन में लगे किसानों को 200 से 250 रुपये में बेच देते हैं. मजबूर किसान को लेना पड़ रहा है.'

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कृषि उपज मंडी में किसानों की भारी भीड़ (ETV Bharat)

छापामारी में बरामद हुआ थी खाद

परेशान किसानों ने बीते रोज कैलारस में चक्काजाम कर दिया था. उन्होंने बिचौलिए द्वारा खाद का भंडारण करने का आरोप लगाया था. इसको लेकर उन्होंने प्राशसन से शिकायत भी की थी कि, खाद्य व्यापारी ध्रुव सिंह सिकरवार के गोदाम में अवैध रूप से खाद के कट्टे रखे है. शिकायत पर मुरैना के कैलारस कस्बे में जिला प्रशासन ने कृषि विभाग के साथ में मिलकर खाद के गोदाम पर छापा मारा था. छापे के दौरान वहां पर एक सैकड़ा से अधिक डीएपी खाद की बोरियां मिली थी. जिसमें एनपीके खाद की 190 बोरियां व एसएसपी खाद की 500 बोरियां मिली थी. जिला प्रशासन ने गोदाम को सील कर दिया.

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लंबी कतारों में लगे किसान (ETV Bharat)

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'खाद की कोई कमी नहीं है'

मुरैना के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सीबी प्रसाद का कहना है कि, मुरैना में खाद की कोई कमी नहीं है. खाद का वितरण किया जा रहा है. किसानों की भीड़ ज्यादा हो जाती है, इसलिए वितरण करने में दिक्कत हो रही है. कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. आपको बता दें कि, जिले में खाद की मांग 24 हजार 500 मीट्रिक टन है.

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