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चंबल में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, वन विभाग के अधिकारी हुए गदगद, हैचिंग से 200 अंडों से बाहर निकले 181 बच्चे - Morena Crocodile Hatching

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 10, 2024, 7:17 PM IST

Updated : Jun 10, 2024, 8:22 PM IST

चंबल में 200 अंडों से घड़ियालों के 181 बच्चे बाहर निकलकर आए हैं. घड़ियालों का कुनबा बढ़ने से वन विभाग के अधिकारी खुश है. हैचिंग के बाद इन बच्चों को घड़ियाल केंद्र में रखा गया है.

MORENA CROCODILE HATCHING
हैचिंग से 200 अंडों से बाहर निकले 181 बच्चे (ETV Bharat)

मुरैना। चंबल में घड़ियालों का कुनबा बढ़ने से वन विभाग के अधिकारी गदगद हो रहे हैं. 200 अंडों में से अभी तक घड़ियालों के 181 बच्चे बाहर निकालकर इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं. सोमवार को देवरी घड़ियाल ईको सेंटर में हैचिंग करते ही 28 नन्हे घड़ियाल फुदकते हुए बाहर निकले. इन अंडों को एक माह पहले ही चंबल घाट से सहेजकर लाया गया था. हैचिंग के बाद घड़ियाल के इन बच्चों को पालन-पोषण के लिए देवरी घड़ियाल केंद्र में रखा गया है. निर्धारित लंबाई 120 सेंटीमीटर के बाद इनको चम्बल नदी में छोड़ दिया जाएगा.

चंबल में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा (ETV Bharat)

2456 के पास हुई घड़ियालों की संख्या

वर्तमान में ईको सेंटर में कुल 204 नन्हे घड़ियाल वैज्ञानिकों की देखरेख में पल रहे हैं. वहीं चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या करीब 2456 के आसपास है. चंबल नदी में इसी साल 14 फरवरी से 26 फरवरी तक बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी और वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट, वाइल्ड इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया एमपी, राजस्थान, यूपी के 11 जलीय जीव विशेषज्ञों ने सर्वे किया था. इस सर्वे में चंबल की कोख में पल रहे घड़ियालों की संख्या करीब 2456 निकलकर आई थी. चंबल नदी में लगातार बढ़ रही घड़ियालों की संख्या को देखते हुए वन विभाग नदी की कैपेसिटी के हिसाब से उनको दूसरी नदियों में छोड़ने की योजना बना रहा है.

200 अंडों से 181 बच्चे सुरक्षित निकले बाहर

उधर वन विभाग के कर्मचारियों ने 15 मई को अम्बाह के चुसलई घाट और 19 मई को अम्बाह के ही बाबू सिंह का घेर घाट से 200 अंडे कलेक्ट कर उनको देवरी घड़ियाल ईको सेंटर स्थित हेचरी में रखा. यहां पर निर्धारित समय अवधि के पश्चात हैचिंग कर 200 अंडों में से 181 बच्चे सुरक्षित बाहर निकाल लिए हैं. ये हैचिंग 4 जून से हो रही है. इनमें से बचे 19 अंडो में से घड़ियाल शावक निकलना रह गया है. बताते है की इनमें से कुछ अंडे खराब हो सकते है.

MORENA CROCODILES FAMILY INCREASED
अंडों से बाहर आते घड़ियाल के बच्चे (ETV Bharat)

हैचिंग के बाद घड़ियाल केंद्र में रखे गए बच्चे

हैचिंग के बाद घड़ियाल के बच्चों को घड़ियाल केंद्र में रखा गया है. यहां पर तीन साल तक इनका पालन-पोषण किया जाएगा. निर्धारित समय में घड़ियाल के बच्चे 120 सेमी लंबाई पूरी करने के बाद उनको चंबल में छोड़ दिया जाएगा. वन विभाग के अधिकारी इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं. मुरैना DFO स्वरूप दीक्षित ने बताया की मई माह में चंबल के दो घाटों से 200 अंडे लेकर आये थे. यहां देवरी ईको सेंटर पर निर्धारित टेंपरेचर पर रखा गया. अभी तक 181 घड़ियाल शावक बाहर आ चुके है.

बीते रोज देवरी स्थित घड़ियाल ईको सेंटर पर चंबल अभ्यारण्य के अधीक्षक भूरा गायकवाड़, रेंजर देवरी घडिय़ाल केंद्र रिंकी आर्या, हैचरी प्रभारी ज्योति डंडौतिया की मौजूदगी में मादा घड़ियालों से सहेजे गए 28 अंडों की हैचिंग कराई गई. तकरीबन एक से डेढ़ घंटे की प्रोसेस के बाद सभी शावक घड़ियाल सुरक्षित ढंग से अपने अंडों से बाहर निकल आए. इसके बाद इन सभी शावक घड़ियालों को देवरी ईको सेंटर में बनाए गए स्पेशल पूल में छोड़ा गया. जहां यह 15 दिन तक विशेषज्ञों की निगरानी में रहेंगे. 15 दिन बाद इन्हें बड़े पूल में डिस्चार्ज किया जाएगा, ताकि यह नदी के तेज प्रवाह में बहने का हुनर सीख लें.

आवाज सुनकर अंडे रेत से बाहर निकाले जाते हैं

जहां प्राकृतिक वातावरण होता है, वहां तो मां घड़ियाल अपने घोसलों के आसपास रहती है. ऐसे में अंडों से बाहर आने के लिए घड़ियाल के बच्चे एक विशेष आवाज निकालते हैं, जिसे मदर काल कहा जाता है. इसे सुनकर मादा घड़ियाल रेत खोद देती है और अंडों से घड़ियाल बाहर आने शुरू हो जाते हैं, लेकिन कृतिम रूप से बने घोंसलो में देवरी ईको सेंटर के विशेषज्ञ ही इस मदर काल को सुनते हैं. इसके लिए अण्डों से बच्चे निकलने का समय पूरा होने से पहले ही अण्डों को विशेष निगरानी में रखा जाता है. दिन में कई बार अण्डों में होने वाली हलचल का परीक्षण होता है. मदर काल का पता लगते ही बच्चों को अंडों से बाहर आने में मदद करते हैं.

MORENA CROCODILE HATCHING
वन विभाग के अधिकारी हुए गदगद (ETV Bharat)

2021, 2022 और 2023 शावक घड़ियाल भी देवरी में मौजूद

देवरी स्थित घड़ियाल ईको सेंटर में वर्ष 2021 में अंडों से हैचिंग के दौरान निकले 38 घड़ियाल शावक, 2022 में अंडों से हैचिंग के दौरान निकले 85 और 2023 के 97 शावक घड़ियालों को रखा गया है. इन 181 घड़ियाल शावकों को मिलाकर अब देवरी घड़ियाल ईको सेंटर में शावक घड़ियालों की संख्या बढ़कर 401 के करीब हो गई है.

यहां पढ़ें...

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चंबल नदी में 2456 घड़ियाल, 111 डॉल्फिन हैं मौजूद

चंबल नदी में इसी साल 14 फरवरी से 26 फरवरी तक बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी और वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट, वाइल्ड इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया मप्र, राजस्थान, यूपी के 11 जलीय जीव विशेषज्ञों ने गणना की थी. जिसमें चंबल नदी में 2456 घड़ियाल चिन्हित किए थे. वहीं 111 डॉल्फिन, इसी प्रकार मगरमच्छों की संख्या 878 से बढ़कर 928, इंडियन स्कीमर की संख्या 740 से बढ़कर 843 हो गई है.

चंबल नदी में 435 किमी एरिया में पाए जाते हैं घड़ियाल

विलुप्तप्राय: प्रजातियों में शामिल घड़ियालों की 80 प्रतिशत संख्या चंबल नदी में ही पाई जाती है. 900 किमी से अधिक लंबाई में बहने वाली चंबल नदी में 435 किमी का एरिया घड़ियालों की मुफीद है और घड़ियाल इसी एरिया में पाए जाते हैं. यह एरिया श्योपुर से मुरैना होकर भिंड से गुजरते हुए पचनदा तक जुड़ता है. वहीं चंबल नदी राजस्थान, उत्तरप्रदेश की सीमाओं को जोड़ते हुए चलती है.

मुरैना। चंबल में घड़ियालों का कुनबा बढ़ने से वन विभाग के अधिकारी गदगद हो रहे हैं. 200 अंडों में से अभी तक घड़ियालों के 181 बच्चे बाहर निकालकर इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं. सोमवार को देवरी घड़ियाल ईको सेंटर में हैचिंग करते ही 28 नन्हे घड़ियाल फुदकते हुए बाहर निकले. इन अंडों को एक माह पहले ही चंबल घाट से सहेजकर लाया गया था. हैचिंग के बाद घड़ियाल के इन बच्चों को पालन-पोषण के लिए देवरी घड़ियाल केंद्र में रखा गया है. निर्धारित लंबाई 120 सेंटीमीटर के बाद इनको चम्बल नदी में छोड़ दिया जाएगा.

चंबल में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा (ETV Bharat)

2456 के पास हुई घड़ियालों की संख्या

वर्तमान में ईको सेंटर में कुल 204 नन्हे घड़ियाल वैज्ञानिकों की देखरेख में पल रहे हैं. वहीं चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या करीब 2456 के आसपास है. चंबल नदी में इसी साल 14 फरवरी से 26 फरवरी तक बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी और वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट, वाइल्ड इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया एमपी, राजस्थान, यूपी के 11 जलीय जीव विशेषज्ञों ने सर्वे किया था. इस सर्वे में चंबल की कोख में पल रहे घड़ियालों की संख्या करीब 2456 निकलकर आई थी. चंबल नदी में लगातार बढ़ रही घड़ियालों की संख्या को देखते हुए वन विभाग नदी की कैपेसिटी के हिसाब से उनको दूसरी नदियों में छोड़ने की योजना बना रहा है.

200 अंडों से 181 बच्चे सुरक्षित निकले बाहर

उधर वन विभाग के कर्मचारियों ने 15 मई को अम्बाह के चुसलई घाट और 19 मई को अम्बाह के ही बाबू सिंह का घेर घाट से 200 अंडे कलेक्ट कर उनको देवरी घड़ियाल ईको सेंटर स्थित हेचरी में रखा. यहां पर निर्धारित समय अवधि के पश्चात हैचिंग कर 200 अंडों में से 181 बच्चे सुरक्षित बाहर निकाल लिए हैं. ये हैचिंग 4 जून से हो रही है. इनमें से बचे 19 अंडो में से घड़ियाल शावक निकलना रह गया है. बताते है की इनमें से कुछ अंडे खराब हो सकते है.

MORENA CROCODILES FAMILY INCREASED
अंडों से बाहर आते घड़ियाल के बच्चे (ETV Bharat)

हैचिंग के बाद घड़ियाल केंद्र में रखे गए बच्चे

हैचिंग के बाद घड़ियाल के बच्चों को घड़ियाल केंद्र में रखा गया है. यहां पर तीन साल तक इनका पालन-पोषण किया जाएगा. निर्धारित समय में घड़ियाल के बच्चे 120 सेमी लंबाई पूरी करने के बाद उनको चंबल में छोड़ दिया जाएगा. वन विभाग के अधिकारी इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं. मुरैना DFO स्वरूप दीक्षित ने बताया की मई माह में चंबल के दो घाटों से 200 अंडे लेकर आये थे. यहां देवरी ईको सेंटर पर निर्धारित टेंपरेचर पर रखा गया. अभी तक 181 घड़ियाल शावक बाहर आ चुके है.

बीते रोज देवरी स्थित घड़ियाल ईको सेंटर पर चंबल अभ्यारण्य के अधीक्षक भूरा गायकवाड़, रेंजर देवरी घडिय़ाल केंद्र रिंकी आर्या, हैचरी प्रभारी ज्योति डंडौतिया की मौजूदगी में मादा घड़ियालों से सहेजे गए 28 अंडों की हैचिंग कराई गई. तकरीबन एक से डेढ़ घंटे की प्रोसेस के बाद सभी शावक घड़ियाल सुरक्षित ढंग से अपने अंडों से बाहर निकल आए. इसके बाद इन सभी शावक घड़ियालों को देवरी ईको सेंटर में बनाए गए स्पेशल पूल में छोड़ा गया. जहां यह 15 दिन तक विशेषज्ञों की निगरानी में रहेंगे. 15 दिन बाद इन्हें बड़े पूल में डिस्चार्ज किया जाएगा, ताकि यह नदी के तेज प्रवाह में बहने का हुनर सीख लें.

आवाज सुनकर अंडे रेत से बाहर निकाले जाते हैं

जहां प्राकृतिक वातावरण होता है, वहां तो मां घड़ियाल अपने घोसलों के आसपास रहती है. ऐसे में अंडों से बाहर आने के लिए घड़ियाल के बच्चे एक विशेष आवाज निकालते हैं, जिसे मदर काल कहा जाता है. इसे सुनकर मादा घड़ियाल रेत खोद देती है और अंडों से घड़ियाल बाहर आने शुरू हो जाते हैं, लेकिन कृतिम रूप से बने घोंसलो में देवरी ईको सेंटर के विशेषज्ञ ही इस मदर काल को सुनते हैं. इसके लिए अण्डों से बच्चे निकलने का समय पूरा होने से पहले ही अण्डों को विशेष निगरानी में रखा जाता है. दिन में कई बार अण्डों में होने वाली हलचल का परीक्षण होता है. मदर काल का पता लगते ही बच्चों को अंडों से बाहर आने में मदद करते हैं.

MORENA CROCODILE HATCHING
वन विभाग के अधिकारी हुए गदगद (ETV Bharat)

2021, 2022 और 2023 शावक घड़ियाल भी देवरी में मौजूद

देवरी स्थित घड़ियाल ईको सेंटर में वर्ष 2021 में अंडों से हैचिंग के दौरान निकले 38 घड़ियाल शावक, 2022 में अंडों से हैचिंग के दौरान निकले 85 और 2023 के 97 शावक घड़ियालों को रखा गया है. इन 181 घड़ियाल शावकों को मिलाकर अब देवरी घड़ियाल ईको सेंटर में शावक घड़ियालों की संख्या बढ़कर 401 के करीब हो गई है.

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एशिया के सबसे बड़े घड़ियाल केंद्र में खुशखबरी, हेचिंग से 200 अंडों से बाहर निकले 192 बच्चे

चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, मुरैना से पचनदा तक जलीय जीवों की भरमार, सर्वे में आये चौकाने वाले आंकड़े

चंबल नदी में 2456 घड़ियाल, 111 डॉल्फिन हैं मौजूद

चंबल नदी में इसी साल 14 फरवरी से 26 फरवरी तक बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी और वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट, वाइल्ड इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया मप्र, राजस्थान, यूपी के 11 जलीय जीव विशेषज्ञों ने गणना की थी. जिसमें चंबल नदी में 2456 घड़ियाल चिन्हित किए थे. वहीं 111 डॉल्फिन, इसी प्रकार मगरमच्छों की संख्या 878 से बढ़कर 928, इंडियन स्कीमर की संख्या 740 से बढ़कर 843 हो गई है.

चंबल नदी में 435 किमी एरिया में पाए जाते हैं घड़ियाल

विलुप्तप्राय: प्रजातियों में शामिल घड़ियालों की 80 प्रतिशत संख्या चंबल नदी में ही पाई जाती है. 900 किमी से अधिक लंबाई में बहने वाली चंबल नदी में 435 किमी का एरिया घड़ियालों की मुफीद है और घड़ियाल इसी एरिया में पाए जाते हैं. यह एरिया श्योपुर से मुरैना होकर भिंड से गुजरते हुए पचनदा तक जुड़ता है. वहीं चंबल नदी राजस्थान, उत्तरप्रदेश की सीमाओं को जोड़ते हुए चलती है.

Last Updated : Jun 10, 2024, 8:22 PM IST
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